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नागरिक संवेदी पुलिस और पुलिस सहयोगी नागरिक हों तो अपराधों पर कारगर नियंत्रण संभव – डॉ. जैन

राजनांदगांव। सतत सृजनशील प्रेरक वक्ता और दिग्विजय कालेज के हिन्दी विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने प्रदेश के गौरवशाली पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय ( पीटीएस ) में 69 वें नव आरक्षक बुनियादी प्रशिक्षण सत्र के जवानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पुलिस सेवा, देश सेवा का पर्याय है। यह देश भक्ति और जन-सेवा का विशालतम प्लेटफॉर्म है। पुलिस की सजग भूमिका राष्ट्र की सम्प्रभुता सुनिश्चित करती है। उसकी मौजूदगी सुरक्षा का पर्याय मानी जाती है। वह व्यवस्था, अपराध नियंत्रण और नागरिक संवेदी व्यवहार से निरंतर नई-नई इबारतें लिख सकती है। पुलिस की छवि बेहतर बनाने की लिए उसे तकनीकी ज्ञान, व्यक्तित्व निर्माण के आलावा व्यवहार-कौशल का प्रशिक्षण भी हासिल करना चाहिए। लिहाज़ा, डॉ.जैन ने कहा पुलिस को नागरिक संवेदी और नागरिकों को पुलिस सहयोगी बनाकर बाहरी और भीतरी मुकाबला किया जा सकता है।

पीटीएस के पुलिस अधीक्षक श्री टी.एक्का (आईपीएस ) के मार्गदर्शन में संचालित मौजूदा प्रशिक्षण सत्र में प्रबुद्ध चिंतक और प्रखर वक्ता डॉ.जैन को अतिथि व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्होंने छवि निर्माण और पुलिस जनता सम्बन्ध पर प्रभावी व उपयोगी टिप्स दिए। फील्ड में काम के दौरान अपनी कोशिशों और जिम्मेदारियों को अंजाम देने के व्यावहारिक गुर भी बताये। प्रारम्भ में निरीक्षक श्री आनंदराम ठाकुर और सीडीआई श्री राकेश सिंह ने पीटीएस की गतिविधियों की सारभूत चर्चा करते हुए कहा कि अतिथि वक्ता डॉ.चन्द्रकुमार जैन की सेवायें और उपलब्धियां प्रशंसनीय और अनुकरणीय भी हैं। डॉ.जैन कई अवसरों पर पीटीएस में स्मरणीय व्याख्यान देने के अलावा दीक्षांत समारोहों में भी अपना सार्थक सहयोग देकर सम्मानित हुए हैं। उनके व्याख्यान और मार्गदर्शन से पुलिस जवानों को बेहतर कार्य और व्यवहार की कारगर प्रेरणा निरंतर मिल रही है।

डॉ.जैन ने व्याख्यान में मन्त्र मुग्ध होकर सुन रहे प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि टेक्नोलॉजी के असीम विकास के बीच अब साइबर अपराध जैसे दौर से गुजर रहे समाज को पुलिस से उम्मीदें बढ़ गईं हैं। इसलिए पुलिस सेवा में अब परंपरागत तौर-तरीकों के साथ-साथ तकनीकी ज्ञान जरूरी है। इसके अलावा बौद्धिक विकास का अपना महत्व है। इनसे भी बड़ी बात है व्यव्हार कौशल, जिसका सीधा सम्बन्ध पुलिस की छवि से जुड़ा है। डॉ.जैन ने आगाह किया कि इंसान की कामयाबी में उसके विषय ज्ञान का रोल सिर्फ15 प्रतिशत है। उसकी बाक़ी यानी 85 प्रतिशत कामयाबी उसकी व्यावहारिक दक्षता पर निर्भर है। तय है कि पुलिस के अच्छे व्यवहार के सकारात्मक नतीजे मिलेंगे और जनता के संवेदनशीन रवैये से समाज में अमन-चैन और शांति का माहौल बेहतर होगा। याद रहे जांबाज़ पुलिस जवानों पर देश को नाज़ है। उनके बलिदान के दम पर ही हमारा कल था और आज है। अंत में संस्थान ने डॉ.जैन का साभार सम्मान किया।