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क्रोएशिया के इंडोलॉजी विभाग में हिंदी एवं भारतीय संविधान दिवस का भव्य आयोजन

इंडोलॉजी विभाग एवं भारतीय दूतावास के संयुक्त तत्त्वावधान में पिछले दिनों हिंदी एवं भारतीय संविधान दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री संदीप कुमार ,भारतीय राजदूत , प्रो. होल्जएवाक, कार्यकारी अधिष्ठाता मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय, डॉ. इवान अध्यक्ष इंडोलॉजी विभाग आदि अतिथियों के दीप प्रज्जवलन एवं अतिथि आचार्य हिंदी प्रो.रवींद्रनाथ मिश्र द्वारा मां सरस्वती की वंदना तथा छात्रा कुमारी माया रम्भा के भरतनाट्यम नृत्य से हुआ।

प्रो. मिश्र ने उद्घाटन सत्र का संचालन करते हुए सभी गणमान्य अतिथियों और विद्यार्थियों का स्वागत किया। तदुपरांत हिंदी एवं संविधान दिवस के स्वरूप एवं महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत और क्रोएशिया ने गुलामी के दंश को झेला है लेकिन भाषाई स्तर पर दोनों में असमानता है। क्रोएशिया की भाषा आजादी के पूर्व सर्बो क्रोएशियन थी और बाद में क्रोएशियन। इसमें कोई विशेष अंतर नहीं है। भारत में आजादी के बाद भी कुछ समय तक राजकाज की भाषा अंग्रेजी और हिंदी को सहभाषा का दर्जा दिया गया। हिंदी को वैश्विक रूप देने के लिए यहां हिंदी दिवस मनाने की सार्थकता और बढ़ जाती है। इस संदर्भ में प्रो. मिश्र ने हिंदी और संविधान के विविध पहलुओं की चर्चा की।

इसके पश्चात उन्होंने सभी अतिथियों को क्रमशः वक्तव्य के लिए आमंत्रित किया। डॉ. इवान ने अपना वक्तव्य हिंदी में शुरू करते हुए दूतावास के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजी में भारतीय संविधान के विषय में बताया कि इसमें विभिन्न धर्म ,जाति ,वर्ग ,सम्प्रदाय आदि के लिए सामाजिक ,राजनैतिक ,धार्मिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में समान अवसर की बात कही गई गयी है। तत्पश्चात भारतीय संविधान के प्रमुख बिंदुओं की चर्चा की। भारतीय दूतावास के श्री अंकुर ने संविधान के संदर्भ में संक्षिप्त वृत्तचित्र प्रस्तुत किया।

प्रो. होल्जएवाक ने कहा कि मुझे खुशी है कि इंडोलॉजी विभाग भारतीय भाषा ,साहित्य एवं संस्कृति के प्रचार में संलग्न है। मेरी शुभकामना है कि विभाग आगे भी इसी प्रकार का कार्य करता रहेगा। उन्होंने इंडोलॉजी विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों की सराहना की। श्री संदीप कुमार ने कहा कि विगत कई वर्षों से इंडोलॉजी विभाग दूतावास के सहयोग से ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। यह हमसब के लिए प्रसन्नता की बात है। इससे क्रोएशिया में हिंदी भाषा और संस्कृति के प्रचार को बल मिलेगा। हमारे बीच सदभाव और मैत्री विकसित होगी। मुझे यह जानकार प्रसन्नता हुई कि क्रोएशिया से कई टीचर भारत गए और वहां से हिंदी सीखकर यहां पढा रहे हैं। संस्कृत और क्रोएशियन भाषा में कई स्तरों पर बहुत समानताएं भी हैं। मैं चाहता हूँ कि इंडोलॉजी विभाग क्रोएशिया के पुला ,रियेका एवं अन्य विश्वविद्यालयों से तालमेल कर भाषा और संस्कृति का प्रचार -प्रसार करें। इस दिशा में प्रो. रवींद्रनाथ मिश्र ने पुला और रियेका विश्वविद्यालय में व्याख्यान देकर पहल की है। इसके साथ ही भारतीय दूतावास भविष्य में ऐसे कार्यों हेतु हमेशा सहयोग के लिए तत्पर रहेगा।

कुमारी लावरा ने क्रोएशिया में हिंदी भाषा के स्वरूप एवं महत्व की चर्चा करते हुए विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग कार्यक्रम का संचालन किया । सबसे पहले प्रथम, तृतीय एवं चतुर्थ वर्ष की कुमारी पाउलीना पुसिक, एमा वेसेलिनोविक, अन्या ,दोरोतया एवं इवाना ने क्रमश: हिंदी कविता पाठ, कुमारी पेत्रा सेरबेतर और मार्सेला ड्रैगनिक ने हिंदी में संवाद प्रस्तुत किया। तत्पश्चात एकल गीत कुमारी मगदालेना एवं समूह गीत इवाना कॉस्टिक ,माटा ज़रिनसिक ,रंभा माया ,वालेन्तीना, अन्या आदि ने गाया। इसके तुरन्त बाद एक समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया। प्रो. रवींद्रनाथ मिश्र द्वारा निर्देशित ” काश, मैं मोटर साइकिल होता ” (श्रीलाल शुक्ल ) व्यंग्य निबंध का नाट्यरूपांतर कुमारी मिआ , कारला , वेलेंटीना ,माया रम्भा , कुमारी मगदालेना, डोरोतया एवं इवाना द्वारा मंचित किया गया। अंत में वंदे ! मातरम् समूह नृत्य कुमारी पेत्रा मार्किट लुकास ,तजना अब्रामोविक ,मरीना बुबीसीसी ,मरिज पव्लोस्क ,मिया स्तुविकार, मातेज दाबो, वालेन्तीना बेल्जक, पेत्रा सेमिगा आदि के द्वारा प्रस्तुत किया गया। प्रो. रवींद्रनाथ मिश्र एवं कुमारी लावरा द्वारा क्रमशः हिंदी एवं क्रोएशियन भाषा में आभार ज्ञापन एवं राष्ट्रगीत के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ। इस अवसर पर विभाग के प्राध्यापक श्री क्रेशो ,प्राध्यापिका सुश्री विश्या ,सुश्री कटरीना, प्रकल्प शोधकर्त्री सुश्री मारियाना तथा दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी श्री महेन्द्र सिंह पटियाल ,श्री नरूला , श्री एवं श्रीमती वशिष्ठ एवं अन्य कर्मचारी श्री कुलदीप, श्री हरशरण सिंह , श्री एलेन तथा भारी संख्या में विद्यार्थी एवं अन्य हिंदी प्रेमी उपस्थित थे।

(रवींद्रनाथ मिश्र ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय क्रोएशिया के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय इंडोलॉजी विभाग में हैं )

प्रेषक​
डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’
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