दीपावली का त्योहार भारतीय साहित्य और काव्य में विशेष स्थान रखता है। हिंदी साहित्य में कई कवियों और लेखकों ने इस पावन पर्व पर अपनी कविताओं, गीतों और गज़लों के माध्यम से दीयों की रोशनी, खुशियों, और उल्लास को अभिव्यक्त किया है। हिंदी साहित्य में दीपावली पर ऐसी अनेक कविताएँ और गीत लिखे गए हैं, जो इस पर्व की सुंदरता, परंपरा, और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं। ये कविताएँ न केवल दीपों की रोशनी का वर्णन करती हैं, बल्कि दिलों में प्रेम, एकता, और सद्भावना का दीप जलाने का संदेश भी देती है।
- मैथिलीशरण गुप्त – दीपावली
मैथिलीशरण गुप्त, जो “राष्ट्रकवि” के रूप में प्रसिद्ध हैं, ने अपनी कविताओं में दीपावली के सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं को उजागर किया है। उनकी एक कविता की कुछ पंक्तियाँ हैं:
“जगत में उजियारा फैलाती,
दीपों की यह कतार है।
हर मन में उमंग जगाती,
दीपावली का त्योहार है।”
इस कविता में दीपावली के प्रकाश और जीवन में इसके महत्व को दर्शाया गया है। यह कविता हमारे दिलों में दीप जलाने और उत्साह जगाने का संदेश देती है।
- अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध‘ – दीप की बाती
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने दीपावली के दीपों को मानवीय रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी कविता में दीप की बाती को प्रतीकात्मक रूप में देखा जा सकता है, जो अंधकार को दूर करने के लिए जलती है। उनकी कविता का अंश:
“दीप से दीप जलाओ,
हर घर में उजाला फैलाओ।
अंधियारे को दूर भगाओ,
जीवन को फिर से महकाओ।”
इस कविता में दिवाली का संदेश है कि हर दिल में प्रेम और प्रकाश की भावना जगाओ।
- सुभद्रा कुमारी चौहान – दीपों का त्योहार
सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने लेखन में दीपावली के उत्सव को बच्चों, घर और समाज के दृष्टिकोण से देखा है। उनकी कविता में सरलता और मासूमियत झलकती है। कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:
“आई दिवाली, आई दिवाली,
घर-घर दीपों की लाई लाली।
बच्चों के संग खेल रही है,
नई खुशियों की रंग बिरंगी थाली।”
उनकी कविता में दीपावली के उल्लास, रंग-बिरंगी रोशनी, और बच्चों की खुशी का वर्णन है।
- रामधारी सिंह ‘दिनकर‘ – उजाले का पर्व
रामधारी सिंह ‘दिनकर‘ ने दीपावली को अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक माना है। उनकी कविताओं में हमेशा से एक गहरी सोच होती है। दिनकर जी की एक कविता में दीपावली को इस प्रकार व्यक्त किया गया है:
“जल उठे दीप तम हटे,
जीवन की राहों से छल हटे।
दीप जलाओ, मन हरषाओ,
प्रेम का प्रकाश हर दिल में बसाओ।”
यह कविता दीपों की रोशनी के माध्यम से जीवन के अंधेरे को दूर करने की प्रेरणा देती है।
- काका हाथरसी – हास्य कविताएँ
काका हाथरसी ने अपने हास्यपूर्ण अंदाज में दीपावली को लेकर मजेदार कविताएँ लिखी हैं। उनकी कविताओं में दिवाली पर पटाखों की धमक, मिठाइयों की बात, और सामाजिक व्यंग्य झलकता है। उदाहरण के तौर पर:
“लक्ष्मी जी का किया स्वागत,
पेट पूजने का बहाना।
रंग-बिरंगी मिठाइयों से,
बढ़ा अपनापन का फसाना।”
काका हाथरसी की कविताओं में दीवाली के हंसी-मजाक और खाने-पीने की खुशी का सुंदर चित्रण मिलता है।
- सोहनलाल द्विवेदी – दीपावली की रात
सोहनलाल द्विवेदी ने अपनी कविता “दीपावली की रात” में इस त्योहार की पावनता और दिव्यता को प्रकट किया है। उनकी कविता की कुछ पंक्तियाँ हैं:
“दीपों की यह रात सुहानी,
भर दे सब में नई जवानी।
हर दिल में बस जाए खुशी,
दीप जलाओ मन में खुशी।”
उनकी कविता दीपावली की रात की सुंदरता को दर्शाती है, और यह प्रेरणा देती है कि हर दिल में खुशी का दीप जलाएँ।
- बालकृष्ण शर्मा नवीन – प्रकाश पर्व
बालकृष्ण शर्मा नवीन ने दीपावली को प्रकाश पर्व के रूप में देखा है, जहाँ अंधकार को हटाकर जीवन में नई आशा और उत्साह का संचार होता है। उनकी कविता का एक अंश:
“प्रकाश का यह पर्व निराला,
हर मन में हो खुशियों का उजाला।
दीपों से घर-द्वार सजाएँ,
एकता का संदेश फैलाएँ।”
उनकी कविताओं में दीपावली का संदेश है कि यह त्योहार सबके जीवन में एक नई शुरुआत लेकर आए।