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स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के रामसिंह जाखड़ का योगदान

रामसिंह जाखड का जन्म जिला रोहतक की तहसील झज्जर के गांव लडायन में फरवरी सन 1916 में हुआ । आपके पिता चौधरी श्रीराम आर्यसमाजी तथा कांग्रेसी विचारों के व्यक्ति थे । सन 1930 में कांग्रेस आंदोलन में भाग लेने के कारण चौधरी श्रीराम को 6 माह के कारावास की सजा भी काटनी पड़ी ।

इन्हीं संस्कारों में पले रामसिंह अपने बचपन से ही आर्य समाज और कांग्रेस के कार्यों में रुचि लेने लग गए थे । सन 1930 में ही जब नमक सत्याग्रह चल रहा था , एक जत्थे के साथ बालक रामसिंह ने भी गिरफ्तारी दी , परन्तु अदालत ने उन्हें बच्चा समझ कर छोड़ दिया । इसके बाद आपने दोबारा फिर सत्याग्रह किया । फलस्वरूप 26-9-1930 को आपको 3 माह कैद व 50 रुपए जुर्माना देने की सूरत में एक माह की मजीद कैद की सजा मिली , जो आपने रोहतक जेल और बोस्ट्रल जेल लाहोर में काटी ।

समय के साथ – साथ इस निर्भीक और देश – प्रेम से ओत – प्रोत बालक का हौसला और भी बढ़ता गया । सन् 1932 के असहयोग आंदोलन में अनाज मण्डी रोहतक में हो रहे जलसे में स्टेज पर एक जोशीली नजम गाने के जुर्म में 8-3-1932 को 10 बेंतें लगाने की सजा मिली । इसके बाद 4-4-1932 को आपको डिप्टी कमिश्नर रोहतक की अदालत पर से ब्रिटिश राज्य का झण्डा ‘ यूनियन जैक ‘ उतार कर उसकी जगह कांग्रेस का तिरंगा झण्डा लगाने के जुर्मं में दूसरी बार 15-7-1932 को सजा के तौर पर 10 बेंतें लगाई गईं ।

जिस व्यक्ति में जोशे – जवानी ठाठें मार रहा हो और इसके साथ देश – प्रेम का जनून सिर पर सवार हो भला वह बेंतों से क्या डरने वाला था ! ये बेंतें उसके इरादों को टस से मस न कर सकीं और 8-81932 को ही दिल्ली जाकर सत्याग्रहियों के जलूस में शामिल हुए और विलायती कपड़ों की दुकान पर पिकेटिंग करते हुए गिरफ्तार हो गए , जिसके फलस्वरूप 17-8-32 को आपको 5 साल के लिए रैफरमेट्री जेल दिल्ली में भेज दिया गया । यहां जेल में राजनैतिक कैदियों का जेल के अधिकारियों के साथ झगड़ा हो जाने के कारण आपको और आपके तीन नौजवान साथी मेहर सिंह दांगी मदीना , कामरेड बसाखी राम कांगड़ा और मलखान सिंह मुरादाबाद को अलग – अलग तंग और अन्धेरी कोठड़ियों में , जहां चाँद और सूरज भी दिखाई नहीं देते थे , बन्द कर दिया , और 3 माह बाद जब राजनैतिक कैदियों और जेल के अधि कारियों में समझौता हुआ तभी चारों को बाहर निकाला गया ।

जेल से छूटने के बाद भाग लेने लगे थे । आप कांग्रेस के कामों में और भी अधिक दिलचस्पी सन 1935 में आप राजस्थान चले गए । वहां जयपुर स्टेट में गोबिन्दगढ़ मलिकपुर खादी भण्डार में आपने काम किया । यहां रहते हुए श्री हीरालाल शास्त्री , ला ० रामेश्वर दास अग्रवाल , चो ० हरलाल आदि प्रजामण्डल के नेताओं के साथ आपका सम्पर्क रहा । एक साल बाद ही आप कुछ साथियों के साथ बम्बई चले गए । वहां आप ने वर्ली में , जहां मजदूर तबके के गरीब लोग अधिक रहते थे , भारत डाईंग एण्ड प्रिंटिंग वर्कस नाम से एक दुकान बनाई और वहीं रहने लगे । आप अपने मिशन के मुताबिक वहां के मजदूरों में कांग्रेस के प्रति चेतना जगाते रहे । 1937 के चुनावों में आपने श्री बी ० जी ० खैर जो वर्ली के इलाके से कांग्रेस के उमीदवार थे , की मदद की । श्री बी ० जी ० खैर जीते और बम्बई के पहले मुख्य मन्त्री बने । बम्बई में रहते हुए आपका श्री के ० एम ० मुन्शी , मास्टर नगीन दास , श्री के ० एफ ० नरीमन आदि नेताओं से काफी सम्पर्क रहा ।

