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चुनावी लोकतंत्र : बस, पांच कदम चलना होगा..
मतदान की मशीन पर चुनने के लिए छपे हुए निशान भी पार्टियों के ही होते हैं। मतदाता भी अपना मत, उम्मीदवार से ज्यादा, पार्टियों को ध्यान में रखकर ही देता है। यह लोकसभा के लिए लोक-प्रतिनिधि चुनने का चुनाव है कि पार्टिंयां चुनने का ?
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राजनीतिक दस्तक को अनसुना करना
बड़ा प्रश्न है कि राहुल को यह निर्णय लेने की आवश्यकता क्यों पड़ी? क्या उन्हें अमेठी में अपनी हार की संभावनाएं नजर आने लगी? ऐसी क्या स्थितियां बनी कि उन्हें उत्तर प्रदेश में परिवार की अपनी पारंपरिक सीट से एक तरह किनारा करने का निर्णय लेना पड़ा?
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महिला सांसदः सत्यभामा देवी ने गरीबों के लिए दान कर दी थी 500 बीघे जमीन
सत्यभामा देवी बिहार से दो बार चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंची। वे उन नेताओं में शुमार जिन्होंने हरिजनों, गरीबों और महिला कल्याण को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था। उन्होंने भूदान आंदोलन के दौरान अपनी 500 बीघे जमीन गरीबों के लिए दान कर दी थी।