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40 साल बाद गोद लिए बेटे ने विदेश से आकर खोज निकाली अपनी असली माँ

दुनिया में कोई भी चीज़ मां की कमी दूर नहीं कर सकती. तभी तो एक शख्‍स सात समंदर पार कर भारत सिर्फ इसलिए आया ताकि वह 41 साल पहले बिछड़ी अपनी मां से मिल सके. जी हां, डेनमार्क के रहने वाले डेविड नील्सन 41 साल बाद अपनी सगी मां से मिले और यह पल उनके लिए बेहद खास था. दरअसल, डेविड नील्सन पिछले 6 सालों से अपनी मां (धनलक्ष्मी) की खोज कर रहे थे. इसके बाद उन्हें पता चला कि उनकी मां मनाली में रहती हैं. फिर क्‍या था वह अपनी मां से मिलने मनाली पहुंच गए. अपने बेटे से इतने सालों बाद मिलने पर महिला डेनमार्क में रहने वाले डेविड को ”मेरा बेटा, मेरा बेटा” कहती रही.

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक डेविड अपनी मां के साथ तमिलनडु के पल्‍लावरम के एक चाइल्ड होम में रहते थे. चाइल्ड होम ने डेविड की मां को बताए बिना उसे गोद दिए जाने वाले बच्चों की सूची में शामिल कर लिया और जब डेविड 2 साल का था तब उसे डेनमार्क के एक कपल ने गोद ले लिया. डेविड अब 43 साल के हैं और पेशे से बॉन्ड ट्रेडर हैं. बता दें, डेविड ने अपनी मां को एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर की मदद से ढूंढा.

डेविड नील्सन ने कहा, “यह मेरे लिए बहुत ही भावनात्मक पल है.” आपको बता दें कि डेविड ने अपने दोस्तों और वकीलों की मदद से अपनी मां को ढूंढा. इसमें एक्टिविस्ट अंजली पवार और अरुण ढोले ने भी उनकी मदद की. ढोले ने ही उनकी मां की जानकारी प्राप्त की थी, जिसके बाद से अब वह दूसरे लोगों की इस काम में मदद करने लगे हैं.

डेविड ने पहली बार अपनी मां से अक्टूबर में वीडियो कॉल के जरिए बात की थी. बता दें, धनलक्ष्मी मनाली में लोगों के घरों में काम करती हैं और वह अपने सबसे छोटे बेटे सरवनन के साथ रहती हैं. चेन्नई कॉर्पोरेशन के रिकॉर्ड के मुताबिक डेविड का जन्म 3 अगस्त 1976 को हुआ था और उनके माता पिता का नाम धनलक्ष्मी और कालियामूर्ती है.

धनलक्ष्मी और उनके पति काफी गरीब थे इसलिए उन्होंने अपने 2 बेटों को पल्लवरम के चाइल्ड होम में दे दिया और वह खुद भी वहीं रहने लगी थी. एक दिन वहां के प्रशासन ने धनलक्ष्मी को चाइल्ड होम छोड़ने के लिए कहा और वह जाने से पहले अपने बच्चों को लेने गईं तो उन्हें बताया गया कि उनके बच्चों को गोद ले लिया गया है.

हालांकि, उन्हें बताया गया था कि डेनमार्क में उनके बच्चों को अच्छी जिंदगी मिलेगी. अपनी मां को ढूंढने के बाद डेविड को अपने बड़े भाई रंजन के बारे में पता चला. उसे भी डेनमार्क के एक परिवार ने गोद लिया था और अब उसका नाम मार्टिन मैनुअल रासमुसेन है.