साइबर ठगी एक वैश्विक समस्या इससे नागरिकों का हो रहा है भारी आर्थिक नुक्सान
साइबर ठगी इतनी सफाई से की जाती है कि कुछ लोगों को तो पता ही नहीं चलता कि उनके साथ साइबर ठगी हो चुकी है। यह सब साइबर ठगी के प्रति जागरूक न होने के चलता ही सम्भव हो पाता है। साइबर ठगी का शिकार अक्सर महिलाएं होती पाई जाती हैं। भारत की लगभग एक तिहाई महिलाएं किसी न किसी प्रकार की साइबर ठगी का शिकार हो चुकी हैं एवं इनमें से केवल 35 प्रतिशत महिलाओं ने ही इस सम्बंध में शिकायत दर्ज कराई है, जबकि लगभग 47 प्रतिशत महिलाओं ने इस सम्बंध में कोई शिकायत दर्ज ही नहीं कराई है। साथ ही, लगभग 18 प्रतिशत महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें पता ही नहीं चला है कि उनके साथ साइबर ठगी हो चुकी है। यहां भी जानकारी का अभाव अधिक नजर आता है, क्योंकि आम नागरिकों को पता ही नहीं है कि उनके साथ साइबर ठगी होने के बाद उन्हें कहां एवं किस प्रकार शिकायत दर्ज कराना है। आम नागरिकों के जागरूक नहीं रहने के चलते भारत में साइबर ठगी अपने चरम पर पहुंच चुकी है।
वैश्विक स्तर पर जारी की गई एक जानकारी के अनुसार, केलेंडर वर्ष 2022 में साइबर ठगी के कुल 800,944 मामले दर्ज किए गए थे, इसमें लगभग 42.2 करोड़ नागरिक प्रभावित हुए थे तथा इन मामलों में 6 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि शामिल थी। ऐसा माना जाता है कि वैश्विक स्तर पर प्रतिदिन लगभग 2,328 साइबर ठगी के मामले घटित होते हैं। वर्ष 2001 से वर्ष 2021 तक पिछले 21 वर्षों के दौरान, साइबर ठगी के मामलों में कुल 2,600 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुक्सान हुआ है। एक अन्य अनुमान के अनुसार, साइबर ठगी से साइबर ठगों को प्रति वर्ष 1.50 लाख करोड़ रुपए की कमाई होती है और प्रतिवर्ष लगभग 43 प्रतिशत साइबर ठगी के हमले छोटे व्यवसाईयों पर होते हैं।
यह सही है कि आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में, विशेष रूप से महानगरों में, आम नागरिकों का इंटरनेट के बगैर गुजारा करना बहुत मुश्किल है। परंतु यदि इंटरनेट का उपयोग सावधानी पूर्वक किया जाय तो साइबर ठगी से बहुत बड़ी हद्द तक बचा जा सकता है। इस संबंध में कुछ विशेष सावधानियों पर ध्यान देना आवश्यक होगा। जैसे मुफ्त में प्राप्त हो रही इंटरनेट (वाई फाई) की सेवा के उपयोग से बचा जाना चाहिए, क्योंकि कुछ ऐसे वाईफाई भी होते हैं जिनके माध्यम से मोबाइल फोन एवं लेपटॉप से डाटा को चुरा लिया जाता है, अतः केवल सुरक्षित इंटरनेट की सेवा का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
पूर्ण सावधानी रखने के बाद भी यदि साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं तो तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी जानी चाहिए। पुलिस विभाग द्वारा विशेष रूप से साइबर ठगी के मामलों के लिए अलग से साइबर सेल एवं पुलिस थाने बनाए गए हैं, जहां केवल साइबर ठगी के मामलों के सम्बंध में ही शिकायतें दर्ज की जाती हैं। साइबर ठगी से जुड़े मामलों की शिकायत के लिए विशेष हेल्पलाइन फोन क्रमांक भी जारी किया गया है।
साइबर ठगी के मामलों में यदि तुरंत पुलिस की सहायता ली जाय तो कई मामलों में साइबर ठगों द्वारा लूटी गई राशि की वसूली सम्भव हो जाती है। जैसे पटना के एक व्यक्ति को साइबर ठगों ने एक पोस्ट लाइक करने के नाम पर ठग लिया था। उस व्यक्ति को साइबर ठगों ने झांसा दिया कि पोस्ट लाइक करने पर कुछ राशि का भुगतान किया जाएगा और कुछ राशि का भुगतान किया भी, इस प्रकार साइबर ठगों ने उस व्यक्ति के बैंक खाते का पता कर लिया कि उसमें कितनी राशि जमा है और साइबर ठगी करते हुए उन्होंने 9.63 लाख रुपए से अधिक की राशि उस व्यक्ति के बैंक खाते से निकाल ली। पुलिस ने हेल्पलाइन क्रमांक 1930 पर जानकारी प्राप्त होते ही साइबर ठगों के खातों पर रोक लगाने में सफलता अर्जित कर ली और इस प्रकार साइबर ठगों से पूरी राशि उस व्यक्ति को वापिस करा दी।
प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
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