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एक कलाकार की सच्ची कहानी पर आधारित फिल्म ‘तीन ताल’

नई दिल्ली। बाॅलीवुड में विभिन्न विषयों पर फिल्में बनती रही हैं जिनके माध्यम से समाज का आईना दर्शकों को दिखाने का प्रयास किया गया है। कुछ फिल्में ऐसी भी आयी हैं जिन्होंने दर्शकों को प्रख्यात सेलीब्रिटी, खिलाड़ियों, कलाकारों की ज़िंदगी या समाज में विराजमान कुरीतियों को रूपहले पर्दे पर उतारा गया है।

किसी व्यक्ति विशेष के जीवन को पर्दे पर दर्शाती एक फिल्म है ‘तीन ताल’। शकीरूल आलम पिक्चर्स के बैनर तले निर्मित इस फिल्म में दिल्ली के शास्त्रीय तबला वादक, अत्तर सिंह चैधरी की सच्ची कहानी को केन्द्र बनाया गया है। फिल्म में उनके पुत्र गौरव चैधरी, दिल्ली की माॅडल से अभिनेत्री बनी बरखा शर्मा, गिटार वादक शिवन ठुकराल और शकीरूल आलम जो कि फिल्म के निर्देशक भी हैं आदि प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आयेंगे और श्री अत्तर सिंह चैधरी की कहानी को रूपहले पर्दे पर दिखाने का प्रयास करेंगे।

फिल्म के विषय में आवाम को रूबरू करने के उद्देश्य से फिल्म की टीम आज दिल्ली स्थित एफएलवाईपी एम टीवी कैफे पहुंची और पत्रकारों से रूबरू हुई। जिसके उपरान्त आज फिल्म डिविज़न आॅडीटोरियम में फिल्म की स्क्रीनिंग भी आयोजित की गयी।

फिल्म के विषय में बताते हुए शकीरूल आलम ने बताया कि हमारी यह फिल्म एक युवा फिल्म है, जिसमें पूरी टीम नयी है। फिल्म की कहानी दिल्ली में रची-बसी है जहां 1970 और आज के समय को दर्शाते हुए एक शास्त्रीय तबला वादक अत्तर सिंह चैधरी के जीवन को हमने केन्द्र बनाया है। उन्होंने बताया कि शायद यह पहला ही अवसर है जब एक कलाकार के जीवन पर बुनी कहानी को उसी कलाकार का बेटा पर्दे पर जीवंत करता नज़र आयेगा और वह भी दोहरी भूमिकाओं में जहां पहले स्वयं के पिता और फिर अपने किरदार में।

वहीं गौरव चैधरी ने बताया कि मैं 15 वर्ष का था जब मेरे पिता चल बसे थे तो मैंने उनके साथ ज्यादा समय तो नहीं बताया लेकिन हमारा प्रयास रहा है कि हम उनके जीवन को ठीक उसी तरह से जीवंत कर सकें जैसा कि उन्होंने जिया था। उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना किया था और अपनी संगीत शैली व जीने की कला को प्रसार करना चाहते थे। ‘तीन ताल’ में उनके शुरूआती दिनों से लेकिन अंतिम क्षणों को दिखाने का प्रयास किया है हमने। उनके द्वारा झेली गयी कठिनाईयों से लेकर अपनी कला के प्रसार का सपना अमर करना जो अधूरा रह गया और उनके बाद रवि शंकर चैधरी और गौरव ने किस तरह उस सपने को जीवंत करने की कोशिश की है।

बरखा शर्मा ने बताया कि मैं एक साधारण लड़की की भूमिका में हूं जहां मैं एंकरिंग कर रही हूं। हम लोगों के बीच संस्कृति की महक, परिवार का महत्व खो गया है, माता-पिता के सपने पीछे छूट गये हैं ऐसे में यह फिल्म एक सशक्त संदेश देने का प्रयास है कि यदि व्यक्ति चाहे तो किस तरह वह अपने माता-पिता की धरोहर को आगे ले जा सकता है।

शिवन ठुकराल, जो एक गिटारिस्ट हैं ने बताया कि मेरा किरदार थोड़ा नकारात्मक शेड लिये हुए है जहां मैं गौरव से ईष्र्या करता हूं और उसकी राह में रोड़े खड़े करता हूं। काफी मेहनत के साथ हमने एक सपने का सच करने का प्रयास किया है और उम्मीद है दर्शकों को हमारी मेहनत व फिल्म पसन्द आयेगी।

मौके पर फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर राकेश जैन भी उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि जब मैं शकीरूल से मिला था तो मुझे बहुत सकारात्मक अहसास हुआ और मैंने अपनी तरफ से जो भी सर्वश्रेष्ठ सहयोग किया जा सकता है वह करने का निश्चय किया। हमारी फिल्म आज रिलीज हो रही है और हमें अच्छे थियेटर मिले हैं, जिसके चलते उम्मीद है कि हमारी मेहनत सफल रहेगी और जो सच्चा प्रयास फिल्म की टीम ने किया है वह उस पर खरा उतरेंगे।

तीन ताल अपनी तरह की पहली फिल्म है जहां एक सशक्त प्रेरणादायक संदेश, तेजस्वी छायांकन, दिल को छूता संगीत मौजूद है और एक नवोदित युवा टीम, जिसने सशक्त प्रयास किया है रूपहले पर्दे पर एक कलाकार की जीवनी जीवंत करने का।