समकाल में भारत- बांग्लादेश संबंध

भारत और बांग्लादेश के संबंध 21वीं सदी के लिए महत्वपूर्ण है। भारत पड़ोसी देशों के साथ संबंधों की गतिशीलता और सुधार की दिशा में अग्रसर है। वैश्विक राजनीति में कहा जाता है कि दोस्ती स्थाई नहीं होती है। भारत के लोकप्रिय कवि, विषम परिस्थितियों में धैर्य धारण करने वाले व्यक्तित्व एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी कहते थे कि ” मित्र बदले जा सकते हैं,लेकिन पड़ोसी नहीं” ।

राष्ट्र – राज्यों के परस्पर संबंध आर्थिक लाभ और विकास की राजनीति पर ज्यादा निर्भर होता है। भारत और बांग्लादेश व्यापार समझौते, बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं और क्षेत्रीय चुनौतियों का मिलकर सामना करने में सहयोगी की भूमिका में है। दोनों देशों के संबंध सांस्कृतिक कारकों और लोगों के बीच संबंध मजबूत होने के कारण हुए हैं। ऐतिहासिक , भाषाई और दोनों देशों के मध्य पारिवारिक संबंधों ने पारस्परिक रिश्ते को गर्म जोशी और ऊर्जावान बनाने में सहयोग किया है।

भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों का मुख्य कारक व्यापार है, जो समय के साथ बढ़ता जा रहा है। मोदी सरकार ने पड़ोसियों में विशेष रूप से बांग्लादेश के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाने, इसके राजनीतिक महत्व और आर्थिक संबंधों के उन्नयन पर केंद्रित रहा है।इस अवधि में व्यापार सुविधा, बुनियादी ढांचे के विकास और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय प्रगति देखा जा रहा है।

भारतीय उपमहाद्वीप में बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।भारत बांग्लादेश के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यात भागीदार है ,जो उसके कुल निर्यात का 12% बनता है। वित्तीय वर्ष 2022 – 24 में दोनों देशों के बीच कुल व्यापार कारोबार प्रभावशाली 14.22 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था ।यह आर्थिक संबंध बांग्लादेश के बीच गहरे संबंध और परस्पर निर्भरता को उजागर करता है। अधिकांश बांग्लादेशी उत्पादों का भारतीय बाजार तक आसान पहुंच भारतीय माल को बांग्लादेश के माध्यम से बांग्लादेशी परिवहन का उपयोग करके उसके पूर्वी क्षेत्र को उसके सुदूर- पूर्वी क्षेत्र में उपयोग किया जाता है।

मोदी शासन के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 10.2 बिलियन डॉलर था ।यह मोदी के शासनकाल का उन्नयन कल है, जो दोनों देशों देशों को करीब लाने का करण कारक है। रेल कनेक्शन के बढ़ने के कारण दोनों देशों के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।

सुंदरबन के विकास जैसी पहल ने भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार संबंधों के उन्नयन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पर्यटन के विकास के दृष्टि से सुंदरबन की विशेष उपादेयता है। यह पर्यावरण पर्यटन की दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है ।भारत और बांग्लादेश में पर्यटन और कृषि के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं ।भारत और बांग्लादेश ने कार्गो परिवहन क्षमता को पहचान कर विकास किए हैं। पूर्वोत्तर भारत से बांग्लादेश तक रेलवे लाइन की स्थापना व्यापार संबंधों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है।

बेहतर रेल कनेक्शन सुंदरबन के क्षेत्र का विकास नदी मार्गों का विकास और नई रेलवे लाइनों की स्थापना जैसी माध्यमों से दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग और पारस्परिक समृद्धि की दिशा में काम किया है। भारत और बांग्लादेश के बीच 54 साझा नदियां हैं और इसको लेकर दोनों देशों में कई तरह के सहयोग चल रहा है। जल बंटवारे के मुद्दे को समाधान करने के लिए गठित विशेष रूप से गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों से संबंधित है। संयुक्त नदी आयोग जल संसाधन प्रबंधन पर बातचीत और सहयोग की सुविधा प्रदान करता है, जिससे दोनों देशों को लाभ हो रहा है।

बांग्लादेश का चीन की ओर झुकाव भारत की क्षेत्रीय स्थिति और रणनीतिक आकांक्षाओं के लिए हानिकारक है। 2017 में चीन ने बांग्लादेश को दो मिग पनडुब्बियों की आपूर्ति की थी। इसके अतिरिक्त बांग्लादेश चीन के बेल्ट एवं रोड पहल का क्रियाशील सदस्य है, जिसके तहत चीन में भारी निवेश कर रहा है। स्ट्रिंग का पर्ल्स रणनीति के अंतर्गत चीन भारतीय उपमहाद्वीप में भारत के उभरते शक्ति का घेराबंदी करना चाहता है। इस राजनीतिक स्थिति पर पूर्व राजनयिक मचुकंद दुबे के अनुसार” भारत को चीन का मुकाबला करने के लिए अपने पड़ोसी राज्यों में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है”।

