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ओमान से एक हिंदी शिक्षक की गुहार

जैसे मैं पहले लिख चुका हूँ सीबीएसई से सम्बद्ध इंडियन स्कूल निजवा ओमान से हिन्दी भाषी हिन्दी शिक्षक – शिक्षिकाओं को षड्यंत्र करके हंटाकर हिन्दी भाषा को कमजोर किया जा रहा है। ये बातें लिखने पर स्कूल वाले जेल में बंद करवा देने की धमकियाँ दे रहे हैं। हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति को बंचाने में सहायता कीजिए।

1 अप्रैल को एम्बेसडर साहब ने मुझे मिलने का समय दिया था। निज़वा से मिलने के लिए हम दोनों गये थे पर अचानक सर की कोई मीटिंग आ गई तो पूरी बात नहीं हो पाई। उन्हें बताना चाहता हूँ :– निज़वा की समस्या के लिए जिम्मेदार प्रिंसिपल जॉन डोमनिक प्रिंसिपल के लायक योग्यता – अनुभव नहीं रखते हैं। प्रेसिडेंट नौशाद काकेरी कम पढ़े – लिखे छोटे बिजनेस मैन हैं, जिनके बच्चे लगभग 2 साल पहले ISN से टीसी ले चुके हैं। ऐसे अरुण प्रसाद और मुफीद साहब भी प्रिंसिपल की संकुचित धारणा के समर्थन के लिए कमेटी में हैं — इन्हीं सबसे तंग आकर अत्यंत अनुभवी और योग्य पुराने प्रेसीडेंट डॉक्टर जुनैद – अनुपमा मैम और फरकत उल्लाह सर कमेटी से रिजाइन कर दिया है। (उन्होंने कई बार प्रिंसिपल की समस्याओं को BOD में भेजा था, पर कोई सुनवाई नहीं हुई।) – डॉक्टर जुनैद की कमेटी के सभी लोग, जब वो लोग कमेटी चला रहे थे, टीचर्स के निवेदन पर HOD – Incharges को बदलने की बात की थी, पर प्रिंसिपल ने किसी की बात नहीं मानी और पब्लिकली सभी स्टाफ के सामने मना कर दिया। आज उन्हीं अयोग्यों की टीम बनाकर प्रिंसिपल सर राजनीति कर रहे हैं —

प्रिंसिपल के आने से पहले ISN में रियाल्स की कमी नहीं रहती थी – बोर्ड में बच्चे फेल नहीं होते थे सब मिलकर काम करते थे। मेरे मेंटर फहीम सर हैं पर आज प्रिंसिपल मेरे बारे में against the community का झूठा प्रचार करते हैं क्योंकि सबसे जूनियर अपेक्षाकृत अनुभवहीन रूना फातिमा को हिन्दी एचओडी कैसे बनाए हैं – मैंने ये प्रश्न कर दिया था – ये निवेदन दिसंबर 2019 में ऐम्बेसडर साहब से मिलने पर और पुराने प्रिंसिपल – प्रेसीडेंट को भी भेजा था तब तो ये प्रश्न इस श्रेणी में नहीं आया था ? — जिससे सभी दुखी हुए पर प्रिंसिपल के साथ पूरा बीओडी ऑफिस है ये सोचकर सभी चुप रह गए। बोर्ड रिजल्ट्स जो कि इस बार का सबसे खराब आया है, स्कूल में लगाया जाए ऐसे निर्देश को जो कि उस समय के अकेडेमिक कोऑर्डिनेटर अनुपमा मैम ने सुझाव दिया था, उनकी बात भी प्रिंसिपल ने नहीं मानी थी। इसलिए अनुपमा मैम ने दुखी होकर रिजाइन कर दिया।

2015 में मेरे ज्वाइन करने के बाद 7 हिन्दी शिक्षक – शिक्षिकाएँ थीं। डॉक्टर अशोक कुमार तिवारी, हिन्दी विभागाध्यक्ष, सुनंदा तिवारी , शोभा मैम , हिना आलम, प्रियदर्शिनी मैम, प्रमोद तिवारी, रूना फातिमा ( रूना फातिमा के अतिरिक्त सभी गैर मलयाली थे। आज केवल रूना फातिमा एकमात्र हिन्दी शिक्षिका ISN में बची हुई हैं। बाकी सभी को षड्यंत्र करके हटा दिया गया है ।) स्कूल के 53 टीचर्स तथा हिन्दी पढ़ने वाले बच्चों के पैरेंट्स के लिखित निवेदन पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 25 फरवरी की इन्क्वायरी रिपोर्ट भी अभी तक नहीं आई है।

डॉ. अशोक कुमार तिवारी

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साभार- वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई से
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