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हिन्दू कालेज में ‘हस्ताक्षर’ का लोकार्पण

दिल्ली। हिन्दी की लघु पत्रिकाएं जुगनू की तरह हैं जो रोशनी भले न दे सके लेकिन उसका रोमांस बड़ी दिशा में प्रेरित करता है। युवाओं के बीच ऐसी पत्रिकाएं सृजनात्मक ऊर्जा को बढ़ाने और साहित्य में नई चीज़ों को ईजाद करने में सहायक होती हैं। विख्यात उपन्यासकार राजू शर्मा ने हिन्दू कालेज में हुए एक आयोजन में कहा कि हमारे समय के बड़े रचनाकारों के साथ युवाओं का ऐसा सीधा जुड़ाव काम ही दिखाई देता है और 'हस्ताक्षर' ऐसा कर बड़ा काम कर रही है। शर्मा हिन्दी साहित्य सभा द्वारा प्रकाशित की जा रही हस्तलिखित पत्रिका 'हस्ताक्षर' के पंद्रह अंकों की यात्रा पूरी होने के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर पत्रिका के नए अंक का लोकार्पण भी किया। पत्रिका की संपादक डॉ रचना सिंह ने 'हस्ताक्षर' के आगामी अंकों की योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि पत्रिका के सारे काम हाथ से करने के पीछे उद्देश्य नयी पीढ़ी में श्रम के प्रति आस्था पैदा करना और समकालीन लेखन के प्रतिनिधि लेखकों से सीधा जुड़ाव महसूस करने का था। 'हस्ताक्षर' के प्रत्येक अंक में किसी लेखक की हस्तलिपि में उनकी प्रतिनिधि रचनाएँ प्रकाशित की जाती हैं। 

उन्होंने बताया कि नए अंक में चंद्रकांत देवताले और मृदुला गर्ग की रचनाओं के साथ वीरेन डंगवाल से हस्ताक्षर के पाठकों की एक आत्मीय बातचीत भी दी गई है। इससे पहले स्वागत करते हुए विभाग के आचार्य रामेश्वर राय ने 'हस्ताक्षर' के इतिहास को साझा किया। उन्होंने कहा कि यह एक झरोखा है जिसके माध्यम से विभाग की रचनात्मक संभावनाओं को देखा जा सकता है। अध्यक्षता कर रही महादियालय की प्राचार्या डॉ अंजू श्रीवास्तव ने कहा कि 'हस्ताक्षर' जैसी पत्रिकाएं आज के मशीनी समय में दुर्लभ हैं और केवल प्रस्तुति के कारण ही नहीं अपितु अंतर्वस्तु से भी इसकी पहचान व्यापक पाठक वर्ग में बनी है। विभाग के प्रभारी डॉ पल्लव ने बताया कि व्यापक पाठक वर्ग तक पत्रिका की पहुँच बनाने के लिए वेब जैसे आधुनिक माध्यमों पर भी इसे उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 'हस्ताक्षर' के माध्यम से युवा समुदाय को अपने समय के असली सवालों को पहचानने की कोशिश विभाग कर रहा है। आयोजन में विभाग के प्राध्यापक डॉ अभय रंजन, डॉ हरीन्द्र कुमार, डॉ अरविन्द सम्बल,डॉ नीलम सिंह, डॉ राजीव कुमार, डॉ मिहिर पंड्या, डॉ प्रवीण कुमार सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे। 

 

संपर्क
रचना सिंह 
संपादक, हस्ताक्षर 
हिन्दी विभाग, हिन्दू कालेज, दिल्ली 

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