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सत्ता के स्तंभों में टकराव खतरे की निशानी

लोकतंत्र जनता का ,जनता के लिए एवं जनता के द्वारा सरकार कहा जाता है ।लोकतंत्र लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा एवं संरक्षा के लिए भी जाना जाता है ।सरकार के तीन(3) मौलिक अंग होते है। विधायिका ,कार्यपालिका एवं न्यायपालिका; विधायिका (विधि निर्माण करने वाली संस्था), कार्यपालिका( विधियों के क्रियान्वित करने वाली संस्था) एवं न्यायपालिका( विधियों की संवैधानकता को परखने वाली संस्था) है ।

लोकतंत्र में मौलिक अधिकार व मानव अधिकारों की सुरक्षा अधिकतम स्तर तक होती है । वर्तमान न्यायिक व्यवस्था में उच्चतर न्यायपालिका( उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ) में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया कॉलेजियम से होती है ,जिसमें कार्यपालिक की सहभागिता नहीं है ,इसके कारण न्यायिक तंत्र में सरकार के अंगों में तनाव /टकरा हट की स्थिति बनी हुई है। सरकार के अंगों में टकराहट से व्यक्ति की स्वतंत्रता पर आघात /अतिक्रमण होता है ;क्योंकि सभ्य समाज की पहचान नागरिकों को संविधान द्वारा प्रदान स्वतंत्रता के कारण जाना जाता है।

समाज की गत्यात्मक ता एवं सहयोगात्मक ता का परिदृश्य लोकतांत्रिक अधिकारों के कारण जाना जाता है।लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा एवं संरक्षा सरकारों के पृथक्करण से संभव है।

भारत सरकार की मांग है कि खोज और मूल्यांकन की ऐसी समिति बनाई जाए, जिसमें कार्यपालिका(सरकार) का प्रतिनिधित्व हो। समिति के सदस्य उच्तर न्यायालयों में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश कर सकते हैं।

कार्यपालिका (सरकार) यह भी चाहती है कि उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम में केंद्र सरकार और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में राज्य सरकार का एक प्रतिनिधि हो ।सरकार के इस मांग के पीछे 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग(NJAC) को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक ठहराए जाने के कारण है ,क्योंकि सरकार इसी आयोग के माध्यम से उच्तर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति करना चाहती थी, लेकिन न्यायपालिका ने इसको संविधान की “मूलभूत आधारिक संरचना “(Basic structure)का अतिक्रमण माना है ;जिसके कारण इसको असंवैधानिक घोषित कर दिया है ।

सरकार का तर्क है कि कॉलेजियम प्रणाली अपारदर्शी है ,और इसे बदला जाना चाहिए ।सरकार और न्यायपालिका को मिलकर के इस समस्या का समाधान करना चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए नियंत्रण और संतुलन आवश्यक तत्व है।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषण हैं)