जी- 7और भारत

भारत एक निर्णायक नेतृत्व और प्रभावी वैश्विक नेतृत्व के अनुसार प्रत्येक वैश्विक समस्या के समाधान की दिशा में अग्रसर है। मजबूत घरेलू मांग ,निजी खपत और निवेश के आत्मविश्वास के आसार पर आर्थिक विकास 7% से अधिक रहने के आसार हैं ।भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिरता वैश्विक मंदी को कम कर सकता है ,बल्कि वैश्विक विकास को उच्चीकृत करने में महत्वपूर्ण एवं योज्य भूमिका का संपादन कर सकता है।
आने वाले वर्षों में भी 7.5 प्रतिशत सतत विकास दर( जीडीपी) के साथ संसार की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था हो सकता है। अगले डेढ़ दशक में भारत 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को साकार रूप करके आर्थिक मंच  तैयार कर सकता है। मोदी जी के तीसरे कार्यकाल के लिए वैश्विक स्तर के राजनेताओं द्वारा बधाई संदेश प्रेषित करना भारत का वैश्विक स्तर पर उभरता वैश्विक कद है। शपथ ग्रहण समारोह में आए पड़ोसी देशों के शासकाध्यक्ष  और वैश्विक स्तर के नेताओं का आगमन मोदी जी की लोकप्रियता है ।भारत का वैश्विक स्तर पर बढ़ती भूमिका ने दुनिया को  वहुधुर्वीय  व्यवस्था की ओर बदला है।
प्रौद्योगिकी की दुनिया में तरह-तरह के बदलाव, चौथी औद्योगिक क्रांति का समर्थक  और अर्थव्यवस्था के स्वरूप में संरचनात्मक और बुनियादी बदलाव की ओर अग्रसर है। उत्पादन के स्तर ,उत्पादन की उपादेयता और बदलते परिवेश में भारत के प्रति तरजीही देना वैश्विक स्तर पर बदलते भारत का चित्रण कर रहा है। भारत अपने भू – राजनीतिक उपादेयता ,विशाल ऊर्जा भंडार के स्थल और ऐतिहासिक विरासत के कारण वैश्विक स्तर पर अपनी प्रासंगिकता बढ़ा रहा है।
इटली में हो रहे जी- 7 का सम्मेलन ऐसे कठिन दौर में हो रहा है जब वैश्विक स्तर के देश इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी इस सम्मेलन में शिरकत होने के लिए इटली पहुंचे हैं। तीसरे कार्यकाल के प्रधानमंत्री के तौर पर उनका पहला विदेश यात्रा है । इससे पहले 2023 के जापान के हिरोशिमा में जी- 7 का सम्मेलन हुआ तो उसमें भी नरेंद्र मोदी जी शामिल हुए थे। 2019 में जी- 7 के सम्मेलन में भारत को आमंत्रित किया गया था। 2020 में जी – 7 का सम्मेलन अमेरिका में होने वाला था उसके लिए भी भारत को बुलाया गया था। जी- 7 का भारत के साथ वार्ता करना कई आयामों और दृष्टिकोण से आवश्यक है।
प्रश्न यह है कि भारत को जी – 7 के सम्मेलन में इतना लोकतांत्रिक मूल्य और तरजीही आभार  क्यों दिया जा रहा है?  2.66 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ भारत की अर्थव्यवस्था जी – 7 के तीन सदस्य देश क्रमशः फ्रांस, इटली और कनाडा से बड़ी है। यह एक स्थिर ,मजबूत और शक्तिशाली देश का संकेत है। भारत वैश्विक राष्ट्रों के समूह में मजबूत प्रवेशिका किया है।आईएमएफ के अद्यतन प्रतिवेदन के अनुसार ,भारत संसार की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आईएमएफ की एशिया – पेसिफिक की उपनिदेशक  ने कहा था कि भारत संसार के लिए प्रमुख आर्थिक इंजन हो सकता है, जो उपभोग ,निवेश और व्यापार के जरिए वैश्विक विकास को गति देने में सक्षम है। संसार के विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत बाजार क्षमता, कम लागत ,व्यापार सुधार और अनुकूल औद्योगिक माहौल होने के कारण निवेशकों के लिए सर्वाधिक पसंदीदा तरजीही गंतव्य है।
वैश्विक स्तर पर भारत ने चीन को आबादी (जनसंख्या) के मामले में पीछे छोड़ दिया है। देश की 68 % आबादी कामकाजी( 15 से 64 वर्ष) है और 35 % आबादी 35 वर्ष से कम है। भारत में युवा ,पेशेवर और अर्ध – पेशेवर की संख्या अधिक है। अमेरिका ,जापान और यूरोपीय देश ऐसी नीतियां बना रहे हैं, जिनमें हिंद प्रशांत क्षेत्र के साथ करीबी बढ़ाने की जरूरत है। अमेरिका के वाशिंगटन में स्थित थिंक टैंक हडसन संस्था की एक अद्यतन प्रतिवेदन कहती है कि ऐसा महसूस होता है कि भारत हालिया वर्षों में जी – 7 का स्थाई अतिथि देश बन चुका है।
