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गोलवलकर गुरुजी के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए दिग्विजय सिंह को लिखित माफी मांगने का निर्देश

ठाणे की एक अदालत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर गुरुजी के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को लिखित माफी मांगने का निर्देश दिया है।

दरअसल, आरएसएस के स्वयंसेवक विवेक चंपानेरकर ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में कांग्रेस नेता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। उन्होंने कोर्ट से कहा था कि दिग्विजय सिंह ने 8 जुलाई, 2023 को सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट डाली। इसके लिए कोर्ट उन्हें कांग्रेस नेता से मानहानिकारक पोस्ट के लिए मुआवजे और क्षतिपूर्ति के रूप में 1 रुपया वसूलने का अधिकार दे।

गुरुवार को दिग्विजय सिंह की ओर से पेश वकील ने कोर्ट के समक्ष कहा कि आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट हटा दी गई है। इसलिए अब कोई वजह नहीं बचती है कि दिग्गज कांग्रेस नेता के खिलाफ अदालत में दायर मानहानि की शिकायत को और आगे खींचा जाए। हालांकि, शिकायतकर्ता आरएसएस स्वयंसेवक विवेक चंपानेरकर की ओर से पेश वकील आदित्य मिश्रा और सुरभि पांडे ने दिग्विजय सिंह से लिखित माफी के बिना मामले को बंद करने का विरोध किया।

बता दें कि शिकायतकर्ता चंपानेरकर ने कोर्ट में दावा किया था कि सिंह की पोस्ट ने “वादी के संगठन यानी आरएसएस को बहुत बदनाम किया है और चंपानेरकर को व्यक्तिगत रूप से बहुत आहत किया है, इसलिए दिग्विजय सिंह पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत दंडनीय अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है और दंडित किया जा सकता है। साथ ही मानहानि के कपटपूर्ण कृत्य के लिए मुकदमा चलाया जाएगा।

इसको लेकर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 6 अक्टूबर, 2023 को दिग्विजय सिंह को समन जारी किया था। हालांकि, कांग्रेस नेता कोर्ट के सामने पेश नहीं हुए थे। गुरुवार को दोनों पक्षों को सुनने के बाद मजिस्ट्रेट पी सूर्यवंशी ने मामले की सुनवाई 29 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी, लेकिन निर्देश दिया कि सिंह अपने हस्ताक्षर वाला माफी पत्र अदालत को सौंपें।

आरएसएस के स्वयंसेवक विवेक चंपानेरकर ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में कांग्रेस नेता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। उन्होंने कोर्ट से कहा था कि दिग्विजय सिंह ने 8 जुलाई, 2023 को सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट डाली। इसके लिए कोर्ट उन्हें कांग्रेस नेता से मानहानिकारक पोस्ट के लिए मुआवजे और क्षतिपूर्ति के रूप में 1 रुपया वसूलने का अधिकार दे।