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‘दरियागंज की किताबी शाम – 4’

पुस्तक परिचर्चा : ‘भगवा का राजनीतिक पक्ष : वाजपेयी से मोदी तक’

नई दिल्ली। दक्षिण एशिया के सबसे बड़े और पुराने किताबी गढ़ ‘दरियागंज’ की विस्मृत साहित्यिक शामों को विचारों की ऊष्मा से स्पंदित करने के लिए वाणी प्रकाशन द्वारा एक विचार श्रृंखला ‘दरियागंज की किताबी शाम’ की शुरुआत की गयी है। इसमें विमर्श की ऊष्मा के साथ शामिल होगी गर्म चाय की चुस्कियाँ, कागज़ की ख़ुशबू और पुरानी दिल्ली का अपना ख़ास पारंपरिक फ़्लेवर। आज इस श्रृंखला की चौथी कड़ी का आयोजन किया गया।

दरियागंज की किताबी शाम-4 में इस बार परिचर्चा का विषय था – ‘भगवा का राजनीतिक पक्ष : वाजपेयी से मोदी तक’ इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकार सबा नक़वी से संवाद किया युवा रचनाकार लव कनोई से। ज्ञात हो कि सबा नक़वी की बहुचर्चित अंग्रेज़ी पुस्तक ‘शेड्स ऑफ़ सैफ़रन: वाजपेयी टू मोदी’ का हिन्दी अनुवाद ‘भगवा का राजनीतिक पक्ष: वाजपेयी से मोदी तक’ इसी वर्ष 2019 के मई माह में वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है।

युवा रचनाकार लव कनोई ने परिचर्चा की शुरुआत करते हुए सबा नक़वी से उनकी किताब के बनने की प्रक्रिया पर सवाल किए।

सबा नक़वी ने कहा कि यह किताब नहीं पत्रकारिता है। कमर्शियली यह मेरी सबसे महत्वपूर्ण किताब है। एक एजेंट ने मेरे पीछे पड़कर यह किताब लिखवा ली। फिर लिखते हुए स्मृतियों में जाते हुए मज़ा आने लगा। सबा ने कहा कि जब मैं अपनी लिखी रिपोर्ट देखती हूँ तो यह तो तसल्ली होती कि मैं अच्छा लिखती हूँ। मैं अपनी किताब को हिन्दी में इतनी ख़ूबसूरती से पेश किए जाने के लिए वाणी प्रकाशन की शुक्रगुज़ार हूँ। मैं वाकई बहुत ख़ुश हूँ कि यह किताब हिंदी पाठकों तक पहुँचेगी।

भाषा सम्बन्धी अनुवाद के बाबत लव द्वारा सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि कई हिन्दी मुहावरों जैसे वाजपेयी जी की ख़ूबसूरत भाषा का अनुवाद नहीं किया जा सकता। नरेंद्र मोदी की हिन्दी अलग तरह की है। लव द्वारा सेक्युलिरिज़्म पर सबा के एक आर्टिकल का हवाला देते हुए पूछा कि क्या इस किताब के हिन्दी में आने पर क्या धर्मनिरपेक्षता जैसे मुद्दों या देशज भाषा पर बात होगी? इस पर सबा का कहना था कि नया भारत अब इन मुद्दों और देशज शब्दों को अपनी भाषा और जीवनशैली में जगह देगा।

सबा के अनुसार आज भाजपा की प्रकृति ख़ुद को बंद कर रखने की है पर पहले ऐसा नहीं था। खुल कर बातचीत होती थी। वह एक अलग ही दौर था। मैंने जिन संपादकों के साथ काम किया उनके साथ स्वतंत्रता थी। पर अब चीज़ें बदल गईं हैं इसलिए मैं अपनी स्तम्भकार की भूमिका में ख़ुश हूँ। आज सरकार से आम जनता को सूचनाएँ मिलनी बंद हो गयी है। अभी भी पत्रकार विशेष कार्ड के साथ अंदर जा सकते पर उनसे मिलेगा कौन? भाजपा की प्रकृति पहले से बदली है। पहले के आज़ाद ख़्याल और बुद्धिजीवी नेता वाजपेयी, अरुण जेटली, जसवंत सिंह आदि अब वहाँ नहीं हैं और प्रोटोकॉल बदल गया है।

हिन्दुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार संजय कबीर ने सोशल मीडिया की भूमिका के बारे में सबा से सवाल किए। इस प्रश्न के उत्तर में सबा ने कहा कि भाजपा अपने सैद्धांतिक कोड के साथ सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय हैं।

पत्रकार हंसराज के सवाल कि क्या सूचनाएँ सही से नहीं आ रहीं के उत्तर में सबा ने कहा कि क्या अब कोई एक्सल्युसिव ख़बर आपने देखी है।

कांग्रेस एक कमज़ोर और संगठनात्मक रूप से बहुत दुर्बल पार्टी है। वहाँ परिवारवाद भी बहुल है। इसके कई कारण है जैसे मंडल, मंदिर जिसे वह पहचान नहीं पाए। लोग अमीर हो गए और पार्टी कंगाल। पर भाजपा संगठन के तौर पर बहुत मज़बूत है। पर अफ़सोस है कि यहाँ भी अब व्यक्तिवाद आ गया है। मैं कहा करती थी कि कांग्रेस गेटकीपर की पार्टी है पर अब ऐसा ही कुछ भाजपा के साथ हो रहा। वैसे यह तारीफ़ की बात कि सबसे अच्छी गठबंधन सरकार भाजपा ने बनायी है। उसने ममता, नीतीश जैसों नेताओं के लिए ट्रेनिंग स्कूल की तरह भी काम किया है।

सबा के अनुसार भाजपा में भी महिलाओं की सही भागेदारी नहीं है। सिर्फ़ उच्च पदों पर कुछ महिलाओं की स्थिति से स्त्रियों की भागेदारी सुनिश्चित नहीं की जा सकती।

वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी ने कहा कि यह किताब महिमामंडन नहीं बल्कि यह एक शोधपरक किताब है जिसमें हमने फ़ैक्ट्स और भाषा की शुद्धता पर बहुत ध्यान दिया है।

कार्यक्रम में रमेश कुमार, अंकुश कुमार, संजय कबीर, हंसराज, डॉ. भारती, अरुण कुमार, हिमांशु ,शालीन आदि उपस्थित रहे।

वाणी प्रकाशन के बारे में…

वाणी प्रकाशन 55 वर्षों से 32 साहित्य की नवीनतम विधाओं से भी अधिक में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वाणी प्रकाशन ने देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 क़स्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।

वाणी प्रकाशन भारत के प्रमुख पुस्तकालयों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व, से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन की सूची में, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 18 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, रशियन सेंटर ऑफ आर्ट एण्ड कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो, पोलिश लिटरेरी के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित करने का गौरव सम्मान प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ने 2008 में ‘Federation of Indian Publishers Associations’ द्वारा प्रतिष्ठित ‘Distinguished Publisher Award’ भी प्राप्त किया है। सन् 2013 से 2017 तक केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के 68 वर्षों के इतिहास में पहली बार श्री अरुण माहेश्वरी केन्द्रीय परिषद् की जनरल काउन्सिल में देशभर के प्रकाशकों के प्रतिनिधि के रूप में चयनित किये गये।

लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को ‘वातायन सम्मान’ तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक व वाणी फ़ाउण्डेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में ‘एक्सीलेंस इन बिज़नेस’ सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।

3 मई 2017 को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह’ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा ‘स्वर्ण-कमल-2016’ पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन को प्रदान किया गया। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केन्द्र ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर के साथ सहयोग कर ‘लेखक से मिलिये’ में कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम-शृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से ‘हिन्दी महोत्सव’ का आयोजन सम्पन्न करता आ रहा है।

वर्ष 2017 में वाणी फ़ाउण्डेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया। व वर्ष 2018 में वाणी फ़ाउण्डेशन, यू.के. हिन्दी समिति, वातायन और कृति यू. के. के सान्निध्य में हिन्दी महोत्सव ऑक्सफोर्ड, लन्दन और बर्मिंघम में आयोजित किया गया ।

‘किताबों की दुनिया’ में बदलती हुई पाठक वर्ग की भूमिका और दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने अपनी 51वी वर्षगाँठ पर गैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फ़ाउण्डेशन की स्थापना की। फ़ाउण्डेशन की स्थापना के मूल प्रेरणास्त्रोत सुहृदय साहित्यानुरागी और अध्यापक स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ हैं। स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र‘महेश’ ने वर्ष 1960 में वाणी प्रकाशन की स्थापना की। वाणी फ़ाउण्डेशन का लोगो विख्यात चित्रकार सैयद हैदर रज़ा द्वारा बनाया गया है। मशहूर शायर और फ़िल्मकार गुलज़ार वाणी फ़ाउण्डेशन के प्रेरणास्रोत हैं।

वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय और विदेशी भाषा साहित्य के बीच व्यावहारिक आदान-प्रदान के लिए एक अभिनव मंच के रूप में सेवा करता है। साथ ही वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय कला, साहित्य तथा बाल-साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शोधवृत्तियाँ प्रदान करता है। वाणी फ़ाउण्डेशन का एक प्रमुख दायित्व है दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी बड़ी भाषा हिन्दी को यूनेस्को भाषा सूची में शामिल कराने के लिए विश्व स्तरीय प्रयास करना।

वाणी फ़ाउण्डेशन की ओर से विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतवर्ष के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर और कम से कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है। इस पुरस्कार की आवश्यकता इसलिए विशेष रूप से महसूस की जा रही थी क्योंकि वर्तमान स्थिति में दो भाषाओं के मध्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले की स्थिति बहुत हाशिए पर है। इसका उद्देश्य एक ओर अनुवादकों को भारत के इतिहास के मध्य भाषिक और साहित्यिक सम्बन्धों के आदान-प्रदान की पहचान के लिए प्रेरित करना है, दूसरी ओर, भारत की सशक्त परम्परा को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना है।

वाणी फ़ाउण्डेशन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है भारतीय भाषाओं से हिन्दी व अंग्रेजी में श्रेष्ठ अनुवाद का कार्यक्रम। इसके साथ ही इस न्यास के द्वारा प्रतिवर्ष डिस्टिंगविश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड भी प्रदान किया जाता है जिसमें मानद पत्र और एक लाख रुपये की राशि अर्पित की जाती हैं। वर्ष 2018 के लिए यह सम्मान प्रतिष्ठित अनुवादक, लेखक, पर्यावरण संरक्षक तेजी ग्रोवर को दिया गया है।

विस्तृत जानकारी के लिए हमें ई-मेल करें : [email protected]

या वाणी प्रकाशन के इस हेल्पलाइन नम्बर पर सम्पर्क करें : +919643331304

 ‘दरियागंज की किताबी शाम – 4

पुस्तक परिचर्चा : भगवा का राजनीतिक पक्ष : वाजपेयी से मोदी तक

नई दिल्ली।   दक्षिण एशिया के सबसे बड़े और पुराने किताबी गढ़ दरियागंज की विस्मृत साहित्यिक शामों को विचारों की ऊष्मा से स्पंदित करने के लिए वाणी प्रकाशन द्वारा एक विचार श्रृंखला दरियागंज की किताबी शाम की शुरुआत की गयी है। इसमें विमर्श की ऊष्मा के साथ शामिल होगी गर्म चाय की चुस्कियाँ, कागज़ की ख़ुशबू और पुरानी दिल्ली का अपना ख़ास पारंपरिक फ़्लेवर। आज इस श्रृंखला की चौथी कड़ी का आयोजन किया गया।

दरियागंज की किताबी शाम-4 में इस बार परिचर्चा का विषय था – ‘भगवा का राजनीतिक पक्ष : वाजपेयी से मोदी तक’ इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकार सबा नक़वी से संवाद किया युवा रचनाकार लव कनोई से। ज्ञात हो कि सबा नक़वी की बहुचर्चितअंग्रेज़ी पुस्तक ‘शेड्स ऑफ़ सैफ़रन: वाजपेयी टू मोदी’ का हिन्दी अनुवाद ‘भगवा का राजनीतिक पक्ष: वाजपेयी से मोदी तक’ इसी वर्ष 2019 के मई माह में वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है।

 

युवा रचनाकार लव कनोई ने परिचर्चा की शुरुआत करते हुए सबा नक़वी से उनकी किताब के बनने की प्रक्रिया पर सवाल किए।

