-
भारतीय नववर्ष हमारे जीवन और प्रकृति से जुड़ा है
नवरात्र हवन के झोंके, सुरभित करते जनमन को। है शक्तिपूत भारत, अब कुचलो आतंकी फन को॥ नव सम्वत् पर संस्कृति का, सादर वन्दन करते हैं। हो अमित ख्याति भारत की, हम अभिनन्दन करते हैं॥ 22 मार्च से विक्रम सम्वत् 2080 का प्रारम्भ हो रहा है। विक्रम सम्वत् को नव संवत्सर भी कहा जाता है। संवत्सर […]
-
मैहर बड़ा अखाड़ा के विविध मन्दिर
मैहर में शारदा माँ का प्रसिद्ध मन्दिर है जो नैसर्गिक रूप से समृद्ध कैमूर तथा विंध्य की पर्वत श्रेणियों की गोद में अठखेलियां करती तमसा के तट पर त्रिकूट पर्वत की पर्वत मालाओं के मध्य 600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह ऐतिहासिक मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक है।मैहर धाम में मंदिर […]
-
भगवान विश्वकर्मा की जयन्ती
(4 फरवरी 2023 माघ शुक्ल त्रयोदशी को भगवान विश्वकर्मा जी की जयन्ती है) वृध्द वशिष्ठ पुराण मे जन्म संबंधी विवरण है। माघे शुक्ले त्रयोदश्यां दिवापुष्पे पुनर्वसौ ! अष्टा र्विशति में जातो विश्वकर्मा भवनि च भगवान विश्वकर्मा जी का प्राचीन मन्दिर आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम का है। निश्चित रूप से भगवान विश्वकर्मा जी का सम्बन्ध इस […]
-
अयोध्या के प्राचीन और नवीन प्रवेशद्वारों का परिचय
अयोध्या का क्षेत्रफल 12 योजन अर्थात 84 किलोमीटर लंबा और तीन योजन अर्थात 21 किमी. चौड़ा है. इसके उत्तरी छोर पर सरयू और दक्षिणी छोर पर तमसा नदी अवस्थित हैं. इन दोनों नदियों के बीच की औसत दूरी लगभग 20 किलोमीटर है. माना जाता है कि अयोध्या शहर मछली के आकार का है, जिसका अगला […]
-
आलोक पर्व: दीवाली मनाने का औचित्य:आज के संदर्भ में
"कई बार आई- गई यह दीवाली, मगर तम जहां था, वहीं पर खड़ा है।"
-
नवरात्रि का धार्मिक वअध्यात्मिक महत्व
दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती ये तीन रूप में माँ की आराधना करते है| माँ सिर्फ आसमान में कहीं स्थित नही हैं, ऐसा कहा जाता है कि "या देवी सर्वभुतेषु चेतनेत्यभिधीयते" - "सभी जीव जंतुओं में चेतना के रूप में ही माँ / देवी तुम स्थित हो।"
-
श्राद्ध भोजन से पितरों की तृप्ति साथ में ग्रहणकर्ता को कष्ट
धर्मशास्त्र में श्राद्ध का भोजन करने के विषय में कुछ नियम बताए गए हैं। अगर इन नियमों का पालन किया जाए तो, इससे होने वाले कष्टों से बचा जा सकता है अथवा उसका प्रभाव कुछ कम किया जा सकता है।
-
माता देवी मंदिर : प्रकृति की गोद में रमणीक धार्मिक पर्यटन स्थल
इस धार्मिक और रमणीक स्थान पर वर्ष में दो बार नवरात्रों पर भव्य मेले लगते हैं जिनमें राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। कई श्रद्धालु यहां की पैदल यात्रा कर पहुंचते हैं।
-
खूब मनाओ होली- होली खेलने से जितना पानी खर्च होता है उतना ही स्नेह और सद्भाव का रंग चढ़ता है
उन दिनों होली दबे पांव आती थी. और फिर, सर्द सुबह की गरमागरम चाय जैसे पहली चुस्की के साथ ही शरीर में घुलने लगती हैं, वैसे ही घुलने लगती थी – घर में, गली में, मुहल्ले में, शहर में, वातावरण में....
-
अपने भतीजे प्रह्लाद को बचाने के लिए होलिका ने अपना बलिदान कर दिया था
फागुन पूर्णिमा के दिन वैदिक काल के 'वासंती नव-सस्येष्टि यज्ञ ' में नए अन्न को यज्ञीय ऊर्जा से संस्कारित कर उसे समाज को समर्पित करने का भाव था।