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पढ़ाने के साथ पढ़ने की लगन की मिसाल डॉ.जैन ने हासिल की नवीं उपाधि

राजनांदगाँव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के राष्ट्रपति सम्मानित प्रोफ़ेसर डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने हिंदी, अंग्रेजी, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, लोक प्रशासन जैसे पांच विषयों में एम.ए. और विज्ञान व विधि स्नातक और पीएचडी मिलाकर पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर से कुल आठ उपाधियाँ हासिल करने के अलावा सूचना के अधिकार पर भी कार्मिक, पेंशन एवं जन शिकायत निवारण विभाग, भारत सरकार का विशेष कोर्स पूर्ण कर लिया है। उच्च शिक्षा की राजकीय सेवा में लोक सेवा आयोग से चयनित होकर लगभग दो दशक पूरे कर रहे डॉ .जैन ने पढने-लिखने और बोलने की कला में अपनी गहरी पकड़ और दिलचस्पी के चलते यह उपलब्धि  हासिल कर एक मिसाल कायम की है। बहुआयामी गतिविधियों में सतत रचनात्मक सहभागिता करते हुए यह गौरव अर्जित कर डॉ.जैन नई पीढ़ी और व्यावसायिकों के लिए प्रेरक लगन का उदाहरण प्रस्तुत किया है।

उल्लेखनीय है कि दिग्विजय कालेज के हिन्दी विभाग में अध्यापन कर रहे डॉ .जैन ने ज्यादातर उपाधियाँ अपनी मातृ संस्था दिग्विजय कालेज में इससे पहले सेवारत रहकर अथवा स्वाध्याय  के माध्यम से प्राप्त कीं। वे सबसे पहले अपने विद्यार्थी जीवन में नियमित छात्र के रूप में दिग्विजय कालेज से ही गणित स्नातक हुए और बाद में पांच विषय में स्नातकोत्तर कोर्स किया। यहीं रहकर डॉ .जैन ने आचार्य विद्यासागर जी महाराज के भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित बहुचर्चित व कालजयी महाकाव्य मूकमाटी पर शोध कर डाक्टर आफ फिलासफी की उपाधि अर्जित की और उसका यश देश के कोने-कोने तक पहुंचाने का सिलसिला आज भी जारी रखा है।  

डॉ .जैन का मत है कि आज का दौर बहुविषयक, बहु अनुशासनिक ( मल्टी डिस्प्लीनरी ) ज्ञान और अनुभव की मांग करता है। अब प्राध्यापक का किसी एक विषय के ज्ञान तक सीमित रहना न तो उचित है न ही उपयोगी। इसके आलावा भाषाओं के साथ-साथ प्रभावी सम्प्रेषण क्षमता और विविध विषयों की जानकारी का संगम यदि हो जाये तो शिक्षण कर्म अधिक रोचक और प्रभावी बन सकता है। इससे शिक्षक के व्यक्तित्व के साथ-साथ विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का भी विकास होता है। डॉ .जैन ने आगे भी पढने की पक्की धुन पर और भी कुछ नया कर दिखाने की मंशा ज़ाहिर की है।
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