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दुधवा लाईव द्वारा कार्यशाला का आयोजन

दुधवा नेशनल पार्क। खीरी। पद्मभूषण बिली अर्जन सिंह की पुण्यतिथि पर दुधवालाइव डॉट कॉम द्वारा बिली की स्मृति में वन्य जीव सरंक्षण व् दुधवा नेशनल पार्क की स्थापना में बिली का योगदान विषय पर दुधवा नेशनल पार्क के आडिटोरियम में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें लखीमपुर के कानपुर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की, ये सभी छात्र बेस्ट बॉयो क्लासेज़ संस्था के तहत दुधवा नेशनल पार्क और टाइगर मैन बिली अर्जन सिंह पर प्रोजेक्ट रिपोर्ट के साथ वहां उपस्थित हुए, ज्यूरी द्वारा चयनित रिपोर्ट्स में नेहा वर्मा, स्नेहा वर्मा, देवेंद्र भार्गव की रिपोर्ट्स को चुना गया, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दुधवा नेशनल पार्क के बेलरायां डिवीजन के इस डी ओ नरेंद्र उपाध्याय ने हॉल में उपस्थित विद्यार्थियों व् वन्य जीव प्रेमियों को नेशनल पार्क, सैंक्चुरी, बायोस्फीयर रिजर्व में क्या फ़र्क है इस पर विस्तार से चर्चा की, साथ ही बिली द्वारा बाघ व् तेंदुओं के पुनर्वासन के प्रयोग की सराहना की।

श्री उपाध्याय ने बिली की बाघिन तारा, तेंदुआ प्रिंस, जियत हैरिएट के बारे में भी बताया और बिली के साथ रह रहे, उन्होंने कहा कि इन जीवों पर बनी फिल्म नई पीढ़ी को देखना चाहिए, ताकि लोग वन्यजीवन के महत्व को समझ सके। कार्य शाला की अध्यक्षता कर रहे पलिया के पूर्व ब्लाक प्रमुख गुरप्रीत सिंह जॉर्जी ने कुंवर अर्जन सिंह के संस्मरणों को सुनाया जिसमे जीवों और जंगलों के प्रति उनकी दीवानगी का ज़िक्र किया, और दुधवा टाइगर रिजर्व से गुजरने वाली सुहेली नदी की दशा पर भी चिंता व्यक्त की। इस कार्यक्रम के संयोजक वन्य जीव विशेषज्ञ कृष्ण कुमार मिश्र ने बिली को श्रद्धांजलि देते हुए सभी को बताया कि बिली साहब कपूरथला स्टेट के राजकुमार थे और द्वतीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में उन्होंने हिस्सा भी लिया था, उन्हें बाघों और तेंदुओं के सरंक्षण के लिए पद्मश्री, पद्मभूषण, व् पॉल गेटी जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा जा चूका हैं, श्रीमती इंदिरा गांधी और बिली के मध्य खीरी के जंगलोंके बाघों और उनकी सुरक्षा के लिए पत्राचार का जो सिलसिला कायम था उसी के चलते बिली के अनुभवों और उनकी मांग पर श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1977 में दुधवा नेशनल पार्क की स्थापना की।

कार्यशाला में जीव विज्ञान प्रवक्ता बृजेंद्र प्रताप सिंह, पत्रकार प्रशांत पांडेय, अब्दुल सलीम, रोटेरियन विजय महेन्द्रा, देवेंद्र चौधरी ने बिली अर्जन को श्रद्धांजलि दी और उनके वन्य जीव सरंक्षण के कार्यों को नई पीढ़ी द्वारा आगे बढ़ाने का संदेश दिया।

बिली अर्जन सिंह का देहावसान 94 वर्षबकी आयु में एक जनवरी 2010 को हुआ था।