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“विदेशियों के लिए भारत में हिन्दी अध्ययन की सुविधाएँ” पर हुई चर्चा

भोपाल : भारत में अध्ययन के लिए आने वाले छात्रों को हिन्दी भाषा के लिए फ्रेम वर्क बने, परीक्षा और पाठ्यक्रम के एकीकरण के लिए मानकीकृत प्रणाली तय करना जरूरी है। दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन के दूसरे दिन समानान्तर सत्र में ‘विदेशियों के लिए भारत में हिन्दी अध्ययन की सुविधाएँ’ विषय पर विद्वानों ने चर्चा के दौरान यह सुझाव दिए।

जर्मनी की प्रो. तात्याना ने सुझाव दिया कि एकरूपता लाने के लिए हिन्दी भाषा के लिए मानकीकृत परीक्षा प्रणाली तय करना चाहिए। मॉरिशस की किरण बाला अरुण ने कहा कि जिस प्रकार मारिशस में केम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा 0 लेवल तथा A लेवल की परीक्षाएँ संचालित होती हैं, उसी प्रकार हिन्दी भाषा के लिए भी ऐसा प्रयोग करना चाहिए।

महात्मा गाँधी विश्वविद्यालय के कुलपति जी. गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि भारत के लिए हिन्दी भारतीय संस्कृति की खिड़की का काम करती है। उन्होंने कहा कि वर्तनी को शुद्ध रखा जाना अनिवार्य होना चाहिए। अनुशासन और सृजनात्मकता खत्म नहीं होना चाहिए।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. कमल किशोर गोयनका ने कहा कि भविष्य में कार्यशाला आयोजित कर मानकीकृत पाठ्यक्रम पर चर्चा की जायेगी।

भोजन पर आमंत्रित कर करवाया हिन्दी भाषा का अध्ययन

टोक्यो विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक डॉ. द्विवेदी ने बड़े रोचक उदाहरण से अपने छात्रों को हिन्दी भाषा पढ़ाने की बात बताई। उन्होंने बताया कि स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले साल के छात्रों को वे अपने घर भोजन पर आमंत्रित कर उन्हें पूरी, रोटी, पराठा तथा विभिन्न भारतीय मसालों के बारे में जानकारी देते हैं।