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बिड़ला चिकित्सालय बना बीएचयू का सिटी सेंटर

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) वाराणसी के अति प्राचीन चिकित्सालयों में एक राजा बलदेवदास बिड़ला चिकित्सालय का अधिग्रहण करेगा। बीएचयू चिकित्सालय को अपना सिटी सेंटर के रूप में स्थापित करेगा। राजा बलदेवदास बिड़ला ने 1940 में इस चिकित्सालय को स्थापित किया था। इस चिकित्सालय का उद्घाटन महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने 5 जून 1941 में किया था। काफी समय से उपेक्षा के शिकार इस चिकित्सालय के प्रबंध समिति ने चिकित्सालय के उद्धार के लिए पूरा चिकित्सालय का मालिकाना हक बीएचयू को सौंप दिया है। चिकित्सालय के 75वें वर्ष में बीएचयू द्वारा स्थापित किए जा रहे सिटी सेंटर से वाराणसी शहर के एक बड़े भाग को लाभ मिलेगा। 

इस संबंध में जेवीएल समूह के अध्यक्ष और बिड़ला अस्पताल के सचिव दीनानाथ झुनझुनवाला ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अस्पताल के कायाकल्प के लिए पिछले दो तीन वर्षों से प्रबंध समिति के लोग बीएचयू के कुलपति से लगातार संपर्क में थे। साथ ही कुलपति भी यहां आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों शिरकत करने आए थे। उन्होंने चिकित्सालय को हर संभव मदद का भरोसा दिया था। इसी क्रम में बीएचयू अब राजा बलदेवदास बिड़ला अस्पताल का अधिग्रहण करने जा रहा है। झुनझुनवाला ने बताया कि 6 जुलाई से बीएचयू के चिकित्सक यहां प्रतिदिन मरीजों का इलाज करेंगे और हर शनिवार विशेषज्ञों द्वारा यहां शिविर लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि बीएचयू बिड़ला अस्पताल के अधिग्रहण के लिए जल्द ही आधिकारिक घोषणा कर सकता है। बीएचयू द्वारा इस अस्पताल के अधिग्रहण के बाद यहां की चिकित्सीय सुविधाएं बढ़ जाएंगी। प्रबंध समिति ने बैठक कर सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए बीएचयू से अनुरोध किया है कि जनहित में वो इसे अधिग्रहित करें।

दूसरी तरफ बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के डॉ श्याम सुंदर पांडेय और समन्वयक डॉ एस पी सिंह ने बताया कुलपति प्रो जीसी त्रिपाठी के निर्देश पर विश्वविद्यालय के जूनियर डॉक्टर व रेजिडेंट डॉक्टर अस्पताल जाकर मरीजों का इलाज करेंगे। गंभीर मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर बीएचयू भेजेंगे जहां वरिष्ठ विशेषज्ञ मरीज का इलाज करेंगे। उन्होंने बताया कि संस्थान इस चिकित्सालय को अर्बन ट्रेनिंग सेंटर के रूप में विकसित करेगा। झुनझुनवाला ने बताया कि हृदय रोगियों को बाईपास सर्जरी कराने की जरूरत नहीं है। यहां  पंचकर्म से हृदय रोग का इलाज सिर्फ छह दिन के अंदर संभव है। इस पद्धति का इस्तेमाल राजा बलदेव दास बिड़ला अस्पताल में किया जाएगा।

साभार- बिज़नेस स्टैंडर्ड से