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अविरलता में बाधाओं ने ही गंगा की पारिस्थितिकी तंत्र में बिगाड़ शुरू किया है

गंगा जी विविध अधिवासों (Habitats) का एक सुचारु तंत्र है। गंगा जी के अधिवासों में बड़े बांधों के कारण हुए परिवर्तन की वजह से माँ गंगा जी का स्वस्थ्य बहुत तेजी से बिगड़ रहा है। माँ की बीमारी गंगा जल के प्रवाह में अवरोध से आरंभ हुई है। इसीलिए हमारी माँ गंगा जी को हृदय रोग हो गया है। यह रोग गंगा जल की विविधता के विविध अधिवासों में हुई छेड़-छाड़ के कारण आरंभ हुआ है।

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गंगा के अधिवासों का अर्थ है कि गंगा जी का विशिष्ट प्राकृतिक परिद्श्य जिसमें विशिष्ट जीव प्रजातियां पाई जाती है। अधिवास जैविक तथा भौतिक घटकों से प्रभावित होता है। माँ के शरीर जिसे दह(Pools) कहते है और रिफल्स (Riffles) छलकता हुए नदी क्षेत्र को कहते है। कॅसकेड्स (Cascades) भी रिफल्स की तरह होते है। रन (Run) व प्रपात (Falls) ये पाँचो माँ गंगा के अधिवास बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

‘‘दह‘‘ गंगा जी का सबसे महत्वपूर्ण बड़ा अधिवास है। इनके प्रवाह में जिस जगह गहराई ज्यादा हेती है, वहाँ पानी का वेग कम है, उन हिस्सों को हम ‘दह‘ कहते है। गंगा जी की पारिस्थितिकी में दह का अपना महत्त्व है। जब गंगा जी में बाढ़ आती है, तब उसकी मछलियाँ व अन्य जीव दह के तल में जहाँ गंगा का प्रवाह वेग कम होता है, वहाँ आपना आश्रय बना लेते है।

गंगा जी में गर्मी के दिनों में जब जल प्रवाह कम व जहाँ-तहाँ सूख जाती है। तब भी गंगा जी के दह में जल संग्रह रहने के कारण जलचरों के लिए विपरीत पारिस्थितियों में भी यह आश्रय बना रहता है। दह भू-गर्भ का पुनर्भरण करने में अहम भूमिका निभाता है। आजकल गंगा के जलागम (बेसिन) क्षेत्र में मिट्टी का कटाव ज्यादा हो गया है। वह सारी मिट्टी दह में आकर उसे उथलाकर रही है। इस कारण अब गंगा जी की दह जगह-जगह नष्ट हो रही है।

गंगा की हिमालय से आने वाली सारी धाराओं पिंडर, मंदाकिनी, विष्णुगार्ड, अलकनंदा, भागीरथी सभी का जल वेग के साथ पत्थरों से टकराता हुआ नीचे आता है। वहाँ रिफल्स बन जाते है। रिफल्स उथले होते है, इसलिए छलकते रहते है। इसी कारण गंगा जी की सभी धाराओं को मिलने के स्थान ‘‘प्रयाग‘ कहलाते है। क्योंकि उन स्थानों के गंगाजल में प्राणवायु अधिक होती है। इन रिफल्स के कारण ही गंगाजल का गंगत्व (बॉयोफाज) सबसे विशिष्ट गुण का निर्माण गंगा के रिफल्स अधिवासों से ही होता है। इन अधिवासों ने ही जल के विपरीत चलने वाली ‘हिल्सा मछली‘ भी अपना स्वभाव रिफल्स के अनुसार स्वंय ढाल लेती थी। गंगा जी पर फरक्का बैराज बनने के कारण हिल्सा के अधिवासों में बहुत विनाशकारी प्रभाव हुआ है। जिससे अब हिल्सा हिमालय की गंगा की जलधाराओं में नहीं मिलती है। गंगा जी के लिए ‘रिफल्स‘ अन्य अधिवासों सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। बांधों के निर्माण से इन पर बहुत बड़ा बुरा संकट आ गया हैं।

गंगा जी का रन क्षेत्र भी महत्वपूर्ण है। जहाँ गंगा जी के प्रवाह में बहुत गहराई व वेग होता है। उस क्षेत्र को रन कहते है। रन में प्रवाह की सतह शांत नजर आती है। किन्तु उसके अंदर का वेग बहुत ही बलवान होता है। गंगा जी इलाहाबाद के नीचे बड़े-बड़े रन अधिवासों में एक समग्रता में दिखती है।

गंगा जी में प्रपात बहुत कम है, फिर भी इनके प्रवाह चलते-चलते अचानक ही सतह की ऊंचाई में बदलाव से जल प्रपात की निर्मिती होती है। यह निर्मिती माँ गंगा की शोभा बढ़ाती है तथा माँ के स्वस्थ्य व सौन्दर्य को संजोकर रखती है।

माँ गंगा वैसे तो सात जल धाराओं में विभक्त है, लेकिन मोटेतौर पर हम अपनी माँ गंगा के शरीर को चार भागों में बांटकर देख सकते है। देव प्रयाग से शुरू होकर, फरक्का बैराज तक जाने वाला माँ का मुख्य प्रवाह क्षेत्र है। इसे हम प्राथमिक प्रवाह कहते है। दूसरा प्रवाह यमुना जी और गंगा जी तथा उसकी अन्य धाराओं को जो मुख्यधारा में मिलती है। उन्हें कह सकते है। तीसरी धारा अलंकनंदा, मंदाकिनी व भागीरथी और चौथी धारा इन तीनों धाराओं में मिलने वाली छोटी-छोटी नदी व नाले है। इन छोटे-छोटे नदी-नालों को और तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है। क्योंकि मां गंगा के शरीर के जलाधिकरण को हम मानव के शरीर के रक्ताभिकरण की तरह ही देखते है। इसीलिए भारतीय गंगा को मां मानते थे और माँ जैसा ही इंसानी दर्जा भारत में लिखित संविधान से पूर्व गंगा को दिया हुआ था। इसलिए हम अंग्रेजों के राज्य में रहते हुए भी अपनी मां गंगा जी के प्रवाह की आजादी बनवाये रख सके थे। 1916 में भारतीयों ने मां गंगा की आजादी के लिए आंदोलन किया और सफलता प्राप्त हुई थी।

अभी भारतीयजन व संत दोनों ही आंदोलनरत है लेकिन भारत सरकार उनकी अनदेखी कर रही है। 3 अगस्त 2020 से स्वामी शिवानंद सरस्वती जी मां गंगा जी के अधिवासों को बचाने के लिए गंगा अविरलता हेतु आमरण अनशन पर बैठे है। सरकार उनकी नहीं सुन रही है, जबकि उनके समर्थन में 108 जगहों पर उपवास रखा गया था और अब गंगा जी के लिए क्रमिक उपवास भारत भर के कई स्थानों में जारी है।

(लेखक ने हजारों नदियोँ और तालाबों को पुनर्जजीवित किया है और दुनिया भर में जलपुरुष के नाम से जाने जाते हैं)