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ई-प्रशासन : भ्रष्टाचार के रोग का कारगर इलाज

नागरिक सेवा मुहैया कराने में राज्य की सफलता इस पैमाने पर आंकी जाती है कि सरकारी सेवाओं तक नागरिकों की पहुंच कितनी आसान है ।लेकिन सरकारों के लिए यह मुमकिन नहीं है कि उसके अधिकारी देश के हर नागरिक तक पहुंच कर उसकी समस्याएं जाने और उनका निवारण करें । इसलिए अपनी सेवाओं को हर नागरिक तक पहुंचाने के लिए दुनिया भर की सरकारें सूचना प्रौद्योगिकी के आधुनिक साधनों का इस्तेमाल कर रही हैं ।
यह नई प्रशासनिक व्यवस्था ई-प्रशासन (इलेक्ट्रॉनिक-प्रशासन) व्यवस्था कहलाती है। ई-प्रशासन व्यवस्था भ्रष्टाचार के रोग का कारगर इलाज हो सकती है क्योंकि यह भ्रष्टाचार के कारणों पर सीधा और अचूक असर करेगी।विश्व में कोरिया, चीन, अमेरिका, यूरोप के कई देशों में ई-प्रशासन व्यवस्था कायम की गई है।भारत में ई-प्रशासन का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है ।नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) की स्थापना और रेल टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग से यहां इसकी शुरूआत हुई । केन्द्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ब्लॉक स्तर पर संचार नेटवर्क बनाने के लिए 3300 करोड़ रुपये व्यय करके स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (स्वान) का निर्माण किया है ।आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली, चंडीगढ, ग़ोवा, असम, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने एनआईसी के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में ई-प्रशासन का सफल प्रयोग किया है ।

राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का मंतव्य है कि ई-प्रशासन शासन के साथ नागरिकों के सम्पर्क के विभिन्न बिन्दुओं को सरल बनाया जा सकता है। इसकी मदद से सेवाओं को तेजी से प्रदान किया जा सकता है, उनकी उत्पादकता और प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकता है, उन्हें नागरिक केन्द्रित बनाया जा सकता है, और यह भी ध्यान रखा जा सकता है कि उनके लाभ सही लोगों को मिले। ई-प्रशासन के कुछ लाभ इस प्रकार है -सार्वजनिक सेवाओं की लागत में कमी और पहुँच तथा क्वालिटी में सुधार,लेन-देन की लागत और लेन-देन के समय में कमी,नागरिकों को सशक्त बनाना और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाना,प्रक्रियाओं के तौर-तरीकों में फेरबदल करके कार्यकुशलता और उत्पादकता बढ़ाना।

स्मरणीय है कि सूचना प्रौद्योगिकी आधारित संचार क्रांति के इस दौर में छत्तीसगढ़ भी ई-प्रशासन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आम जनता को सुविधाएं पहुंचाने और प्रशासन के कार्य में तेजी लाने के लिए ई-गवर्नेन्स का उपयोग किया जा रहा है। शासन द्वारा योजना, लोक निर्माण, सी.एस.आई.डी.सी. स्वास्थ्य, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, पशु चिकित्सा सेवाएं, समाज कल्याण, ग्रामीण विकास और जल संसाधन विभागों में यह योजना लागू की गयी है।

इलेक्ट्रॉनिक गवर्नमेंट का अर्थ है नागरिकों (जी2सी.),व्यवसायियों (जी2बी.),कर्मचारियों (जी2ई.) और सरकारों (जी2जी.) को सरकारी सूचना एवं सेवाएं देने के लिए संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करना। एक संगठनात्मक परिप्रेक्ष्य से ई-गवर्नमेंट का अत्यधिक स्पष्ट लाभ है – वर्तमान व्यवस्था या प्रणाली की दक्षता में सुधार लाना, ताकि यह धन एवं समय बचा सके। उदाहरण के लिए, एक बोझिल दस्तावेजी प्रणाली से हट कर यदि किसी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली पर कार्य किया जाए तो यह प्रणाली जनशक्ति की आवश्यकता को कम कर सकती है और कार्य-परिचालन लागत भी घट सकती है।

ई-सरकार (ई-गवर्नमेंट) एक प्रकार की सुविधा है। इसके माध्यम से व्यक्ति घर बैठे कंप्यूटर के माध्यम से संबंधित अधिकारी से अपने कार्य के बारे में सूचना हासिल कर सकेंगे । सवाल पूछ सकेगा। ऐसे में जब कोई अधिकारी लोगों के प्रत्यक्ष संपर्क में नहीं रहेगा तो घूस मांगने की संभावना भी नहीं रहेगी। कार्य भी उसका अधिक दिनों तक टाला नहीं जा सकेगा क्योंकि सब कुछ रिकार्ड में रहेगा । अभी तक भ्रष्टाचार का एक बड़ा कारण यह है कि अधिकारी अक्सर लोगों के कार्यों को लटकाकर धन की उगाही कर लेते हैं । इसके माध्यम से शासकीय कार्य व्यवहार, सूचना, सेवा, सुविधा, व्यवसाय तक आम जनता की पहुंच सुलभ होती है ।खराब गवर्नेंस (जो निरंकुशता, भ्रष्टाचार, पारदर्शिता का साख की कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न करती हैं) को कई विकासशील देशों का एक बड़ा मुद्दा माना जाता है। ई-प्रशासन का प्रभावी कार्यान्वयन, ई-गवर्नेंस को सक्षम बनाएगा, जिससे निरंकुशता तथा भ्रष्टाचार में कमी आने और सरकारी निर्णय लेने में नागरिकों के विनियोजन तथा सहभागिता के माध्यम से बेहतर पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी की संभावना है।

