पुस्तकों का पाठकों से रिश्ता जोड़ने वाली डॉ. शशि जैन

कविता और छंद लेखन में सिद्ध हस्त डॉ.शशि जैन सरल, सहज, शांत, सौम्य स्वभाव अपने से बड़ों का आदर और बराबर के तथा छोटों से आत्मिक स्नेह की मिसाल हैं । सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय में आने वाले सभी आगंतुकों और पाठकों का मुस्करा कर स्वागत करना और यथा संभव सहयोग प्रदान करना स्वभाव में शामिल है। पुस्तकों का समुचित रख रखाव, कैटलोगिंग, पुस्तकों का लेन – देन और आयोजित समस्त कार्यक्रमों को सफलता की सीढ़ी चढ़ाने में सक्रिय भूमिका इनके कार्य की अपनी ही विशिष्टताएँ हैं। अपने कार्यों को अंजाम देते हुए अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेश और निर्देश की पालना पूरी निष्ठा से कर उन्हें हर अपेक्षित सहयोग प्रदान करना इनका विशेष गुण है। आप वर्तमान अधिकारी डॉ.दीपक कुमार श्रीवास्तव के कार्य, मार्गदर्शन और सहयोग की अनन्य प्रशंसक हैं।

आपकी साहित्य और लेखन में भी पूर्ण रुचि है। आप हिंदी में कविताएं और छंद लिखती हैं। कई रचनाएं कतिपय समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुई हैं। अब तक ये लगभग 360 कविताएं और छंद का सृजन कर चुकी है।

आपकी एक कविता मेरे प्रिये मेरे जीवन साथी की बानगी देखिए……….
मेरे प्रिये मेरे जीवन साथी
तुम हो मेरी जिंदगी,
तुम हो मेरी धड़कन
तुम हो मेरे जीवन नैय्या के मांझी।
मैं रहूं हमेशा खुश हर दम तुम ऐसा सोचते हो,
हां कभी-कभी कुछ बातों पे तुम मुझसे थोड़ा रूठते हो।
मेरी आंखों के आंसू से तुम द्रवित हो जाते हो,
जब भी लगता में हार रही तुम हिम्मत बन जाते हो।
जिस राह पर लगता मुझको डर
तुम ढ़ाढस बन संग हो जाते,
जब चुभता है पग में कंकड़
तुम मरहम बन हो सहलाते।
मैं हूं अधूरी यूं तुम बिन जैसे दिया और बाती,
कहती हूं गर्व से प्रियवर तुम हो मेरे जीवन
साथी
तुम हो मेरी जीवन नैया के मांझी।

छंद विधा में भी आपने कदम बढ़ाए हैं । कुछ छंदो की बानगी देखिए………
( 1 )समय की इस अनवरत बहती धारा में,
चंद बर्षों का हिसाब क्या रखे…..।
जिन्दगीं ने दिया है जब इतना बेशुमार यहां,
फिर जो नही मिला उसका हिसाब क्या रखें…..।।

( 2 ) मेहमान देखकर मान और सम्मान बदल जाते हैं,
चढ़ावा कम हो तो आशीष और वरदान बदल जाते हैं !
वक्त पर मन की मनोकामना पूरी अगर न हो तो,
भक्तों की भक्ति, मंदिर और भगवान बदल जाते हैं…!!

इनका कविता संग्रह प्रकाशन प्रक्रिया में है। आप दो पुस्तकों का संपादन भी कर चुकी हैं तथा कविताओं के एक साझा संकलन का संपादन कर रही हैं। आपके शोध प्रबंध पर पुस्तक का प्रकाशन भी किया गया है। पुस्तकालय के क्षेत्र में और राष्ट्रीय जनरल में आपके रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हैं। आपने कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय, सेमिनार, वर्कशॉप ,और कॉन्फ्रेंस में भाग लिया है। आपने पुस्तकालय में आयोजित विभिन्न साहित्यिक, महापुरुषों की जयंतियां, प्रदर्शनियां, प्रतिभा सम्मान समारोह, पुस्तक विमोचन आदि हज़ारों कार्यक्रमों के सफलतापूर्वक आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई। सभी कार्यक्रमों की सफलता में आपकी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। आप इंडियन लाइब्रेरी एसोसिएशन, नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ़ इंडिया, राजस्थान पब्लिक लाइब्रेरी एसोसिएशन कोटा, लाइब्रेरी एसोसिएशन की आजीवन सदस्य हैं।

आपके कार्यों से अधिकारी और सभी सहयोगी कर्मचारी हमेशा आपके साथ खड़े नजर आते हैं। आपको समय – समय पर डिजिटल पार्टिसिपेशन अवार्ड 2016, इनर व्हील वेस्ट लाइब्रेरियन अवार्ड 2019, अप्रिशिएसन ऑफ एमआरईएस इनोवेटिव पेपर अवार्ड 2019, अवार्ड ऑफ़ एक्सीलेंस 2019, कलम शिरोमणि साहित्य सम्मान 2019, श्री कर्मयोगी साहित्य सम्मान 2022, समरस श्री काव्य शिरोमणि सम्मान 2021 एवं 2022, शान-ए- ग्रंथालय अवार्ड 2022, हिंदी सेवी सम्मान 2023, बेस्ट लाइब्रेरियन अवार्ड2023 ( चैंप रीडर्स एसोसिएशन) द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

हरफनमौला डॉ. शशि जैन का जन्म 12 सितंबर 1964 को पिता स्व. श्री मांगीलाल जैन एवं माता स्व. श्री तारा देवी जैन के परिवार में भरतपुर ( राजस्थान) हुआ। आपकी
प्रारंभिक शिक्षा रूपबास में और उच्च शिक्षा भरतपुर से हुई। आपने राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से स्नातक और संस्कृत में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय ,कोटा,पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त कर प्राकृत भाषा में डिप्लोमां किया। आपने केरियर प्वाइंट यूनिवर्सिटी से पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में ” जॉब सेटिस्फेक्शन अमंग पब्लिक लाइब्रेरी प्रोफेशनल्स इन साउथ – इस्ट रीजन इन राजस्थान ” विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। आप स्थानीय साहित्यिक संस्थाओं , अंतर्राष्ट्रीय महिला काव्य मंच कोटा इकाई से सक्रिय रुप से जुड़ी हैं। आप प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संस्था समरस संस्थान साहित्य सृजन भारत, गांधीनगर (गुजरात ) में राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी के रूप में जुड़ी हैं। आपके पति राजेंद्र कुमार जैन राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय- कोटा से सहायक उपकुलसचिव पद से सेवानिवृत्त हैं।

संपर्क मोबाइल : 94146 61688

डॉ . प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा