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धधकती चिंगारी का बुझना

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ  के एक अंग "बीजेपी" ने पुराने कांग्रेसी व कई वर्षो तक जनसंघ व बाद में उससे ही बनी बीजेपी का अपनी पत्रकारिता द्वारा अत्यंत गंभीर विरोध करने वाले पत्रकार एम.जे.अकबर को राज्य सभा का सदस्य बनाया है ।

वही दुसरी ओर संघ के ही एक और अंग "मुस्लिम राष्ट्रीय मंच" ने बडे स्तर पर 4 जुलाई को संसद की ऐनेक्सी में रोजा इफ्तार की दावत दी है ।
जबकि राष्ट्रवाद से जुड़े अत्यंत गंभीर विषयो पर जैसा कि  समाचारो से  ज्ञात हो रहा है कि हिन्दुओ के मंदिरो पर दबाब बना कर विशेषतः उत्तर प्रदेश व हरियाणा में उनके भजन-कीर्तन में बाधा डाली जा रही है व राष्ट्रवादी समाज ही पीड़ित हो रहा है लेकिन कोई चिंतित नहीं ,क्यों ?
वही गुप्तचरों की सूचनाओ के अनुसार विश्व का सबसे खूंखार मुस्लिम आतंकवादी संगठन आईएसआई भी अब भारत में घुसपैठ कर रहा है तो उसकी अत्यंत भयावहता व अमानवीय अत्याचारो से देश की जनता को कैसे सुरक्षित करें व उन दुर्दांत मुस्लिम  आतंकवादियो पर कैसे शिकंजा कसे आदि राष्ट्र रक्षा के गंभीर संकटो पर क्या कोई योजना बनी और देशवासियो को इस संकट से सचेत किया गया ? 

विश्व के सबसे  बड़े लोकतांत्रिक देश में हिन्दुओ का शोषण और अल्पसंख्यको विशेषत: मुसलमानो को पुचकारने को ही धर्मनिरपेक्षता माना जाने लगा है, क्यों ?

विडम्बना यह है कि क्या आर.एस.एस. जैसा विराट  राष्ट्रवादी समुह भी राजमद में अपने मूलभूत आधारो से ही अलग-थलग होगा तो भविष्य में दीप जला कर अँधेरा कौन दूर करेगा ?

क्या हृदयो में "राष्ट्रवाद की धधकती चिंगारी" अब बुझने लगी है और उसको शांत करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है ? करोडो राष्ट्रवादियो का अपने ऊपर आये हुए जिहादी संकटो से सतर्क रहकर शत्रु से अपने अस्तित्व व राष्ट्र की रक्षा के लिए उचित मार्गदर्शन करने के स्थान पर उनको क्यो दिग्भ्रमित किया जा रहा है ? 

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विनोद कुमार सर्वोदय
नया गंज,गाज़ियाबाद