कुछ अर्से के बाद आपको रोहतक वापिस आना पड़ा । यहां आकर आपने झज्जर को अपनी सरगर्मी का कार्य क्षेत्र बनाया । सन 1940 में आपको तहसील झज्जर कांग्रेस कमेटी का इंचार्ज नामजद किया गया । सन 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में आप को फिर एक साल कैद की सजा मिली , परन्तु 4 माह बाद ही हाई कोर्ट लाहौर के एक फैसले की बिना पर आप रिहा हो गए ।

सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में 20-8-42 को आप को फिर गिरफ्तार कर लिया गया और 4 माह तक नजरबन्द रखा गया । इसके बाद आपको सन 1943 के अन्त तक गांव की सीमा में ही पाबन्द रखा गया । आप हर कार्य को निष्ठा और कुशलता से करने की क्षमता रखते थे । आप में सच्चाई और ईमानदारी से कार्य करने की लग्न थी , हौंसला था । आप निर्भीक और स्पष्ट वक्ता भी रहे । स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद आपकी खूबियाँ उभर कर और सामने आईं , जिसके कारण पार्टी , समाज और अन्य जिम्मेदारी के कामों आप अग्रसर रहने लगे ।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद आपको इंचार्ज तहसील कांग्रेस कमेटी झज्जर , मैम्बर अलाटमेंट कमेटी झज्जर व प्रधान हरिजन सेवक संघ तहसील झज्जर बनाया गया । फिर बसाओं महकमें के साथ मिल कर आपने झज्जर में शरणार्थियों को फिर से बसाने में बड़ा काम किया । इस अर्से में आपने महसूस किया कि यहां के देहाती इलाके में प्राथमिक चिकित्सा का कोई प्रबन्ध नही है । आप ने यह भी महसूस किया कि जब तक इलाके में मर्द और औरतों को पढ़ाया नहीं जाएगा इलाका तरक्की नहीं करेगा । इसलिए आपने सन 1948 में जनता सुधार सोसाईटी ( Promoting Economic Knowledge Co – op . Society ) gear regrare and afte हल्के में 20 से ऊपर फर्स्ट – एड की शाखाएं खुलवाई । गांव – गांव में प्रोढ़ – शिक्षा केन्द्र खोले गए ।

समय के साथ – साथ आपका कार्य क्षेत्र बढ़ता गया । आप सन 1948 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के जयपुर अधिवेशन तथा 1950 में नासिक अधिवेश के लिए डेलीगेट चुने गए । आप सन 1950 से 1965 तक मैम्बर प्रदेश कांग्रेस कमेटी व सन 1967 से 1972 तक मैम्बर ए ० आई ० सी ० सी ० व प्रधान जिला कांग्रेस रहे । सन 1971 में आपने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के शिमला अधिवेशन में शहरी सम्पत्ति की हद निश्चित करने का प्रस्ताव भी रखा था ।

सन 1963 से 1966 तक कोफ्रेटिव सेंट्रल बैंक रोहतक के डायरेक्टर व उप – प्रधान रहे । सन 1962 1977 तक आप जिला कांग्रेस कमेटी के महामन्त्री रहे । आप उत्तर रेलवे उपभोक्ता समिति के सदस्य भी रहे । और जुलाई सन 1991 में आपको हरियाणा सरकार ने स्वतन्त्रता सैनिक सम्मान समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया ।

आपने स्वतन्त्रता संग्राम पर कई पुस्तकें लिखी हैं , जिनमें स्वतन्त्रता संग्राम में जिले रोहतक का योगदान , हरियाणा समारिका , स्वतन्त्रता के गीत , आप बीती और अनुभव , चौ . लहरीसिंह का जीवन परिचय , सर छोटूराम दिग्दर्शन व स्वतन्त्रता संग्राम में हरियाणा का योगदान हैं ।

अमित सिवाहा