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इ पेमेंट के नाम पर बैंकों ने लूटे 200 करोड़

आरबीआई ने 27 दिसंबर, 2017 के नोटिफिकेशन में बैंकों से सुनिश्चित करने को कहा था कि मर्चेंट्स डेबिट कार्ड से पेमेंट करने वाले ग्राहकों से एमडीआर (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) चार्ज नहीं वसूलें। सरकार ने यही निर्देश यूपीआई पेमेंट्स के लिए भी जारी किया था। कुछ सरकारी एजेंसियों और पब्लिक यूटिलिटी के लिए डिजिटल पेमेंट पर बैंक चार्ज ग्राहकों से ही वसूले जा रहे हैं जबकि मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया को प्रमोट करने के लिए ग्राहकों को इससे राहत देने का निर्देश दिया था। कुछ मामलों में न केवल बैंक चार्ज अवैध तरीके से ग्राहकों पर थोपे जा रहे हैं बल्कि अनुमति से ज्यादा रकम वसूली जा रही है। डिजिटल पेमेंट्स पर सरचार्जेज का अध्ययन करने वाले आईआईटी बॉम्बे में गणित विभाग के आशीष दास के मुताबिक, पिछले वर्ष में सिर्फ ऑनलाइन पेमेंट्स पर 200 करोड़ रुपये अनधिकृत वसूली की गई है।

दिल्ली में यूपीआई के जरिए बिजली बिल पेमेंट करने वालों को बिल अमाउंट से 1% ज्यादा रकम चुकानी पड़ रही है। मुंबई में टाटा पावर के ग्राहकों का बिजली बिल 2 हजार रुपये से ज्यादा जबकि दिल्ली में 5 हजार रुपये से ज्यादा होने पर सरचार्ज देना पड़ता है। इसी तरह, आईआरसीटीसी से टिकट बुक करते वक्त यूपीआई से 2 हजार रुपये से ज्यादा के पेमेंट पर अतिरिक्त 10 रुपये और जीएसटी देना पड़ रहा है। ये तो कुछ चुनिंदा उदाहरण हैं जबकि ऐसे मामले भरे पड़े हैं।

आशीष दास ने डिजिटल पेमेंट्स पर विभिन्न सरचार्ज के अध्ययन में पाया कि बैंक ग्राहकों से लगातार सरचार्ज वसूल रहे हैं जबकि आरबीआई ने इसके खिलाफ स्पष्ट निर्देश जारी कर रखा है। दास ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘गैर-कानूनी तौर पर सरचार्ज वसूले जाने से डिजिटल पेमेंट करने वालों पर अतिरिक्त लागत का बोझ पड़ रहा है। 2018 में सिर्फ ऑनलाइन पेमेंट्स पर ही अतिरिक्त 200 करोड़ रुपये वसूले जा चुके हैं।’

ग्राहकों से सरचार्ज वसूलना गैर-कानूनी है। आरबीआई ने 27 दिसंबर, 2017 के नोटिफिकेशन में बैंकों से सुनिश्चित करने को कहा था कि मर्चेंट्स डेबिट कार्ड से पेमेंट करने वाले ग्राहकों से एमडीआर (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) चार्ज नहीं वसूलें। सरकार ने यही निर्देश यूपीआई पेमेंट्स के लिए भी जारी किया था।

दास के मुताबकि, सरचार्ज, ‘सर्विस चार्ज’ या ‘कन्विनिअंस फी’ से अलग है। मर्चेंट्स को सर्विज चार्ज और कन्विनिअंस फी वसूलने की अनुमति है। ध्यान रहे कि कन्विनिअंस फी सभी तरह के पेमेंट मोड पर एक समान रहती है जबकि सरचार्ज अलग-अलग मोड पर अलग-अलग होता है। क्रेडिट कार्ड पर सबसे ज्यादा सरचार्ज वसूला जाता है। साथ ही, ऐसे ज्यादातर मामलों में यूटिलिटी या गवर्नमेंट एजेंसी वास्तविक बिल ही दिखाती है, लेकिन बैंक बिल अमाउंट के साथ सरचार्ज भी वसूल लेता है।

दास ने रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि सरकार और आरबीआई को यह सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए कि ग्राहकों पर इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट ट्रांजैक्शन करने पर सरचार्ज नहीं देना पड़े। रिपोर्ट कहती है कि क्रेडिट कार्ड पर डिजिटल पेमेंट की लागत का बोझ ग्राहकों को ही उठाना चाहिए, न कि बैंक को।