1

अंग्रेजी-हिन्दी पदबंध कोश

17वीं शताब्दी में भारत में अंग्रेजी से द्विभाषिक शब्दकोशों का निर्माण प्रारंभ हुआ था। उसके बाद कई प्रकार के कोशो की रचना हुई जिनमें पारिभाषिक शब्दावली का भी निर्माण हुआ, किंतु पदबंध कोश की ओर किसी काभी ध्यान नहीं गया। अंग्रेजी में जो पदबंध कोश निर्मित भी हुए, वे सभी एकभाषी कोश थे। अंग्रेजी से इतर भाषाओं में यह पदबंध कोश नगण्य है। द्विभाषिक कोशों में भी अगर एक-आध पदबंध कोश की रचना हुई भी है तो उनमें मात्र अर्थ ही दिए गए हैं। इसी अभाव की पूर्ति के लिए प्रोफेसर कृष्ण कुमार गोस्वामी ने अंग्रेजी-हिन्दी पदबंध कोश (English-Hindi Phrasal Dictionary) की रचना की है जो अपने प्रकार का नवीन कोश है।

वास्तव में पदबंध बिना किसी कर्ता और पूर्ण क्रिया के शब्दों का एक समूह है। जब कोई क्रिया पूर्वसर्ग या संबंधसूचक शब्द अथवा क्रियाविशेषणपरक उपसर्ग धारण करती है तो उसे क्रिया पदबंध या पदबंधीय क्रिया कहते हैं। मुहावरेदार पदबंध और संयुक्त क्रिया अपने शाब्दिक अर्थ से परे विशेष अथवा मुहावरेदार अर्थ व्यक्त करता है। इस पदबंध कोश में अंग्रेजी के लगभग दस हज़ार सामान्य पदबंधों, क्रिया पदबंधों, पूर्वसर्गीय पदबंध क्रियाओं और मुहावरेदार पदबंधों को संग्रहीत किया गया। इन पदबंधों के हिन्दी में अर्थ दिए गए हैं। तत्पश्चात संदर्भ के अनुसार वाक्यों का प्रयोग हुआ है। यह वाक्य-प्रयोग अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओं में मिलता है। इस कोश की यह भी विशेषता है कि इसमें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, पाठ्यपुस्तकों, अन्य शैक्षिक ग्रंथों, शब्दकोशों आदि विभिन्न स्रोतों से पदबंध इकट्ठे कर उनका विवेचन किया गया हैं।

आज के भूमंडलीकरण के युग में अंग्रेज़ी और हिन्दी का व्यापक प्रयोग हो रहा है। इस लिए भूमंडलीकरण की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कोशों का, विशेषकर पदबंध कोश का सहारा लेना पड़ता है। इसके अतिरिक्त इस भूमंडलीकरण के कारणज्ञान-विज्ञान के विभिन्न विषयों और आयामों का उद्भव और विकास हो रहा है जिनका अध्ययन करते हुए कई बार ऐसे शब्द, पदबंध, वाक्यांश, अभिव्यक्तियाँ और मुहावरेदार प्रयोग आ जाते है जिन का अर्थ समझने में कठिनाई होती है। उस समय पदबंध कोश की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इस दृष्टि में प्रो. गोस्वामी का यह अंग्रेजी-हिन्दी पदबंध कोश अपने-आप में एक अद्भुत प्रयास है।

यह कोश न केवल विद्यालयों, कालेजों,विश्वविद्यालयों, शैक्षिक संस्थानों आदि के अध्यापकों तथा छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है बल्कि जन संचार और पत्रकारिता के संपादकों, संवाददाताओं आदि के लिए भी लाभकारी हैं। इसके अतिरिक्त प्रशासन, बैंकिंग, वाणिज्य-व्यापार, प्रबंधन, विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी आदि कार्य-क्षेत्रों तथा विषयों में कार्यरत विशेषज्ञों, अधिकारियों, हिन्दी अधिकारियों, अनुवादकों आदि के लिए उपयोगी और व्यावहारिक हैं। वास्तव में यह भारत और विश्व के अन्य देशों के विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षा-संस्थानों आदि के ग्रंथालयों और पुस्तकालयोंमें संदर्भ-पुस्तक के रूप में प्रभावकारी भूमिका निभा सकता है।

प्रो. गोस्वामी एक सुविख्यात भाषाविज्ञानी, अनुवादशास्त्री और समालोचक हैं जिन्होंने कोश-साहित्य में अंग्रेजी और हिन्दी के इस प्रथम द्विभाषी पदबंध कोश की रचना की है जो आज की मांग को काफी हद तक पूरा करता है। इस पदबंध कोश की अपनी अलग सत्ता है जिसमें विभिन्न अर्थों के संदर्भपरक वाक्य-प्रयोग अपना विशिष्ट महत्व रखते हैं।

अंग्रेजी-हिन्दी पदबंध कोश

प्रकाशन वर्ष: 2015
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली। मूल्य: 1500/- रुपए

वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
[email protected]
वेबसाइट- वैश्विकहिंदी.भारत / www.vhindi.in