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बच्चन के बोल वचन पर उन पर ही टूट पड़े उनके ही प्रशंसक

मुंबई। अमिताभ बच्चन परेशान हैं। वे इतने तो समझदार हैं ही कि यह जानते हैं कि कुछ विषयों पर न बोलना, बोलने से ज्यादा बेहतर होता है। इसलिए, सिनेमा में ड्रग्स के मामले में वे कुछ नहीं बोले। लेकिन करे कोई भरे कोई कहावत का भुगतान कर रहे हैं। सिनेमा जगत में ड्रग्स की पोल खोलनेवालों को बुरा भला कहा उनकी पत्नी जया बच्चन ने। लेकिन भुगतना पड़ रहा है पतिदेव को। खासकर सोशल मीडिया पर बच्चन परिवार को खूब कोसा जा रहा है। अब देखिये न, हाल ही में अमिताभ बच्चन ने फेस शिल्ड पहनी अपनी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की, तो देश भर से लोग उन पर पिल पड़े। लोगों ने कुछ इसी तरह उनकी पत्नी का मुंह भी बंद करवाने की सलाह दी।

 

सोमवार की रात को अमिताभ बच्चन अपने जीवन की सारी भव बाधाओं से जूझकर और लगभग निपटकर निश्चिंत होकर सोए थे। लेकिन मंगलवार की सुबह जागे तो संसद में जया बच्चन के कहे हुए का एक जोरदार झटका उनका इंतजार कर रहा था। बीते चार दिन से जया बच्चन के बोल बवाल मचाए हुए हैं। संसद में उनकी कही, ‘कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं’, वाली बात का बतंगड़ इतना बना हुआ है कि सुन सुन कर बच्चन परिवार के कान पक गए हैं। कंगना रणौत ने तो खैर, उसी वक्त तमतमाता हुआ जवाब देकर हिसाब चुकता कर दिया था और रविकिशन भी थाली में जहर होने पर उसे उलट देने की बात कह चुके हैं। लेकिन जयाप्रदा द्वारा जया बच्चन को कोसने के बाद पूरे देश के अनेक हिस्सों से असंख्य अनजाने लोग जया बच्चन और उनके पूरे परिवार पर प्रहार कर रहे हैं। शिवसेना ने भी मौका देख, प्रतीकों की राजनीति का प्रपंच रचा और बच्चन के घर के बाहर सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद कर दी। ताकि सुरक्षा के बहाने संसार को समाचार मिले कि बच्चन परिवार के पीछे तो शिवसेना है, अब कंगना की सुरक्षा देखकर पता लगा लो, कि उसके पीछे किसकी ताकत है।

 

 

दरअसल, अपनी फेस शिल्ड पहनी मुंबई ढंकी तस्वीर में अमिताभ बच्चन ने जो लिखा था, उसका मतलब यही था कि सुरक्षित रहें और संरक्षित रहें। लेकिन कोरोना काल में संदेश देनेवाली इस तस्वीर के बारे में हजारों लोगों ने हजार तरह की बातें लिखी, लेकिन कईयों ने जया बच्चन पर निशाना साधते हुए अमिताभ से उनकी पत्नी का मुंह भी बंद करवाने की सलाह दी। वैसे, बच्चन परिवार को इस बात का तो पता था कि जया के संसदवाले बयान पर मामला आगे बढ़ने वाला है। लेकिन इस बात का अंदेशा कतई नहीं रहा होगा कि सिनेमा के हितों को संवारने की कोशिश करने की कीमत इतनी भारी पड़ जाएगी। लेकिन आजाद देश है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। सो, अमिताभ भी करे, तो क्या करे। कुछ दिन और परेशान रहेंगे, तब तक, जब तक कि मामले में कोई नया मोड़ न आए जाए!

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं व समसामयिक विषयों पर निरंतर लिखते रहते हैं)
(प्राइम टाइम)