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सांस्कृतिक एकता, धार्मिक सहिष्णुता एवं विविधता भारत की पहचान- रवि

भोपाल । भारत की सांस्कृतिक एकता, धार्मिक सहिष्णुता एवं विविधता ने हमें वह सम्बल दिया है जिसकी बदौलत आज हम दुनिया के नैतिक मूल्यों का उदाहरण पेश कर पा रहे हैं। हमारी विविधता में एकता भारत की पहचान बन चुकी है। दुनिया के कई देश आपसी संघर्ष में अपना अस्तित्व खो चुके हैं भारत ने भी कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और उनमें खोया कम है पाया अधिक है।
 
यह विचार प्रख्यात विचारक, चिंतक एवं लेखक श्री रवि कुमार अय्यर ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में एक विशेष व्याख्यान के दौरान व्यक्त किए। समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की। प्राचीन भारतीय ग्रन्थों पर आधारित प्रबोधन कार्यक्रम में व्याख्यान देते हुए श्री अय्यर ने कहा कि भारतीय धार्मिक ग्रन्थ भगवद्गीता, वेद, उपनिषद एवं रामायण के बारे में दुनिया के कई देशों में शोध हुए है और वहाँ उनका अनुसरण करने वाले आज भी इनकी मान्यताओं को जीवन में अपनाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की एकता का मूल आधार अहमारी संस्कृति हैं जो विविधता में एकता का सूत्र पिरोये हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कई क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं और आगे आने वाले 20 वर्षो। में कई परिवर्तन हमें देखने को मिलेंगे। उन्होंने इतिहासकारों से आग्रह किया कि वह शोध के जरिये वस्तुस्थिति को जनसामान्य तक पहुँचाने का कार्य करें।
 
 
(डॉ. पवित्र श्रीवास्तव)
निदेशक, जनसंपर्क