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भारत की जनगणना दुनिया का सबसे बड़ा प्रशासनिक कार्य

a8e1e137-38c2-451a-ac64-5ff3dd6d089eभोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय और भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में ‘भारत की जनगणना-2011’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में जनगणना की प्रक्रिया और उससे प्राप्त आंकड़ों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। बताया गया कि भारत में जनगणना की प्रक्रिया इतने व्यापक स्तर पर होती है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा प्रशासनिक कार्य है। सरकार की लगभग प्रत्येक नीति जनगणना के आंकड़ों पर ही आधारित होती है। देश, समाज और नागरिकों की बेहतरी के लिए जनगणना कार्य में सहयोग करना चाहिए।

जनगणना कार्य निदेशालय के संयुक्त संचालक श्री पीके चौधरी ने बताया कि जनगणना केवल व्यक्तियों की गणना मात्र नहीं है अपितु अनेक प्रकार के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक आंकड़े उपलब्ध कराने का सबसे बड़ा स्रोत है। जनगणना का महत्त्व प्राचीन काल से लेकर अब तक है। आधुनिक भारत में जनगणना की शुरुआत के संबंध में उन्होंने बताया कि वर्ष 1872 में पहली जनगणना हुई। लेकिन, प्रथम समकालीन जनगणना की शुरुआत 1881 में मानी गई। वहीं, स्वतंत्र भारत में वर्ष 1951 में पहली जनगणना हुई। प्रत्येक दस वर्ष के बाद भारत में जनगणना होती है। इसके बाद निदेशालय की अधिकारियों ने मध्यप्रदेश की जनगणना के संबंध में अनेक आंकड़े प्रस्तुत किए। अपने प्रस्तुतिकरण में अधिकारियों ने बताया कि भारत में 10-19 आयुवर्ग की आबादी करीब 21 प्रतिशत है।

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युवा आबादी के मामले में दुनिया में भारत की स्थिति बेहतर है। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव श्री लाजपत आहूजा ने बताया कि जनगणना के आंकड़ों को ध्यान में रखकर ही प्रत्येक सरकार अपनी नीतियां बनाती है। जनगणना बहुत जिम्मेदारी का काम है। वहीं, डीन अकादमिक डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि भारत की जनगणना दुनिया का सबसे बड़ा प्रशासनिक कार्य ही नहीं अपितु यह सबसे बड़ा सामाजिक कार्य भी है। इस महत्त्वपूर्ण कार्य में आम आदमी को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। कार्यशाला का संचालन मीडिया प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अविनाश बाजपेयी ने किया।