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एनसाइक्लोपीडिया बनी “टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा” पुस्तक

कला-संस्कृति,अतीत का वैभव,प्राकृतिक सुषमा, धर्म-दर्शन,साहित्य एवं लोक कलाएं किसी भी स्थान विशेष की अपनी थाती होती हैं। समृद्ध उद्योग-व्यापार उस क्षेत्र की उन्नति का आधार होता है वहीं ये संस्कृति के संरक्षण में भी सहायक होते हैं।

राजस्थान के भीलवाड़ा शहर ने भारत में टेक्सटाइल सिटी के रूप में अपनी विशिष्ठ पहचान बनाई है। भारत के वस्त्र उद्योग में भीलवाड़ा ने नया इतिहास रच दिया और देश में ” टेक्सटाइल सिटी” के नाम से मशहूर हो कर “भारत का मैनचेस्टर” कहा जाने लगा।
खनिजों का भण्डार यह जिला प्राचीन समय से ही इतिहास एवं कला-संस्कृति की दृष्टि से सम्पन्न रहा है। प्राकृतिक संपदा से भरपूर यह जिला पर्यटन के अनेक रमणिक ,धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों की वजह से सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ हैं।

जिले की सभ्यता,संस्कृति,परम्पराओं,रीति-रिवाजों, कुशल शिल्पकारों, चितेरों, गायन-नृत्य,उत्सव,मेलों और सामाजिक जीवन की विविध परम्पराओं के दर्शन होते हैं। ये सब मिल कर जिले की रंग-बिरंगी और रुपहली संस्कृति का अनूठा रूप प्रस्तुत करते हैं।

भीलवाड़ा जिले के सांस्कृतिक एवं विकासात्मक पहलुओं को रेखांकित करते हुए लेखिका श्रीमती शिखा अग्रवाल की नवीनतम तीसरी पुस्तक ” टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा” सामने आई है। पुस्तक में लेखिका ने जिले की समस्त जानकारी को समाहित कर जिले का एनसाइक्लोपीडिया बना दिया है। अंत में झलक के रूप में रंगीन चित्र भी दिए हैं। पुस्तक की भूमिका राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय के अधीक्षक डॉ.दीपक कुमार श्रीवास्तव ने लिखी है। पुस्तक अमेजॉन एवं फिलिप कार्ट पर उपलब्ध है।

पुस्तक का नाम – टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा
लेखिका — श्रीमती शिखा अग्रवाल,भीलवाड़ा
पुस्तक मूल्य — 300₹
प्रकाशन – सहित्यागार, चौड़ा रास्ता, जयपुर।

समीक्षक
डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार
कोटा
Mob 9928076040