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बाबा जगुरूदेव के करोड़ों हड़प लिए सपा के एक मंत्री ने

धर्म गुरु बाबा जय गुरुदेव की मृत्यु से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। जय गुरुदेव ट्रस्ट के प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष कुंवर रामप्रताप सिंह ने गुरुदेव की मौत की जांच की सीबीआई से जांच की मांग करते हुए उत्तर प्रदेश के एक पूर्व मंत्री पर साजिश करने का आरोप लगाया है। सिंह ने आरोप लगाया है कि अखिलेश यादव सरकार के इस दबंग समझे जाने वाले मंत्री ने जय गुरुदेव के कोषागार में रखे हजार करोड़ रुपये ले लिए हैं। जय गुरुदेव इस समिति के अध्यक्ष थे। जय गुरुदेव का जन्म यूपी के इटावा में 1896 में हुआ था। उनका देहांत मथुरा में 18 मई 2012 को हुआ।

रामप्रताप सिंह का आरोप है कि “मृत्यु के बाद जहां जय गुरुदेव ने अंतिम संस्कार का निर्देश दिया था, उनका अंतिम संस्कार वहां न कर सड़क के दूसरी ओर सरकारी पट्टे की ज़मीन पर किया गया क्योंकि निर्देशित ज़मीन के निकट ही उनका कोषागार था जहां सेवा यानि दान के कई हजार करोड़ रुपए रखे थे। जो पुलिस लगा कर बाद में कई एम्बुलेंस में भरकर मंत्री के इशारे पर उनके ड्राइवर द्वारा ठिकाने लगा दिए गए।”

सिंह का आरोप है कि यदि निर्देशित भूमि पर अंतिम संस्कार होता तो वो लोग भारी भीड़ के कारण धन वहां से निकाल न पाते। सिंह के अनुसार, “अस्पताल जाने से पहले बाबा बिलकुल ठीक थे। वो मई की भीषण गर्मी में स्वयं उपस्थित होकर आश्रम के खेतों से लगी चारदिवारियों की मरम्मत करा रहे थे। अचानक सात तारीख़ को नियमित जाँच के लिए वो गुड़गाँव के सेठी अस्पताल गए। जहाँ से एक दिन में वो स्वस्थ बाहर आ गए। आगे की जांच के लिए उन्हें ज़बरदस्ती मेदांता में भर्ती कर वेंटिलेटर पर चढ़ा दिया गया। उनकी कलाइयों और पैरों पर गहरे काले निशान भी हाथ पैर बँधे होने की तस्दीक़ करते हैं।”

जय गुरुदेव “जय गुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था” ट्रस्ट के संस्थापक थे। उनके ट्रस्ट के पास दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे के किनारे सैकड़ों एकड़ जमीन है। जय गुरुदेव की मृत्यु के बाद उनकी ट्रस्ट की जमीन-जायदाद के लिए विवाद पहले भी हुए हैं। पिछले साल मथुरा में जवाहरबाग विवाद में चर्चित हुए रामवृक्ष यादव भी जयगुरुदेव का शिष्य था। यादव ने भी जयगुरुदेव की मृत्यु की जांच की मांग की थी। इससे पहले जय गुरुदेव तब भी विवाद में आए थे जब इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें जेल भिजवा दिया था। उन्हें 22 जून 1975 में गिरफ्तार किया गया और वो 23 मार्च 1977 को रिहा हुए।

साभार- इंडियन एक्सप्रेस से