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बाबा रामदेव क्या पतंजलि में अंग्रेजों का कब्जा हो गया है

पतंजलि के सभी उत्पादों पर अंग्रेजी प्राथमिक भाषा बन गयी है कई उत्पादों से हिंदी पूरी तरह गायब कर दी गयी है, पीछे खिसका दी गयी अथवा अंग्रेजी के छोटे फॉण्ट में अथवा अंग्रेजी के नीचे लिखी जा रही है जो बेहद शर्मनाक और निंदनीयहै.

क्या स्वदेशी और स्वभाषा बाबा रामदेव जीएवं आचार्य बालकृष्ण जी का केवल एक “जुमला” था ?

सभी पतंजलि उत्पादों पर भारतीय भाषाओ को शामिल करने और अंग्रेजी को कम करने का समय आ गया है.

पतंजलि की वेबसाइट और मोबाइल एप्लीकेशन में प्रमुख भारतीय भाषाओं का विकल्प नहीं जोड़ा जाता है तब तक यह मोबाइल एप आम भारतीय नागरिक के काम नहीं आ सकते है

आपकी सूचना के लिए बताना चाहता हूँ कि मैं एक वकील हूँ|

खाद्य पदार्थों पर केवल अंग्रेजी में लेबल लगाना अथवा अंग्रेजी को हिंदी से ऊपर/आगे/बड़े अक्षरों में लिखना अनिवार्य नहीं है बल्कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम २००६ के अनुसार हिंदी अथवा अंग्रेजी भाषा में लेबल बनाये जा सकते हैं.

इसका अर्थ है कि आप चाहें तो हिंदी को प्राथमिक आधार पर अथवा केवल हिंदी में लेबल बना सकते हैं| पर शायद पतंजलि के लिए हिंदी से न पहले कुछ लेना देना था और न आज है इसलिए आप बहाने बनाते रहिये|

आपने अपनी सभी वेबसाइट अंग्रेजी में बना रखी हैं, सभी छपे हुए विज्ञापनों और दूरदर्शन विज्ञापनों में बाबा जी गर्व से हिंगलिश बोलते हैं और हिंदी की चिंदी-चिंदी करते हैं, उनकी प्रतिबद्धता हिंदी के प्रति समाप्त हो गई है, यह समझ आ गया है| मिष्टी (चोकलेट), चटनी (सॉस) और सूत्रिका (नूडल) जैसे उत्पादों के लेबल तो 100% अंग्रेजी में छप रहे हैं, बधाई उसके लिए|

पेप्सी, कोका-कोला ने भारत में दशकों व्यापार करने के बाद भी अपना प्रतीक (लोगो) हिंदी में नहीं बनाया पर आपने तो PATANJALI वाले अंग्रेजी प्रतीक को बनाकर कमाल कर दिया!

जय स्वदेशी !

भवदीय

प्रवीण कुमार जैन (एमकॉम, एफसीएस, एलएलबी),

कम्पनी सचिव, वाशी, नवी मुम्बई – ४००७०३.

प्रिय पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड,