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मुंबई में बहेगी लोक रंग की धारा, 30 जुलाई को कजरी महोत्सव

एक ओर इंद्र देवता ने महाराष्ट्र समेत देश के लगभग हर हिस्से पर कृपा की है।सावन से पहले ही सावनी वातावरण ने लोगों का मन मोह लिया है।वहीँ दूसरी ओर सावन की रिमझिम फुहारों के बीच मुम्बई में रहनेवाले उत्तरप्रदेश और बिहार के लोगों पर कजरी की रसधार बरसाने का पूरा इंतजाम हो गया है। मिर्ज़ापुर,उत्तरप्रदेश की मशहूर कजरी गायिका मधु पांडेय और मुम्बई के सदाबहार लोकगायक सुरेश शुक्ला आगामी 30 जुलाई से मुम्बई में शुरू होने जा रहे अभियान के कजरी महोत्सव में अपनी गायिकी की छंटा बिखेरेंगे।अभियान द्वारा लगातार 12वें वर्ष हो रहे कजरी महोत्सव का मुम्बई और उसके आसपास कुल 20 जगहों पर आयोजन होगा। उल्लेखनीय है कि मधु पांडेय पारम्परिक कजरी विधा की शीर्ष गायिका मानी जाती हैं।

अभियान के संस्थापक और मुम्बई भाजपा के महामन्त्री अमरजीत मिश्र ने बताया कि इस वर्ष भी कजरी महोत्सव प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के “बेटी पढ़ाओ , बेटी बचाओ” मुहीम को समर्पित होगा।उत्तरभारत की स्त्रियों में कजरी गाने और खेलने की परम्परा है।15 अगस्त तक विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित होनेवाले महोत्सव के दौरान समाज में उल्लेखनीय योगदान करनेवाली कुछ चुनिंदा महिलाओं को प्रतिदिन “स्त्री शक्ति सम्मान” देकर सम्मानित किया जायेगा। ताकि महिलाओं और बेटियों को उनकी तरह बनने की प्रेरणा मिले। इस वर्ष सफल स्त्री के सम्मान का अनोखा तरीका होगा।सम्मानित स्त्री के हाथों उसकी माँ को अभियान का “थैंक यू माँ ” अकिंत स्मृति चिन्ह प्रदान किया जायेगा।यह सफल बेटी का माँ के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का एक अनोखा तरीका होगा।श्री मिश्र ने बताया कि शनिवार 30 जुलाई को शाम 6.30 बजे बोरीवली के नेशनल पार्क स्थित गोरख धाम हॉल से शुरू हो रहे महोत्सव में बड़ी संख्या में जुटनेवाली महिलाओं की उपस्थिति में सम्मान समारोह होगा।

मुम्बई को लोकरंग से रंगने का अभियान :-

अभियान के अध्यक्ष रामसजीवन दुबे बताते हैं कि सावन माह में प्रकृति का सौन्दर्य अपने चरम पर होता है। वर्षा की रिमझिम फुहारों के प्रभाव से मनुष्य ही नही पशु पक्षी भी उत्साह में भर चहक उठते हैं,नदी-नाले और झरने भी अपने पूर्ण आवेग के साथ लहरों की मधुर रागिनी पर थिरकने लगते हैं। पेड़ -पौधे हरियाली की घनी छाँव में प्रकृति प्रेमियों को आमंत्रित करते हुए झूमने लगते हैं। पहाड़ों पर उग आई हरी घास मानो उसे अपने आगोश में लेकर प्रेम का नया छंद लिखने को आतुर दिखती है ।

कामकाजी लोग भी अपने रोजमर्रा के जीवन से हट कर चाय पकौड़ियों और लजीज भोजन का स्वाद लेते हुए अपनी बालकनी से दूर तक बिखरी प्राकृतिक सुषमा का नजारा लेते हैं और इतना ही नहीं,बल्कि घूंघट में रहनेवाली महिलाएं भी सावन की रिमझिम के उन्मुक्त वातावरण में गीत गाते हुए तन मन को भिगोते हुए झूम उठती हैं।सावन आया नही कि उत्तरभारत की विवाहित स्त्रियां कजरी गाते हुए छुट्टी मनाने अपने मायके चली जाती हैं और पति को ताकीद भी देती जाती है –

“कजरी बाद आउब छोट मत मन करा ,

सावन में भजन करा ना।”

मुम्बई की आपाधापी में यह सब ‘मिसिंग’ सा लगता है।ताल-तलैया तो अब बचे नहीं,नालों को बिल्डरों के एनक्रोचमेंट का भाजन बनना पड़ा, लहलहाते पेड़ों को विकास के नाम पर बनी सड़कों ने ग्रस लिया,बचे खुचे पहाड़ों पर किस्मत के मारों ने आशियाने बना लिए, नई पीढ़ी को आउटडेटेड लगनेवाले लोकगीत ‘ तू तू तू तू तू तारा ,तोड़ो ना दिल हमारा’ की भेंट चढ़ गए।लोकसंस्कृति के लिहाज से मुम्बई का परिवेश रेगिस्तान जैसा प्रतीत होता है ऐसे रेगिस्तान पर लोकगीतों की गंगा का अवतरण करने का भगीरथ प्रयास सामाजिक सांस्कृतिक संस्था ‘अभियान’ विगत 12 वर्षों से करती आ रही है। सावन के महीने में ‘कजरी महोत्सव’ का आयोजन इसी श्रृंखला का एक अंग है।एक पखवाड़े से भी अधिक चलनेवाले महोत्सव की वजह से पूरे मुम्बई शहर के संगीत प्रेमियों में ‘कजरी मेनिया’ का स्पष्ट प्रभाव दिखाई देने लगता है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को समर्पित:-
इस साल का कजरी महोत्सव प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ अभियान को समर्पित है। कजरी मूलतः महिलाओं के बीच गायी जाती है।कजरी के स्वर महिलाओं के विरह ,वेदना और उल्हास का प्रगटीकरण करते हैं।सावन,कजरी और स्त्री एक दूसरे के पूरक हैं।इसलिए अभियान ने इसे बेटी और नारी शक्ति को समर्पित किया है । विपरीत परिस्थितियों में अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए एक विशिष्ट स्थान बनाने और सामाजिक जिम्मेदारियों का बखूबी पालन करनेवाली चुनिंदा महिलाओं को स्त्री शक्ति सम्मान से नवाजने का निर्णय भी लिया है। ताकि अन्य महिलाएं भी इनकी तरह आगे बढ़ने की कोशिश करें।अभियान द्वारा इस महोत्सव में प्रत्येक दिवस समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करनेवाली विशिष्ट महिलाओ को ‘स्त्री शक्ति सम्मान’ देकर उनका अभिनंदन किया जायेगा।

पड़ेंगे झूले ,लगेगी मेहँदी -महावर:
30 जुलाई से 15अगस्त तक मुंबई के विभिन्न स्थानों पर कजरी महोत्सव के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे, इसमें मिर्ज़ापुर,उत्तर प्रदेश की प्रसिद्द कजरी गायिका मधु पांडेय और मुम्बई के भोजपुरी लोकगायक सुरेश शुक्ल द्वारा पारंपरिक कजरी गीतों की प्रस्तुती श्रोताओ को सावन के आनंद से सरोबार कर देगी । महिलाओं के लिए अभियान उनके मायके की भूमिका में होगा और उन्हें नैहर के सभी सुख उपलब्ध करवाए जायेंगे, इनमे सावन के झूले भी होंगे, चूड़ियाँ ,मेहँदी और महावर भी।श्री मिश्र के अनुसार यह महोत्सव गाँव के सावन और लोक संस्कृति की रिमझिम फुहार को मुंबई महानगर में लाने का एक प्रयास है।

मुम्बई के हर क्षेत्र में होगी कजरी:
कांदिवली के उत्तरभारतीय बहुल इलाके हनुमान नगर में तो कजरी के आयोजन के लिए बाकायदा भव्य मण्डप बनाया जाता है,ताकि माँ बहनॉ को बारिश में कोई तकलीफ ना हो। चारों ओर से पानी गिरता रहता है और मंडप के नीचे बैठी महिलाएं गायिका के सुर में सुर मिलाकर गाती रहती हैं ” दादर के सावरकर हॉल से लेकर दीवा , वसई और डोम्बिवली तक के कई सभागृहों में कजरी की धुनों पर थिरकेंगे लोग।विलेपार्ले के नविनभाई ठक्कर सभागृह , भांडुप के मातुश्री सभागृह जैसे कुल 20 जगहों पर होगी कजरी।मंगलवार 2 अगस्त को दादर के स्वातंत्र्यवीर सावरकर हॉल में कजरी महोत्सव का आयोजन होगा।

नवयुवक होंगे आयोजक:

अक्सर लोगों को इस बात की चिंता होती है कि लोकसंस्कृति व लोक परम्पराओं से नई पीढ़ी नहीं जुड़ती।इस मान्यता की झुठलाते हुए अभियान के इस कजरी महोत्सव के सभी आयोजक नवजवान हैं।। अभियान के संस्थापक अमरजीत मिश्र के नेतृत्व में सैकड़ों नवयुवक लोक संस्कृति के इस अभियान में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।श्री मिश्र की अगुवाई में आदित्य दुबे,पंकज सिंह,आई.पी. मिश्र,पत्रकार आनंद मिश्र, पत्रकार सुनील सिंह,सुरेश द्वारिका मिश्र,राकेश सिंह,धीरेंद्र पांडेय,रामचन्द्र उपाध्याय, पत्रकार भानु मिश्र ,पत्रकार अजय सिंह,शिवदयाल मिश्र,अविनाश राय, संजय मिश्र,अनिल कनौजिया,अखिलेश मिश्र,महेश मिश्र,राज यादव,शिवशंकर प्रजापति,सुधीर शिंदे,संजय शर्मा, राम यादव, सदाशिव चतुर्वेदी आदि लोगों का समावेश है।नवयुवकों का लोकगीतों के प्रति यह अनुराग लोकगीतों के संरक्षण के प्रति आश्वस्त तो करता ही है और लोक जीवन के स्वस्थ संस्कारों से इन शहरी नवयुवकों को संस्कारित भी करता है।