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क्या न्याय पंचायतें दूर कर सकती है राष्ट्रपति की वेदना
हज़ारों भारतीय ग़रीब सिर्फ इसलिए जेलों में जीवन गुजारने को विवश हैं, क्योंकि वे न संविधान की मूल भावना से परिचित हैं और न ही अपने संवैधानिक अधिकार व कर्तव्यों से। वे इतने ग़रीब हैं कि जमानत कराने में उनके परिजनों के घर के बर्तन बिक जायेंगे। जुर्म मामूली..किसी से तू तू-मैं मैं या किसी से हाथापाई; किन्तु मात्र ग़रीबी और अज्ञानता के कारण जाने कितने बिना जमानत जेल में ज़िदगी गंवा रहे हैं। कोई पांच साल, कोई दस तो कोई 20 साल से जेलों में पडे़ हैं।
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भारतीय अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण को गति देने में भारतीय नागरिकों के कर्तव्य
अभी हाल ही में अमेरिका के निवेश के सम्बंध में सलाह देने वाले एक प्रतिष्ठित संस्थान मोर्गन स्टैनली ने अपने एक अनुसंधान प्रतिवेदन में यह बताया है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की दृष्टि से अगला दशक भारत का होने जा रहा है। इस सम्बंध में उक्त प्रतिवेदन में कई कारण गिनाए गए हैं। जैसे, भारत में वर्तमान में 50 लाख परिवारों की आय 35000 अमेरिकी डॉलर से अधिक है। आगे आने वाले 10 वर्षों में यह संख्या 5 गुना बढ़कर 250 लाख परिवार होने जा रही है। इससे भारत में विभिन्न वस्तुओं का उपभोग द्रुत गति से बढ़ने जा रहा है। वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति आय 2278 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है जो 10 वर्षों के दौरान दुगनी से भी अधिक होकर 5242 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष हो जाएगी।
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“द कश्मीर फाइल्स” पर अनर्गल प्रलाप और विकृत राजनीति
गोवा में आयोजित भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में इंटरनेशनल फिल्मों की ज्यूरी के के प्रमुख इजराइली फिल्मकार नदव लैपिड ने विवेक अग्निहोत्री की फिल्म, “द कश्मीर फाइल्स” को ”वल्गर प्रोपेगेंडा“ और घटिया करार देकर एक बहुत ही शर्मनाक व घटिया हरकत की है। उनके बयान से ऐसा लगता है कि नदव लैपिड भारत के उस छद्म वामपंथी गिरोह की साजिशों का हिस्सा बन गये हैं जो हिंदू समाज से नफरत करता है। इस विषाक्त बयान के पश्चात सोशल मीडिया में वह सभी लोग इससे भी अधिक निकृष्ट शब्दों का प्रयोग करके ऐसे खुशी मना रहे हैं जैसे उन्होंने एक बहुत बड़ी लड़ाई जीत ली हो। जो लोग आज नदव लैपिड के बयान पर नाच रहे हैं उन्हें ईश्वर और देश की जनता दोनों शांत भाव से देख रहे हैं।
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भारत के संविधान की उपादेयता
राजनीतिक व्यवस्था में राज्य (देश के लिए प्रयुक्त) किया जाता है ।संविधान राज्य की सर्वोच्च विधि होती है अर्थात विधिक संप्रभु (De jure)संविधान ही है ,यह शासक एवं शासित के संबंधों का मौलिक दस्तावेज है। भारत के संविधान को संसार का सर्वाधिक वृहद संविधान कहा जाता है,क्योंकि इसमें 395 अनुच्छेद,22भाग और 12अनुसूची है,इसके आधार पर हम इसको संसार का सबसे बृहद संविधान कहा जाता है। भारत का संविधान भारतीयों का आत्मा है।
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आनन्द कुमार पाण्डेय चिंरजीवी हो!
आज 24सितंबर,2022 है। आज ही के दिन मेरे छोटे बेटे आनन्द कुमार पाण्डेय का जन्म 1986 में हुआ। आनन्द की आरंभिक शिक्षा भुवनेश्वर काण्वेंट स्कूल की नर्सरी कक्षा से हुई।
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भारत में क्यों है मंदी की शून्य सम्भावना
अभी हाल ही में एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निवेश प्रबंधन एवं वित्तीय सेवा कम्पनी मोर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने एक प्रतिवेदन जारी कर कहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत एशिया में सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था बन कर उभरने जा रहा है। इनके अनुमान के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 2022-23 में 7 प्रतिशत से अधिक की विकास दर हासिल कर लेगी जो विश्व में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक होगी एवं भारत का एशियाई एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास दर में क्रमश: 28 प्रतिशत एवं 22 प्रतिशत का योगदान रहने जा रहा है।
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एक लेख और दस घंटेः लेखक की मेहनत अनमोल है
वास्तविक लेखन करना आसान नहीं होता है। लेखन का कार्य एक कठिन और वर्षो-वर्षो के अनुभव का प्रतिफल होता है। बिना अनुभव का आप बेजोड़ कल्पना नही कर सकते हैं,
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मातृभाषा: अपना गौरव अपनी पहचान
आज अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर प्रत्येक देशवासी को संकल्पबद्ध होना होगा की भारत के समुचित विकास, राष्ट्रीय एकात्मता एवं गौरव को बढ़ाने हेतु शिक्षण, दैनंदिन कार्य तथा लोक-व्यवहार में
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राम मोहन रायः न राजा था न हिंदू था, अदालत का मुंशी और इसाई धर्म प्रचारक था
उस कब्रिस्तान के पादरी लोग प्रतिवर्ष 27 सितंबर को राम मोहन राय की स्मृति में प्रार्थना करने उस कब्र पर इकट्ठा होते हैं और नेहरू जी की प्रेरणा से तथा कांग्रेस शासन
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खतरे में है भारत की सांस्कृतिक अखंडता और विरासत
भारत देश एक बहु-सांस्कृतिक परिदृश्य के साथ बना एक ऐसा राष्ट्र है जो दो महान नदी प्रणालियों, सिंधु तथा गंगा, की घाटियों में विकसित हुई सभ्यता है, यद्यपि हमारी संस्कृति हिमालय की वजह से अति विशिष्ट भौगोलीय क्षेत्र में अवस्थित, जटिल तथा बहुआयामी है, लेकिन किसी भी दृष्टि से अलग-थलग सभ्य