रॉयल एकेडमी की ग्रीष्म कला प्रदर्शनी में बनारस घाट भी

लन्दन ।क्या आप जानते हैं कि हर वर्ष गर्मियों के मौसम में लन्दन में रॉयल अकादमी द्वारा आयोजित की जाने वाली कला प्रदर्शनी दुनिया कीसबसे पुरानीप्रदर्शनी है जिसमें प्रस्तुति के लिए खुला आमंत्रण होता है .यह वर्ष 1769 से लगातार गर्मियों के दिनों में अकादमीकेबर्लिंगटन गार्डन स्थित विशाल परिसर में लगी रहती है और दुनिया भर के कल प्रेमियों को आकर्षित करती है .

आज हम प्रदर्शनी में पहुँचे तो प्रवेश करते ही जिस पेंटिंग ने ध्यान आकर्षित किया उसमें बनारस के घाट चित्रित थे , इसे जाने माने पेंटरएंथोनी ईटन ने बनाया है . कुल मिला कर 1600 पेंटिंग , इंस्टालेशन, वाटर कलर, काष्ठ और एक्रिलिक संरचनाओं के बीच भारतीयऔर भारतीय मूल के कलाकार मनीषा गुप्ता की आयल पेंटिंग एंजायस फ़िंगर्स, शांति पांचाल की वाटर कलर ईज़िंग लॉकडाउन , वनवास पर मिक्स्ड मीडियम में सबरीना शाह की शी बिकेम, शिवांगी लड्ढ़ा की कॉपर प्लेट पर उत्कीर्ण ट्रेवरसिंग भी इस प्रदर्शनी में है.

दरअसल, यह प्रदर्शनी विश्व कला परिदृश्य के आइना बन चुकी है , इसमें नामवर कलाकारों और वास्तुविदों के साथ ही साथ उभरते हुएकलाकारों की भी कलाकृतियाँ और संरचनाएँ रहती हैं , और सबसे बड़ी बात यह है कि परंपरागत माध्यम और तकनीक के साथ ही साथप्रिंट, फ़ोटोग्राफ़ , फ़िल्म जैसे माध्यम का इस्तेमाल किया गया है उदाहरण के लिए कैनेथ ड्रेपर ने इस बार अपनी कृति ऑटम वुडलैंडसिल्वर पेपर पर पीतल और पिगमेंट से तैयार किया है .इआन ब्लाइथ का प्रायोरिटी बे सी डिफेंसेज एलईडी लाइट पर कलर जेल काइस्तेमाल करके बनाया गया है .

इस बार की प्रदर्शनी का थीम ओनली कनेक्ट था यानी संवाद की प्रक्रिया . कुल मिला कर प्रदर्शनी को देख कर लगा कि कला के क्षेत्रमें अभी बहुत सारे माध्यम अभी खोजे जा रहे हैं और प्रदर्शनी यह भी आश्वस्त करती है कि नये विषयों की भी कमी नहीं है.

(लेखक स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त हैं और संगीत, कला व फिल्म समीक्षक हैं, यायावर के रूप में देश व दुनिया में घूमते हैं और वहाँ की कला व संस्कृति पर लेखन करते हैं)