डॉ. श्री बालाजी तांबे के योगदान पर पुणे में अभिनव आयोजन

जो समाज से मिलता है वह समाज को कई गुना लौटा दो,  इसी पावन भावना के साथ डॉ, श्री बालाजी तांबे जीवन भर कार्य करते रहे। उनका मानना था कि मनुष्य को अपना जीवन किसी वृक्ष की तरह जीना चाहिए, वृक्ष आपसे एक बीज लेता है और आपकी सहायता से ही बीज को विकसित कर अपने आपको फल और फूलों से लाद देता है। इन फल फूलों काु उ  उपयोग वह अपने लिए नहीं करता।

मुंबई से पुणे जाते समय लोनावाला से मात्र 7 किलोमीटर दूर कार्ला में स्थित डॉ. श्री बालाजी तांबे द्वारा स्थापित आत्म संतुलन विलेज आज पूरी दुनिया मे  आयुर्वेद उपचार और  प्राकृतिक व वैदिक जीवन शैली का जीवंत केंद्र बन चुका है। बालाजी के निधन के बाद भी उनके सुयोग्य पुत्र सुनील तांबे अपने सहयोगियों के साथ इस संस्थान को उसी पवित्रता और अनुशासन के साथ चला रहे हैं जैसा बालाजी तांबे अपने जीवन काल में संचालित करते थे।

दुनिया भर के लोग यहाँ अपनी बीमारियों के इलाज से लेकर प्राकृ-तिक व वैदिक जीवन शैली का अनुभव करने आते हैं।  यहाँ हजारों साल पुरानी आयुर्वेदिक परंपरा से दवाईयों का निर्माण होने से लेकर पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा और पंचकर्म, स्वेदन, बस्ती आदि के माध्यम से मरीजों का इलाज किया जाता है।

श्रीगुरु डॉ. श्री बालाजी तांबे  और उनके कार्यों को समाज के सामने प्रस्तुत करने की दृष्टि से पुणे के समाचार पत्र सकाळ समूह ने पुणे में एक अभिनव आयोजन किया ।

इस आयोजन में श्रीगुरु डॉ. श्री बालाजी तांबे की 40 वर्षों काी सतत् साधना और उनके द्वलारा किए गए कार्यों को सफल प्रयोगों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था।  इस अवसर पर  राजेंद्र खेर द्वारा संपादित श्रीगुरु बालाजी तांबे की आत्मकथा ‘संतुलन युगे युगे’, प्रकाशित की गई।

इसका विमोचन करते हुए आयुर्वेदिक उपचार, ध्यान, योग, स्वास्थ्य संगीत आदि के लिए संतुलित जीवन को शुरू करने के लिए उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता थी और वह आवश्यकता पूरी हुई। ‘आत्मसंतुलन व्हिलेज’ की 40वीं वर्षगांठ पर आयोजित एवं ‘संतुलन आयुर्वेद’  में  श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज  ने श्री गुरुजी बालाजी तांबे से जुड़े कई संस्मरण  प्रस्तुत करते हुए कहा कि उन्होंने एकनिष्ठ साधना से आयुर्वेद को जिस ऊँचाई पर पहुँचाया उसे देखकर आश्चर्य होता है कि कोई एक व्यक्ति अपने जीवन में इतना बड़ा काम कैसे कर सकता है।

इस अवसर पर ‘सकाल मीडिया ग्रुप’ के प्रबंध निदेशक अभिजीत पवार ने कहा, “मानो गुरुजी एक विश्वविद्यालय थे जिन्हें सभी क्षेत्रों का सटीक ज्ञान था। वह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के प्रतीक हैं।  श्रीगुरु डॉ. श्री बालाजी तांबे सभी क्षेत्रों में विशेषज्ञ थे। ज्योतिष, संगीत, साहित्य, कला, जैविक खेती ऐसे सभी क्षेत्र थे जिनमें वे पारंगत थे।

इस अवसर पर विविध विषयों पर व्य़ख्यान भी आयोजित किए गए।  गर्भ संस्कार पर आयोजित चर्चा में डॉ. मालविका तांबे ने कहा, “बदलती जीवनशैली के कारण गर्भावस्था से संबंधित समस्याएं बढ़ रही हैं। ऐसे मामलों में कृत्रिम या दुष्प्रभाव वाले उपचारों के बजाय प्राकृतिक गर्भावस्था को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।” उन्होंने ‘संतुलन आयुर्वेद फर्टिलिटी एक्सपीरियंस’ (एसएएफई) के बारे में जानकारी दी और आध्यात्मिक गुरु और आयुर्वेद विशेषज्ञ श्रीगुरु बालाजी तांबे के उपदेशों से रचित गर्भसंस्कार पुस्तक के कई प्रमुख अंशों पर चर्चा की।

 


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‘संतुलन आयुर्वेद’ के प्रबंध निदेशक सुनील तांबे ने ‘ॐकार’ साधना पर एक विशेष सत्र में ‘ॐकार’ के महत्व को समझाया।  हमारा सारा काम मस्तिष्क द्वारा होता है और ‘ॐकार’ में मस्तिष्क को ऊर्जावान बनाने की शक्ति होती है। ‘ॐकार’ एक तरंग है, और केवल उसके उच्चारण से ऊर्जा कैसे प्राप्त की जा सकती है इसकी प्रतीति साधकों को करवाई गई।

सभी ने अनुभव किया  मानो ये  प्रदर्शनी महज एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि आयुर्वेद की एक पाठशाला ही है। शुरुआत में योग कुटी के माध्यम से श्वास का महत्व तथा प्राथमिक; लेकिन महत्वपूर्ण योग साधनाओं का प्रदर्शनों के साथ मार्गदर्शन किया गया। आरोग्य कुटी में आये नागरिकों की नाड़ी जाँच कर उपचार एवं औषधियों के बारे में मार्गदर्शन किया गया।

उपचार कुटी में बीमारी के अनुसार आए लोगों की शंकाओं का समाधान किया गया। निर्माण कुटी के माध्यम से आयुर्वेदिक औषधि निर्माण का वास्तविक अनुभव लिया गया। पुणे वासियों के लिए ये प्रदर्शनी और विभिन्न विषयों पर हुए चर्चा सत्र रोमांचक अनुभव की तरह थे।

अन्नयोग कुटी में प्रदर्शनों द्वारा मार्गदर्शन किया गया। आत्मसंतुलन के मार्गदर्शकों ने नागरिकों की बीमारियों को जानने के बाद वास्तव में क्या करना है और कैसे करना है, इसका प्रदर्शन कर मार्गदर्शन किया। कई लोगों ने योग, आयुर्वेद, उपचार विधियों और विशेष रूप से पंचकर्म के बारे में जानने के लिए किताबें खरीदीं।