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विश्व स्तरीय पहचान बना कच्छ के रन का रेगिस्तान

रेगिस्तान का अर्थ ज्यादातर रेत के रेगिस्तान से लिया जाता है और भारत में इस संदर्भ में राजस्थान का जिक्र होता है। आपको बतादें गुजरात राज्य के कच्छ के रन का रेगिस्तान कहा जाता है,जो रेत का न हो कर नमक का रेगिस्तान है। इस रेगिस्तान की आज विश्व स्तरीय पहचान बन गई है और दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। कच्छ के उत्तर एवं पूर्व में फैला लवणीय दल-दल का वीरान क्षेत्र है जो करीब 23 हजार वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला है। कच्छ एक द्वीप है, कच्छ और मुख्यभूमि के बीच समुद्र का छोटा सा हिस्सा आता है जो बारिश के मौसम के बाद पूरी तरह से सूख जाता है और फिर यहां चारों तरफ दिखती है सफेद जमीन, जो नमक होता है। इसे ही कच्छ का रन कहा जाता है।

यह गुजरात में अरब सागर से 100 किलोमीटर दूर बंजर रेगिस्तान में झाग की तरह सफ़ेद नमक का विस्तृत मैदान है, जो उत्तर में पाकिस्तान के साथ लगती सरहद तक फैला हुआ है। यह दो हिस्सों में बंटा है- महान या बड़ा रण 18,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है जबकि दूसरा
छोटा रण कहलाता है जो 5,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इन दोनों को मिला कर नमक और ऊंची घास का विस्तृत मैदान बनता है जो दुनिया के सबसे बड़े नमक के रेगिस्तानों में से एक है। यहीं से भारत को 75 फ़ीसदी नमक मिलता है। हर साल गर्मियों के महीने में मॉनसून की बारिश होने पर रण में बाढ़ आ जाती है. सफे़द नमक के सूखे मैदान बिल्कुल ग़ायब हो जाते हैं और उनकी जगह झिलमिलाता समुद्र बन जाता है।

अक्टूबर से मार्च के बीच ठंड के महिनो में प्रवासियों परिंदों के झुंड छोटे रण में अपना घर बनाते हैं। इन पक्षियों में चील, सारस, बगुले, तीतर, फुदकी और रण के सबसे मशहूर राजहंस शामिल हैं। छोटा रण विलुप्त होने के कगार तक पहुंच चुके एशियाई जंगली गधों की भी आख़िरी शरणस्थली के लिए पहचान बनाता है। यहां रेगिस्तानी लोमड़ी, नीलगाय और चिंकारा भी देखने को मिलते हैं। ऊंट की सवारी तथा सूर्योदय एवं सूर्यास्त के दृश्य को निहारने का आनन्द लेते पर्यटक नज़र आते हैं।

यहां का रण उत्सव पूरी दुनिया में मशहूर है। हर साल नवंबर से फरवरी के मध्य धोरडो नामक गांव में पर्यटन विभाग द्वारा 38 दिनों तक रन महोत्सव मनाया जाता है, जो प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस उत्सव में गुजरात की लोक कला, संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प कला एवं अन्य सांस्कृतिक विशेषताओं के साथ-साथ राज्य का पहरावा एवं खान-पान की झलक देखने को मिलती हैं। उत्सव में हर वर्ष विदेशी पर्यटकों की भारी बढ़ोतरी हो रही है। इस उत्सव से स्थानीय लोक कला एवं कलाकारों को भी सम्बल मिलता है। यह उत्सव अब न केवल कच्छ का वरण विश्व स्तरीय महत्वपूर्ण उत्सव बन गया है। इस दौरान सैलानी मौसमी पहाड़ों के सौन्दर्य का भी आनन्द लेते हैं। यहाँ से आप निम्न प्रमुख स्थानों को भी देखने का कार्यक्रम बना सकते हैं।

गिर वन राष्ट्रीय उद्यान
वन्य जीवों से प्यार है तो आप यहां ज़रूर जाएं, खासतौर पर बच्चों को यह जगह बहुत पसंद आएगी। गिर वन राष्ट्रीय उद्यान ‘बाघ संरक्षित क्षेत्र’ है, जो ‘एशियाई बब्बर शेर’ के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां कई तरह के वन्य जीव देखे जा सकते हैं। यह वाइल्ड लाइफ सेंचुरी करीब 1424 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। जानवरों के साथ ही यहां कई तरह के फूल, पक्षी आदि देखे जा सकते हैं।

द्वारका
यह मशहूर तीर्थ स्थलों में से एक है। गुजरात का द्वारकापूरी तीर्थ मोक्ष प्राप्ति के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि श्री कृष्ण कहने पर विश्वकर्मा ने इस जगह को बनाया था। यह जगह बहुत सुंदर है।

सोमनाथ
पूरे गुजरात में एक से बढ़कर एक मंदिर है। कच्छ का सोमनाथ मंदिर अपनी कलात्मक शैली और नक्काशी के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। इस भव्य मंदिर को भगवान शिव का बारहवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

भुज
हैंडीक्राफ्ट में रुचि रखने वालों को है भुज ज़रूर जाना चाहिए। यहां ठप्पे की छपाई का कपड़ा, बंधेज, चांदी का सामान और कढ़ाई वाले कपड़ों के साथ ही आपको कच्छी हस्तशिल्प भी देखने को मिलेगा।