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आजाद देश का गुलाम सूचना आयोग, जो शायद इंग्लैंंड के लिए काम करता है

महोदय,
कृपया ध्यान दें कि केन्द्रीय सूचना आयोग के द्वारा राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों के निरंतर और जानबूझ कर किए जा रहे उल्लंघन के सम्बन्ध में पिछले तीन वर्षों में यह मेरा 16वां ईमेल/अनुस्मारक है. केन्द्रीय सूचना आयोग को मैंने सबसे पहला ईमेल 2 नवम्बर 2012 को लिखा था उसके बाद मैं निम्नलिखित ईमेल/ईमेल अनुस्मारक राजभाषा विभाग एवं केन्द्रीय सूचना आयोग के आयुक्तों को लिख चुका हूँ:

i. 2 नवम्बर 2012

ii. 23 नवम्बर 2012

iii. 15 दिसंबर 2012

iv. 27 फरवरी 2013

v. 15 मार्च 2013

vi. 19 मार्च 2013

vii. 22 मार्च 2013

viii. 26 मार्च 2013

ix. 19 अप्रैल 2013

x. 10 मई 2013

xi. 23 मई 2013

xii. 17 अगस्त 2013

xiii. 21 सितम्बर 2013

xiv. 14 दिसंबर 2014

XV. 30 मई 2015

4 सितम्बर 2013 को एक आर टी आई आवेदन लगाया था, आयोग ने इसमें माँगी गई जानकारी नहीं दी थी. बाकी किसी भी ईमेल अथवा मेरे ईमेल शिकायत को राजभाषा विभाग द्वारा अग्रेषित करने के बाद भी आयोग के आयुक्तों/सचिवों अथवा अधिकारियों ने हमारी शिकायतों पर अब तक कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की है और न ही एक बार भी कोई जवाब दिया. हमारे मित्र तुषार कोठारी एवं अन्य लोग केन्द्रीय सूचना आयोग को राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों के उल्लंघनों के बारे सैकड़ों ईमेल लिख चुके हैं.

केन्द्रीय सूचना आयोग के अधिकारियों/आयुक्तों/सचिवों की कार्यप्रणाली का सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि आयोग ने आम जनता से जुड़े इस महत्वपूर्ण विषय पर तीन साल बाद निरंतर लिखने के बाद राजभाषा कानून के उल्लंघन को रोकने के लिए कदम उठाना तो दूर की बात है, आज तक एक भी ईमेल का उत्तर नहीं दिया. वस्तुतः केन्द्रीय सूचना आयोग अपने कार्यालय में हिन्दी का प्रयोग जानबूझ कर रोक रहा है ताकि आम जनता को सूचनाओं और अपीलों के नाम पर उलझाए रखा जा सके.

हिन्दी में लगाई गई द्वितीय अपीलों और शिकायतों का निपटारा “सिर्फ अंग्रेजी” में करना, एक सोची समझी चाल है:

केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा हिन्दी में लगाई गई द्वितीय अपीलों और शिकायतों का निपटारा “सिर्फ अंग्रेजी” में करना, एक सोची समझी चाल है ताकि आम जनता को उनके अधिकारों से वंचित रखा जा सके. अंग्रेजी में निपटारा होने से शिकायतकर्ता और अपीलकर्ता दूसरों का मुंह ताकते रहते हैं. आयोग के हाथ में ‘अंग्रेजी’ शोषण करने का सबसे बड़ा और आसान हथियार है. क्या आयोग के आयुक्त किसी ऐसी अपील का निपटारा कर सकते हैं जो चीनी भाषा “मंदारिन” में लगाई गई हो? फिर आयोग हिन्दी में लगाई गई द्वितीय अपीलों और शिकायतों का निपटारा “सिर्फ अंग्रेजी” में किसलिए कर रहा है? यह हिन्दी में द्वितीय अपीलों और शिकायतों को दर्ज करवाने वालों के खिलाफ षड्यंत्र है, अन्याय है, इस पर तुरंत रोक लगायी जानी चाहिए.

आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरी पिछली सभी शिकायतों शीघ्र निपटारा करने के लिए कदम उठाएं, मेरे पास सभी ईमेल की सुपुर्दगी की सूचना (डिलीवरी रिपोर्ट) है इसलिए यह ना कहें कि कोई भी ईमेल प्राप्त नहीं हुआ, मेरी शिकायतों पर राजभाषा विभाग द्वारा लिखे गए पत्रों की प्रतियाँ भी मेरे पास उपलब्ध हैं, अब आपसे हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन है कि मुझे अविलम्ब उत्तर भिजवाने की कृपा करें.

भवदीय
प्रवीण जैन
पता: ए -103, आदीश्वर सोसाइटी,
श्री दिगंबर जैन मंदिर के पीछे,
सेक्टर-9ए, वाशी, नवी मुंबई – 400 703

प्रतिलिपि:
केन्द्रीय गृह मंत्री
केन्द्रीय सूचना आयोग के आयुक्तगण
केन्द्रीय सूचना आयोग के सचिव
राजभाषा विभाग के सचिव
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव