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कट्टर कांग्रेसी छवि के बावजूद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सबके चहेते रहे

भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी संसारिक यात्रा समाप्त कर इस दुनिया को अलविदा कह दिया| इसके साथ ही भारत की राजधानी का एक अध्याय भी समाप्त हो गया. लेकिन जाते जाते प्रणब दा एक बात साबित कर गए कि सोशल मीडिया के भड़काऊ दौर में भी लोग किसी पार्टी से ऊपर उठ कर किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत स्वभाव का सम्मान करना जानते हैं. कांग्रेस और बीजेपी का वाक युद्ध सोशल मीडिया के सबसे चर्चित मुद्दों में से एक है| इन पार्टियों के समर्थक एक दूसरे पर निशाना साधने का एक भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते| लेकिन प्रणब दा की कट्टर कांग्रेसी छवि के बावजूद भी सभी लोगों ने उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की |

राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी को विद्वता और शालीन व्यक्तित्व के लिए याद किया जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में लीक से हटकर अनूठे एवं अविस्मरणीय फैसले लिए। राष्ट्रपति पद के साथ औपचारिक तौर पर लगाए जाने वाले ‘महामहिम’ के उद्बोधन को उन्होंने खत्म करने का निर्णय लिया। रायसीना की पहाड़ी पर बने राष्ट्रपति भवन में अब तक कई राष्ट्रपतियों ने अपनी छाप छोड़ी है। उनमें राष्ट्रपति के रूप में प्रणब दा का कार्यकाल ऐतिहासिक, यादगार, गैरविवादास्पद और सरकार से बिना किसी टकराव का रहा। आमतौर पर राष्ट्रपति को भेजी गईं दया याचिकाएं लंबे समय तक लंबित रहती हैं लेकिन प्रणब मुखर्जी कई आतंकवादियों की फांसी की सजा पर तुरंत फैसले लेने के लिए याद किए जाएंगे। मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब और संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की सजा पर मुहर लगाने में प्रणब मुखर्जी ने बिलकुल भी देर नहीं लगाई।

राष्ट्रपति के तौर पर 5 साल के अपने कार्यकाल के दौरान प्रणब मुखर्जी ने राजनीतिक जुड़ाव से दूर रहकर काम किया। प्रणब दा जब केंद्र सरकार में थे तो उन्हें सरकार के संकटमोचक के तौर पर देखा जाता था, जब वे बातचीत के जरिए विभिन्न समस्याओं का समाधान निकालने वाले में माहिर माने जाते थे। पांच दशक के राजनीतिक जीवन में, जिसमें उन्होंने असंख्य शब्द कहे, एक भी अभद्र टिप्पणी उनकी आप याद नहीं कर सकते।

प्रणब दा के राजनीतिक जीवन की अनेक विशेषताएं एवं विलक्षणताएं रही हैं। कानून, सरकारी कामकाज की प्रक्रियाओं और संविधान की बारीकियों की बेहतरीन समझ रखने वाले प्रणब दा 2014 के बाद नई भाजपा सरकार से अच्छे संबंध बनाने में सफल रहे। देश की राजनीतिक परिस्थितियों, देश की घटनाओं से वे अपने आपको अवगत रखते थे। प्रधानमंत्री की विशेष पहल पर उन्होंने शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति भवन परिसर में बने स्कूल में छात्रों को पढ़ाया भी। इन्होंने राष्ट्रपति भवन में एक संग्रहालय का भी निर्माण करवाया, जहां आम लोग अपनी इस विरासत को देख सकते हैं।

वित्त मंत्री से लेकर विदेश मंत्री तक का पदभार संभालने वाले प्रणब मुखर्जी पहले ऐसे वित्त मंत्री थे जिन्होंने 5 बार देश का बजट पेश किया. पोस्ट एंड टेलीग्राफ ऑफिस में एक क्लर्क की नौकरी से देश के सबसे शीर्ष पद तक पहुंचने का सफर ही उनकी मेहनत की कहानी कहता है |संघ से बिगाड़ ना करना, किसी तरह के विवाद से दूरी बना कर रखना, मौके की नज़ाकत के हिसाब से अपनी बात रखना और राजनीति को अच्छे से समझना, यही सब कारण थे कि आज प्रणब दा के लिए हर कोई अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है|

अशोक भाटिया, A /0 0 1 वेंचर अपार्टमेंट ,वसंत नगरी,वसई पूर्व ( जिला पालघर-401208) फोन/ wats app 9221232130