सबा नक़वी ने कहा कि यह किताब नहीं पत्रकारिता है। कमर्शियली यह मेरी सबसे महत्वपूर्ण किताब है। एक एजेंट ने मेरे पीछे पड़कर यह किताब लिखवा ली। फिर लिखते हुए स्मृतियों में जाते हुए मज़ा आने लगा। सबा ने कहा कि जब मैं अपनी लिखी रिपोर्ट देखती हूँ तो यह तो तसल्ली होती कि मैं अच्छा लिखती हूँ। मैं अपनी किताब को हिन्दी में इतनी ख़ूबसूरती से पेश किए जाने के लिए वाणी प्रकाशन की शुक्रगुज़ार हूँ। मैं वाकई बहुत ख़ुश हूँ कि यह किताब हिंदी पाठकों तक पहुँचेगी।

भाषा सम्बन्धी अनुवाद के बाबत लव द्वारा सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि कई हिन्दी मुहावरों जैसे वाजपेयी जी की ख़ूबसूरत भाषा का अनुवाद नहीं किया जा सकता। नरेंद्र मोदी की हिन्दी अलग तरह की है। लव द्वारा सेक्युलिरिज़्म पर सबा के एक आर्टिकल का हवाला देते हुए पूछा कि क्या इस किताब के हिन्दी में आने पर क्या धर्मनिरपेक्षता जैसे मुद्दों या देशज भाषा पर बात होगी? इस पर सबा का कहना था कि नया भारत अब इन मुद्दों और देशज शब्दों को अपनी भाषा और जीवनशैली में जगह देगा।

सबा के अनुसार आज भाजपा की प्रकृति ख़ुद को बंद कर रखने की है पर पहले ऐसा नहीं था। खुल कर बातचीत होती थी। वह एक अलग ही दौर था। मैंने जिन संपादकों के साथ काम किया उनके साथ स्वतंत्रता थी। पर अब चीज़ें बदल गईं हैं इसलिए मैं अपनी स्तम्भकार की भूमिका में ख़ुश हूँ। आज सरकार से आम जनता को सूचनाएँ मिलनी बंद हो गयी है। अभी भी पत्रकार विशेष कार्ड के साथ अंदर जा सकते पर उनसे मिलेगा कौन? भाजपा की प्रकृति पहले से बदली है। पहले के आज़ाद ख़्याल और बुद्धिजीवी  नेता वाजपेयी, अरुण जेटली, जसवंत सिंह आदि अब वहाँ नहीं हैं और प्रोटोकॉल बदल गया है।

हिन्दुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार संजय कबीर ने सोशल मीडिया की भूमिका के बारे में सबा से सवाल किए। इस प्रश्न के उत्तर में सबा ने कहा कि भाजपा अपने सैद्धांतिक कोड के साथ सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय हैं।

पत्रकार हंसराज के सवाल कि क्या सूचनाएँ सही से नहीं आ रहीं  के उत्तर में सबा ने कहा कि क्या अब कोई एक्सल्युसिव ख़बर आपने देखी है।

कांग्रेस एक कमज़ोर और संगठनात्मक रूप से बहुत दुर्बल पार्टी है। वहाँ परिवारवाद भी बहुल है। इसके कई कारण है जैसे मंडल, मंदिर जिसे वह पहचान नहीं पाए। लोग अमीर हो गए और पार्टी कंगाल। पर भाजपा संगठन के तौर पर बहुत मज़बूत है। पर अफ़सोस है कि यहाँ भी अब व्यक्तिवाद आ गया है। मैं कहा करती थी कि कांग्रेस गेटकीपर की पार्टी है पर अब ऐसा ही कुछ भाजपा के साथ हो रहा।  वैसे यह तारीफ़ की बात कि सबसे अच्छी गठबंधन सरकार भाजपा ने बनायी है। उसने ममता, नीतीश जैसों नेताओं के लिए ट्रेनिंग स्कूल की तरह भी काम किया है।

सबा के अनुसार भाजपा में भी महिलाओं की सही भागेदारी नहीं है। सिर्फ़ उच्च पदों पर कुछ महिलाओं की स्थिति से स्त्रियों की भागेदारी सुनिश्चित नहीं की जा सकती।

वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी ने कहा कि यह किताब महिमामंडन नहीं बल्कि यह एक शोधपरक किताब है जिसमें हमने फ़ैक्ट्स और भाषा की शुद्धता पर बहुत ध्यान दिया है।

कार्यक्रम में रमेश कुमार, अंकुश कुमार, संजय कबीर, हंसराज, डॉ. भारती, अरुण कुमार, हिमांशु ,शालीन आदि उपस्थित रहे।

वाणी प्रकाशन के बारे में…

वाणी प्रकाशन 55 वर्षों से 32 साहित्य की नवीनतम विधाओं से भी अधिक में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वाणी प्रकाशन ने देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 क़स्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।

वाणी प्रकाशन भारत के प्रमुख पुस्तकालयों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व, से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन की सूची में, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 18 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, रशियन सेंटर ऑफ आर्ट एण्ड कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो, पोलिश लिटरेरी के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित करने का गौरव सम्मान प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ने 2008 में ‘Federation of Indian Publishers Associations’ द्वारा प्रतिष्ठित ‘Distinguished Publisher Award’ भी प्राप्त किया है। सन् 2013 से 2017 तक केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के 68 वर्षों के इतिहास में पहली बार श्री अरुण माहेश्वरी केन्द्रीय परिषद् की जनरल काउन्सिल में देशभर के प्रकाशकों के प्रतिनिधि के रूप में चयनित किये गये।

लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को वातायन सम्मान तथा 28 मार्च 2017  को वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक व वाणी फ़ाउण्डेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में एक्सीलेंस इन बिज़नेस  सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।

3 मई 2017 को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा स्वर्ण-कमल-2016’ पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन को प्रदान किया गया। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केन्द्र ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर के साथ सहयोग कर ‘लेखक से मिलिये’ में कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम-शृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से हिन्दी महोत्सव का आयोजन सम्पन्न करता आ रहा है।

वर्ष 2017 में वाणी फ़ाउण्डेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया। व वर्ष 2018 में वाणी फ़ाउण्डेशन, यू.के. हिन्दी समिति, वातायन और कृति यू. के. के सान्निध्य में हिन्दी महोत्सव ऑक्सफोर्ड, लन्दन और बर्मिंघम में आयोजित किया गया ।

‘किताबों की दुनिया’ में बदलती हुई पाठक वर्ग की भूमिका और दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने अपनी 51वी वर्षगाँठ पर गैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फ़ाउण्डेशन  की स्थापना की। फ़ाउण्डेशन की स्थापना के मूल प्रेरणास्त्रोत सुहृदय साहित्यानुरागी और अध्यापक स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र महेश  हैं। स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र‘महेश’ ने वर्ष 1960 में वाणी प्रकाशन  की स्थापना की। वाणी फ़ाउण्डेशन का लोगो विख्यात चित्रकार सैयद हैदर रज़ा द्वारा बनाया गया है। मशहूर शायर और फ़िल्मकार गुलज़ार वाणी फ़ाउण्डेशन के प्रेरणास्रोत हैं।

वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय और विदेशी भाषा साहित्य के बीच व्यावहारिक आदान-प्रदान के लिए एक अभिनव मंच के रूप में सेवा करता है। साथ ही वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय कला, साहित्य तथा बाल-साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शोधवृत्तियाँ प्रदान करता है। वाणी फ़ाउण्डेशन का एक प्रमुख दायित्व है दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी बड़ी भाषा हिन्दी को यूनेस्को भाषा सूची में शामिल कराने के लिए विश्व स्तरीय प्रयास करना।

वाणी फ़ाउण्डेशन की ओर से विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतवर्ष के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर और कम से कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है। इस पुरस्कार की आवश्यकता इसलिए विशेष रूप से महसूस की जा रही थी क्योंकि वर्तमान स्थिति में दो भाषाओं के मध्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले की स्थिति बहुत हाशिए पर है। इसका उद्देश्य एक ओर अनुवादकों को भारत के इतिहास के मध्य भाषिक और साहित्यिक सम्बन्धों के आदान-प्रदान की पहचान के लिए प्रेरित करना है, दूसरी ओर, भारत की सशक्त परम्परा को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना है।

वाणी फ़ाउण्डेशन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है भारतीय भाषाओं से हिन्दी व अंग्रेजी में श्रेष्ठ अनुवाद का कार्यक्रम। इसके साथ ही इस न्यास के द्वारा प्रतिवर्ष डिस्टिंगविश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड भी प्रदान किया जाता है जिसमें मानद पत्र और एक लाख रुपये की राशि अर्पित की जाती हैं। वर्ष 2018 के लिए यह सम्मान प्रतिष्ठित अनुवादक, लेखक, पर्यावरण संरक्षक तेजी ग्रोवर को दिया गया है।

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