हाल ही के दशकों में भारत ने आई.सी.टी. के क्षेत्र में बड़ी तीव्र गति से प्रगति की है। भारत सरकार ने भी स्वीकार किया है कि पिछले कुछ वर्षों में सरकारी सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने में आई.सी.टी. ने एक अहम भूमिका निभाई है। भारतीय संदर्भ में ई-गवर्नेंस इस तथ्य के कारण भी महत्वपूर्ण है कि आई.सी.टी. के प्रभावी उपयोग ने, सरकारी सेवाओं को विभिन्न वर्गों के व्यक्तियों तथा भौगोलिक स्थलों तक पहुंचने योग्य बनाया है और इसलिए एक अधिक सम्मिलित समाज का सृजन करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है। सरकारी प्रशासन में आई.सी.टी. सेवाओं के प्रभावी उपयोग से दक्षता में महत्वपूर्ण सुधार आया है, संचार लागत में कमी आई है और विभिन्न विभागों की कार्य-पद्धति में पारदर्शिता में वृद्धि हुई है।

ई-गवर्नमेंट के क्षेत्र में, शिक्षाविदों, पीएच.डी. छात्रों, व्यवसायियों तथा रोजगार तलाश रहे व्यक्तियों के लिए निम्नलिखित अवसर हैं –
1. नेशनल इंस्टीट्यूट फोर स्मार्ट गवर्नमेंट (एन.आई.एस.जी.) – हैदराबाद में स्थित है और इसकी स्थापना राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी तथा सॉफ्टवेयर विकास कार्य बल की सिफारिश पर की गई थी। एन.आई.एसजी. सेवाओं में, भारत में केन्द्रीय एवं राज्य सरकार दोनों को ई-गवर्न से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं के विकास तथा कार्यान्वयन के संबंध में परामर्श देना शामिल है। एन.आई.एस.जी. ई-गवर्न से संबंधित तकनीकी एवं गैर-तकनीकी मामलों के लिए परामर्श अनुभव देता है और यह संस्थान सरकारी एवं निजी – दोनों संस्थाओं के साथ सहभागिता के माध्यम से क्षमता-निर्माण एवं परिवर्तन प्रबंधन में रत है। विभिन्न प्रबंधन पदों तथा चालू सरकारी परियोजनाओं के लिए अनेक रिक्तियां भी विज्ञापित करते हैं.

2. ए.बी.एम. नालेजेबल लिमिटेड, (ए.बी.एम.) -यह बम्बई स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध एक सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी है। ए.बी.एम. ने भारतीय संदर्भ में ई-गवर्नेंस के विकास, कार्यान्वयन तथा संस्थानीकरण पर एक व्यापक पहुंच का विकास किया है। यह विभिन्न ई-गवर्न परियोजनाओं (जैसे कल्याण डोम्बीवली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (के.डी.एम.सी.) परियोजना, म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ ग्रेटर मुम्बई (एम.सी.जी.एम.) के लिए सम्पत्ति कर परियोजना, एम.सी.जी.एम. के लिए एक ई.आर.पी. – आधारित एकीकृत एवं उपयोगी ई-गवर्नेंस समाधान तथा एम.सी.जी.एम. के लिए पानी के बिल तैयार करने एवं लेखाकरण की एक्वा परियोजना, ई-म्यूनिसिपालिटी – जो पूरे महाराष्ट्र सरकार में 231 नगर-निकायों को शामिल करती है, आदि) से प्रमाणित होता है, जिन्हें इस संगठन ने सफलतापूर्वक निष्पादित किया है. रोज़गार तलाश रहे ऐसे व्यक्ति, जो प्रबंधन, सॉफ्टवेयर विकास तथा कार्य- परामर्श के क्षेत्र में संबंधित अनुभव एवं क्षमता रखते हैं, इस कंपनी में उपयुक्त रोजगार खोज सकते हैं।

3. इन्क्रोमा ई-बिजनेस सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड एक छह सिग्मा ई-गवर्नेंस कंपनी है, जो एंड-टू-एंड ई-गवर्नेंस उत्पाद आधारित समाधानों को कार्यान्वित करने में रत है। तकनीकी तथा गैर-तकनीकी – दोनों प्रकार के रोजगार तलाश रहे व्यक्तियों के लिए भी इस संगठन में उपयुक्त अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।

4. अनुसंधान अवसर – अनेक विश्वविद्यालयों तथा शैक्षिक संस्थाओं में ऐसे सुस्थापित अनुसंधान समूह हैं जो ई-गवर्न से जुड़े मामलों पर ध्यान देते हैं। अनुसंधानकर्ता एवं प्रत्याशित डॉक्टोरल उम्मीदवार अनुसंधान से जुड़े अवसरों के लिए निम्नलिखित अनुसंधान समूहों और केन्द्रों से सम्पर्क कर सकते हैं।सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी इन गवर्नमेंट (सी.टी.जी.) सनी अल्बेनी, अमेरिका में एक अनुप्रयुक्त अनुसंधान केन्द्र है जो सरकारी संगठनों एवं अन्यों को, डिजिटल गवर्नमेंट के विकास के समर्थन के लिए निर्धारित संसाधनों एवं ससांधनों की सूचना देता है।
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राजनांदगांव
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