 जी – 7 वैश्विक स्तर का प्रभावशाली समूह है। समकालीन में रूस- यूक्रेन युद्ध और इसराइल- हमास युद्ध के कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जिसको वैश्विक स्तर की कार्यकारिणी कहा जाता है का प्रभाव कम होता जा रहा है। अमेरिका चीन और रूस के पारंपरिक संबंध काफी हद तक बिगड़ चुके हैं। इन परस्पर विरोधी स्थिति में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद त्वरित और निष्पक्ष निर्णय लेने में और असक्षम है। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध की घटना ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तुलना में जी- 7 रूस के खिलाफ ज्यादा कड़ा  रुख  अपनाया है।
समकालीन परिदृश्य में जी – 7 के प्रभाव, उपादेयता और कार्य के क्रियान्वयन में बहुत गिरावट आई है। समकालीन में इसकी प्रासंगिकता पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। 1980 के दरम्यान जी – 7 देश का जीडीपी विश्व के कुल जीडीपी का लगभग 60% था, जो अब घटकर 40% हो गया है । हडसन संस्था के प्रतिवेदन के अनुसार जी – 7 प्रभावशाली देशों का समूह होने के कारण भी इसके कार्यकारी व्यक्तित्व और प्रभाव में कमी आ रही है। इस स्थिति में सुरक्षा कवच और महत्वपूर्ण देश के रूप में भारत जी-7 का सदस्य बन सकता है।भारत का रक्षा बजट संसार के तीसरे स्थान पर है। भारत की जीडीपी ब्रिटेन के बराबर है और फ्रांस, इटली और कनाडा से ज्यादा है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, इसलिए जी- 7 भारत को प्रत्येक साल गौरव आमंत्रित करता है।
सवाल यह है कि जी- 7 का मौलिक उद्देश्य क्या है?
१. जी- 7 का मौलिक उद्देश्य है कि वैश्विक स्तर पर बढ़ती महंगाई से निजात के लिए सदस्य देशों एवं अन्य आमंत्रित देश के साथ विचार – विमर्श करना है ;
2. कार्बन उत्सर्जन को कम करने और नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों को  बढ़ावा देने की रणनीति होगी ;और
3.  जलवायु परिवर्तन से निपटने पर विचार- विमर्श करना है और वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाना क्योंकि कोविद-19 की त्रासदी से यह स्पष्ट हो गया है कि भविष्य में स्वास्थ्य आपातकाल के लिए वैश्विक व्यवस्था को चुस्त ,सरल और आमजन के उपयुक्त बनाना होगा।
इसके अलावा जी-7 के सम्मेलन में भू- राजनीतिक तनाव रूस – यूक्रेन युद्ध और हमास- इसराइल संघर्ष की चर्चा होगी। जी- 7 विश्व की सात अत्याधुनिक अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। वैश्विक अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था पर अधिक दबदबा है।इसमें  देश क्रमशः संयुक्त राज्य अमेरिका(विश्व का दारोगा), ब्रिटेन(औपनिवेशिक शोषक का पनाहगार ),जापान(अन्वेषण और नवोन्मेष का देश,उगते हुए सूरज का देश), कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और इटली हैं।
सर्व विदित है कि नरेंद्र मोदी जी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के पश्चात अपनी पहली विदेश यात्रा जी- 7 के शिखर सम्मेलन इटली से की है। पूर्वी एशिया का सर्वाधिक शक्तिशाली और वर्तमान में वैश्विक स्तर की दूसरी आबादी( जनसंख्या) वाला देश चीन इस प्रभावशाली संगठन का हिस्सा नहीं रहा है। चीन में प्रति व्यक्ति आय इन सातों देश की तुलना में बहुत कम है, इसलिए चीन को एक विकसित अर्थव्यवस्था नहीं माना जाता है।
चीन जी-20 का क्रियाशील सदस्य देश है। जी- 7 का क्रियाशील सदस्य देश इटली ने ‘ मैतेयू प्लान’ के तहत अफ्रीकी देश को 5.5 अरब यूरो का कर्ज और आर्थिक सहयोग देने जा रहा है। इस योजना से इटली को ऊर्जा क्षेत्र में स्वयं ऐसे देश के रूप में स्थापित करने में सहयोग मिलेगी जो अफ्रीका और यूरोप के बीच गैस और हाइड्रोजन की पाइपलाइन बना सकता है। इस योजना के लिए इटली कई देशों से भी वित्तीय योगदान देने की अपील कर रहा है। जी- 7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री के सफल व्यक्तित्व से प्रभावित होकर कनाडा ने भी तीसरे कार्यकाल की बधाई दिया है। कनाडा का कहना है कि भारत के साथ रिश्ते सुधर रहे हैं और दोनों देश महत्वपूर्ण आधारभूत संरचना पर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका कहना है कि” मेरे और जी – 7 के सभी भागीदारों के साथ व्यापक मुद्दों पर काम करने के लिए उत्सुक और विश्वसनीय है जिन पर हमने बात की है”।