मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में विशेष थीम “अमृत काल में भारत” के अंतर्गत 6 फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी

विकसित राष्ट्र के लिए विचारों और साझी प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के लिए, मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) के 18वें संस्करण में इस वर्ष की विशेष थीम “अमृत काल में भारत” के अंतर्गत छह चुनिंदा फिल्मों का गुलदस्‍ता पेश किया जाएगा। प्रदर्शित की जाने वाली छह असाधारण फिल्में भारत की प्रगति, विकास और समृद्धि को दर्शाएंगी।

प्रत्‍येक वर्ष, राष्ट्रीय प्रतियोगिता श्रेणी के तहत इस खंड के लिए एक विशेष थीम का चयन किया जाता है। एमआईएफएफ के 18वें संस्करण की थीम “अमृत काल में भारत” है। विजेता को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र के साथ 1 लाख रुपये की नकद राशि प्रदान की जाएगी।

18वें एमआईएफएफ के लिए राष्ट्रीय प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में एडेल सीलमैन-एगबर्ट, डॉ. बॉबी सरमा बरुआ, अपूर्वा बख्शी, मुंजाल श्रॉफ और अन्ना हेनकेल-डोनरस्मार्क जैसे उल्लेखनीय नाम शामिल हैं, जो सर्वश्रेष्ठ भारतीय वृत्तचित्र, लघु फिल्म, एनिमेशन, सर्वश्रेष्ठ डेब्यू फिल्म पुरस्कार (महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रायोजित) और सर्वश्रेष्ठ छात्र फिल्म पुरस्कार (आईडीपीए द्वारा प्रायोजित) के अतिरिक्‍त कई तकनीकी पुरस्कार और “अमृत काल में भारत” पर सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म के लिए एक विशेष पुरस्कार प्रदान करेंगे।

“अमृत काल में भारत” श्रेणी हेतु सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म के लिए विशेष पुरस्कार के तहत चयनित फिल्में

1. अजय ध्वजा
यह संगीत वीडियो किसी के देश के प्रति देशभक्तिपूर्ण श्रद्धांजलि है, जो उसके प्रति गहरे जुड़ाव और गर्व को दर्शाता है। यह बलिदान करने और राष्ट्र के कल्याण का समारोह मनाने की प्रतिबद्धता को व्यक्त करता है। “अपनी मिट्टी से निर्मित” होने की कल्पना भूमि से प्राप्त होने वाले अपनेपन और पहचान की भावना को रेखांकित करती है।

ओनाके ओबव्वा
ओनाके ओबव्वा एक बहादुर महिला ओनाके के बारे में एक फिल्म है। जब हैदर अली ने चित्रदुर्ग किले की दीवारों को तोड़ने के लिए बार-बार प्रयास किए, तो उन्हें डटकर विरोध का सामना करना पड़ा। जब हैदर अली की सेना किले के साधारण कर्मचारियों के वेश में एक गुप्त मार्ग तक पहुंचने में सफल रही, तो एक साधारण गृहिणी ओबव्वा ने पाया कि घुसपैठिए गुप्त मार्ग से घुस रहे हैं। बिना किसी हिचकिचाहट के, उसने एक अपरंपरागत हथियार के रूप में पास में पड़े एक ओनाके, एक आम मूसल को उठाया और एक-एक करके घुसपैठियों का सामना किया और बड़ी कुशलता से अपने मूसल का घातक उपयोग कर उन्‍हें पीछे खदेड़ दिया।

एवरीव्‍हेयर
फिल्म एवरीव्हेयर हमारी फास्ट फैशन लाइफस्टाइल की चर्चा करती है, जहां हम जितना हो सके, उतना उपभोग करने की इच्छा से प्रेरित होते हैं। हम अपने कपड़ों के अवयवों  के बारे में अनभिज्ञ हैं- जिनमें से अधिकांश पॉलिमर से बने होते हैं। जब किसी कपड़े का जीवन काल समाप्‍त हो जाता है, तो उसे लैंडफिल में दफना दिया जाता है। यह फिल्म हमें अहमदाबाद के सबसे बड़े लैंडफिल पिराना में ले जाती है, जहां किरदारों को अस्‍थायी फैशन के प्रभावों को दर्शाने के लिए प्लास्टिक का आवरण पहनाया जाता है।

इंडिया-होप्‍स 24

विभिन्न पीढ़ियों के भारतीय, देश भर में 2024 में भारत के लिए अपनी आशाओं के बारे में, उस भाषा में बात करते हैं जिसमें वे सबसे अधिक सहज हैं। हमारे देश भर के दृश्यों की एक चित्रावली के साथ, यह फिल्म भारत की गौरवशाली विविधता के प्रति एक श्रद्धांजलि है।

मोरिंगा-नेचर्स पैनसीअ (रामबाण दवा)
मोरिंगा का पेड़ (मोरिंगा ओलीफेरा) ‘अमृत काल’ में सुपर फूड के स्रोत के रूप में उभर रहा है। मोरिंगा के पत्ते में कुपोषण उन्मूलन कार्यक्रमों में शामिल किए जाने की अच्छी संभावना है क्योंकि यह पोषक तत्वों से भरपूर है और पोषण संबंधी सप्लीमेंट्स की तुलना में सस्ता है। यह वृत्तचित्र फिल्म मोरिंगा के लाभों और एक लाभदायक फसल के रूप में इसकी संभावना का पता लगाती है जो जलवायु परिवर्तन का सामना कर सकती है और विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकती है।

बिगारी कामगार
यह लघु वृत्तचित्र फिल्म भारत के पुणे में सफाई कर्मचारियों के चुनौतीपूर्ण जीवन पर प्रकाश डालती है, जिसमें एक मध्यम आयु वर्ग की महिला कर्मचारी के अनुभवों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उनकी कहानी के माध्यम से, फिल्म इन श्रमिकों द्वारा सामना किए जाने वाले दैनिक संघर्षों और समस्याओं को उजागर करती है, उनकी कार्य स्थितियों और समुदाय के अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं पर प्रकाश डालती है। यह अपशिष्ट निपटान के प्रति स्थानीय निवासियों के दृष्टिकोण को भी प्रदर्शित करती है।

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