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सामाजिक प्रासंगिकता के समकालीन मुद्दों की व्याख्या का प्रयास करती चित्र प्रदर्शनी ‘पैनोरमा 6’

नई दिल्ली। कला एक ऐसा माध्यम है जो न केवल कलाकार की काल्पनिक सोच को कैनवास पर उतारता है बल्कि यह वह अनुभव है जो सामाजिक स्तर पर विद्यमान मुद्दों को भी रंग, आकार और भावनाओं के माध्यम से सशक्त रूप में उतारने में सक्षम है। यही रंग, आकार और भावनायें एक कलाकार की पहचान होती है, जिसका बखूबी प्रदर्शनी राजधानी स्थित ललित कला अकादमी में आयोजित की गयी चित्र प्रदर्शनी में देखने को मिलता है। सीम्स द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी ‘पैनारमा 6’ की क्यूरेटर हैं प्रियंका बनर्जी और इसमें लगभग 23 कलाकार शामिल हैं। 4 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जाने-माने कलाकार व पद्मश्री अवार्ड विजेता श्री बिमन बी. दास ने।

‘पैनोरमा’ नारीवाद, आध्यात्मिक सद्भाव व जानवरों के एथिकल ट्रीटमेंट जैसे समकालीन मुद्दों पर सामाजिक प्रासंगिकता की जानकारी देता है। उदाहरण के तौर पर हम देख सकते हैं कि किस तरह प्रकृति को वनस्पति व जीव के परस्पर सहजीवी सम्बंध के माध्यम से दिखाया गया है। शहरी व औद्योगीकरण ने किस तरह से इकोसिस्टम की प्राकृतिक परत का शोषण किया है और इसकी जागरूकता हमारी सामूहिक चेतना को जगाने के लिए सर्वोपरि है। सभी कलाकारों ने मिलकर ऐसे विषयों का चुना है जिन्होंने समाज का प्रभावित किया है, ऐसे में उनका कैनवास सम्भावनाओं को प्रदर्शित करने की कुंजी साबित हो सकता है।

प्रियंका बनर्जी बताती हैं कि जिस तरह से पैनारमा किसी भी वस्तु विशेष का व्यापक प्रतिनिधित्व है। ठीक उसी तरह इस प्रदर्शनी विभिन्न कMalini Awasthi, Archana Das, Biman B Das, Priyanka Banerjeeलाकारों की सोच का व्यापर परिदृष्य है। यहां प्रदर्शित आर्टवर्क ज्वलंग स्ट्रोक हैं, जिनमें कुछ मौन व कुछ जीवंत भाव से सशक्त अनुभव प्रदान करते हैं।

प्रियंका बनर्जी उभरती प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों हेतु जानी जाती हैं और पैनोरमा के जरिये उन्होंने कई प्रयास किये हैं जिनमे न केवल नए कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है बल्कि ख्याति प्राप्त कलाकारों की कला से रूबरू होने का मौका भी मिलता है। बतौर क्यूरेटर उनका काम देश सहित विदेशों में भी प्रदर्शित हुआ है और उनकी सराहना भी हुई है।

प्रदर्शनी में लेफ्टिनेंट मानब बनर्जी, अर्चना दास, मृदुल चक्रवर्ती, काशी नाथ बोस, गणेश पांडा, रोहिणी जैन, श्याम पोरवाल, शिप्रा गुप्ता, रिंकू झा, राशिद खान, सदाफ खान, मेघना अग्रवाल, कमलनाथ, सरु शर्मा, कमलदीप कौर, स्वाति जोशी फाटक और धीरज मोदनवाल आदि कलाकारों के काम शामिल किये गये हैं।

वाटर कलर, आॅयल व पेन-पेंPrince Raj, Malini Awasthi, Priyanka Banerjee, Archana Dasसिल सहित मिक्स मीडिया व स्कल्पचर जैसे माध्यम पर आधारित इस प्रदर्शनी में कलाकारों के भाव काफी सशक्त अंदाज में प्रदर्शित किये गये हैं। मृदुल चक्रवर्ती ने मानवीय जीवन में गति को दर्शाया है। वहीं मेघना अग्रवाल की पेंटिग प्रीतकात्मक व अमूर्त रूपों में गिद्धों को चित्रित करती है। काशी नाथ ने पाॅवर व स्थायित्व विचारों को प्रदर्शित करने का प्रयास किया है। रोहिणी जैन ने अपने आस-पास की परिस्थितियों के आधार पर समय व कल्चर से परिचित तत्वों को खोजते हुए संस्कृति, लोकगीत व इतिहास की बारीकियों को व्यक्त करने व नई शब्दावली बनाने का प्रयास किया है।