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विक्रमादित्य ने कराया था विलुप्त हो चुके श्रीराम जन्म मंदिर पुनर्निर्माण
इस संबंध में हैमिल्टन नामक विद्वान ने अपनी पुस्तक ‘वॉकिंग ऑफ द वर्ल्ड’ में लिखा है-‘मुसलमानी शासनकाल में अयोध्या के प्रसिद्ध नागेश्वरनाथ के मंदिर को गिरवाकर वहां मस्जिद खड़ी करने के विचार से दो बार आक्रमण किये गये, मगर वे नाकामयाब रहे।’
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सर्पदंश :हर दस मिनिट में असमय मरता एक गरीब भारतीय
संभवत इसीलिये अन्य बीमारियों या कैज्युल्टी की तुलना में सर्पदंश को लेकर सरकार गंभीर नहीं हैं।बेहतर होगा देश की मौजूदा स्वास्थ्य नीति में सर्पदंश को दुर्घटनाजन्य चिकित्सा सुविधा के दायरे से बाहर निकालकर स्थाई इलाज के मैदानी
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एल्विन:एक खलनायक जिसने भारत की वनवासी अस्मिता को खंडित किया…!
वह एक कट्टर ईसाई और मिशनरीज में प्रमाणिक प्रशिक्षण प्राप्त अंग्रेज था।उसका मिशन घोषित रूप से भारत मे वनवासियों की सँस्कृति को ईसाइयत के रंग में रँगकर औपनिवेशिक जड़ों को मजबूत करना था।
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भरोसे की जमीन तलाशते पुलिस और नागरिक सबंध..!
समझा जा सकता है कि हमारे देश की पुलिस को नए जमाने के अनुरूप सामाजिक और सुसंगत बनाने के लिये हमारी सरकारें कितनी फिक्रमंद है।बंगाल जैसे राज्य में आज 2 लाख 32 हजार 896 ग्रामीण आबादी
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संविधान में संजोए गए 22 चित्रों का क्या महत्व है हमारे लिये?
दलित वर्ग को यह भय अक्सर दिखाया जाता रहा है कि कतिपय मनुवादी मानसिकता आरक्षण को खत्म कर बाबा साहब के बनाये संविधान को बदलना चाहती है लेकिन कभी इस प्रश्न को नही उठाया जाता कि मूल संविधान के साथ बुनियादी छेड़छाड़ क्यों और किस मानसिकता के साथ की गई है?
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अफसरशाही की वजह से देश का मैदानी प्रशासन तंत्र बुरी तरह से फेल हो चुका है
मप्र में पिछली बीजेपी सरकार द्वारा शुरू की गई "संबल योजना" में लगभग 80 फीसदी हितग्राहियों को हटाने की करवाई कमलनाथ सरकार कर रही है।
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यौन शोषण से टूटता पारिवारिक और समाजिक ताना-बाना
महात्मा गांधी की यह बात आज भारत के लोकजीवन में इसलिये प्रासंगिक हो रही है क्योंकि इस देश में बचपन आज यौन आक्रमण से बुरी तरह भयाक्रान्त है।राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के ताजा आंकड़े उस भारतीय लोकजीवन की मर्यादाओं औऱ सयंमित प्रेरणाओं को कटघरे में खड़ा कर रहा है जिसने पूरी दुनिया को रिश्तों की परिभाषा दी।
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ईयू सांसदों के चरित्रहनन की दुर्भाग्यपूर्ण राजनीति
कश्मीर दौरे पर आए यूरोपियन यूनियन के संसदीय प्रतिनिधि मंडल को लेकर जो विवाद की स्थिति देश के राजनीतिक एवं मीडिया जगत में देखी गई वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
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सीएम और सचिवालय से हारता मंत्री पद ?
बीजेपी की राज्य की सरकारों के कामकाज के परीक्षण या सोशलऑडिट की कोई प्रमाणिक व्यवस्था दुनियां की सबसे बड़ी पार्टी के अंदर मौजूद नही है।
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चिकित्सा शिक्षा में फैकल्टी की कमी पूरा कर सकते है 70 हजार डिप्लोमा डॉक्टर्स
।इस प्रावधान के चलते देश भर में चिकित्सा शिक्षकों का अकाल इसलिए है क्योंकि कोई भी क्लिनिकल प्रेक्टिस वाला डॉक्टर अपनी मोटी कमाई खुले बाजार में करने की जगह सरकारी सिस्टम में अफसरशाही से अपमानित होने के लिये नही आना चाहता है।