भू – राजनीतिक दृष्टि से उत्तर – पूर्व की सुरक्षा के लिए दक्षिण पूर्व एशिया के लिए वैश्विक स्तर पर संचार की समुद्री लाइनों को सुरक्षित करना ,आतंकवाद और कट्टरवाद से लड़ने के लिए और मुखर चीन को संतुलित करने के लिए भारत को बांग्लादेश का बदलते परिवेश में अति आवश्यक है। चीन को संतुलित करने के लिए बांग्लादेश अति आवश्यक पड़ोसी राज्य है ,क्योंकि चीन का वृहद निवेश पाकिस्तान और बांग्लादेश में है ।भारत का परंपरागत तौर पर पाकिस्तान से संबंध सामान्य होने के आसार कम है, लेकिन बांग्लादेश पड़ोसियों में वैदेशिक स्तर पर भारत से मित्रता के लिए दिल से आकांक्षी है।

दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बांग्लादेश है, जबकि भारत बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है । वित्तीय वर्ष 2023 – 24 में दोनों देशों के मध्य कुल व्यापार 15.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है । भारत ने 2011 से दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के तहत तंबाकू और शराब को छोड़कर से सभी वस्तुओं पर बांग्लादेश को शुल्क मुक्ति प्रदान किया है। दोनों देशों के मध्य व्यापक आर्थिक साझेदारी को पर्याप्त रूप से बढ़ाने के लिए व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर करने की भी तैयारी कर रहे हैं। इससे दोनों देशों के मध्य रोजगार का अवसर बढ़ेगा और दोनों दोनों देशों के नागरिकों का जीवन गुणात्मक होगा।

यह प्रयास राजनीतिक, आर्थिक और वैदेशिक संबंधों के उन्नयन में अग्रणी भूमिका का निष्पादन करेगा। व्यापारिक संबंधों का उन्नयन करने का भारत को अपार संभावना है जिसका वृद्धि कर सके और बांग्लादेश अपने व्यापारिक संबंधों को और गहरा कर सके । इन दोनों देशों के मध्य संबंध उन्नयन में कपास उत्पादन ,चिकित्सीय विनिर्माण और कृषि उत्पादों का भी व्यापार सम्मिलित है।

भारत और बांग्लादेश का ऊर्जा क्षेत्र में भी अच्छा संबंध है। समकालीन में बांग्लादेश भारत से 116 गीगावॉट ऊर्जा आयात करता है। बिजली के सीमा पर व्यापार में द्विपक्षीय सहयोग प्रदान करने के लिए संस्थागत ढांचा प्रदान करने के लिए संयुक्त कार्य समूह (JWG) और संयुक्त संचालन समिति(JSC) की स्थापना की गई है। दोनों देशों में इस प्रकार समझौता करने से दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में अधिक बढ़ोतरी होगी।

भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों के उन्नयन में पर्यटन महत्वपूर्ण क्षेत्र है। बांग्लादेश से बड़ी मात्रा में लोग इलाज के लिए भारत आते हैं। बांग्लादेश से 35% से अधिक लोग भारत इलाज के लिए आते हैं। यह चिकित्सा पर्यटन से भारत के राजस्व का 50% से अधिक का योगदान देते हैं। भारत और बांग्लादेश से दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन(SAARC), और हिंद महासागर रिम संगठन (IORA) जैसे कई क्षेत्रीय बहुपक्षी संगठनों में भागीदार है।

कोविद-19 के दौरान दोनों देशों ने दक्षिण एशिया के देशों में वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए संकटकालीन प्रतिक्रिया कोष की स्थापना में एकजुटता दिखाई है। वैश्विक मंचों पर भारत और बांग्लादेश विभिन्न मुद्दों पर एकजुटता दिखाते हैं। बांग्लादेश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थाई सीट के लिए भारत की दावेदारी का प्रबल समर्थन करता है।

भारत और बांग्लादेश समकालीन में एक अच्छे सहयोगी पड़ोसी देश हैं। दोनों देश जल क्षेत्र, पर्यटन क्षेत्र, सामरिक क्षेत्र और ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुख सहयोगी हैं ।दोनों देश दूरदर्शी संबंधों पर काम कर रहे हैं ।भारत बांग्लादेश संबंध की निकटता चीन को घेराबंदी करने में सहायक है । दोनों देशों के बीच का संबंध उपलब्धियां को स्वीकार करके ,चुनौतियों को समाधान करके और राजनीतिक जुड़ाव का एक रास्ता तैयार करके दूरदर्शी योजना पर कार्य कर सकते हैं। दोनों देशों के संबंध उभरते वैश्विक संदर्भ में पारस्परिक विकास, स्थिति और समृद्धि का स्तर बड़ाने मेंकर रहे हैं।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के जानकार हैं)