गंगा समग्र का राष्ट्रीय अभ्यास वर्ग संपन्न

सहायक नदी और शिक्षण संस्था आयाम टोली का राष्ट्रीय अभ्यास वर्ग कानपुर में मां गंगा जी के पवित्र, पावन और धार्मिक महत्व के लिए सुप्रसिद्ध सरसैया घाट पर स्थित गोकुल धर्मशाला में 23 और 24 दिसंबर को संपन्न हुआ। इस राष्ट्रीय अभ्यास वर्ग का मौलिक उपादेयता संगठन का विस्तार, कार्यकर्ताओं को उनके दायित्व और कार्य के कारण ऊर्जावान बनाना और संगठन में राष्ट्रीय अधिकारी, प्रांतीय अधिकारी और कार्यकर्ताओं के बीच संगठनात्मक विचार-विमर्श करके एक सकारात्मक और उर्जादायिनी दिशा प्रदान करना है। समग्र गंगा का मौलिक उपादेयता नदियों से जुड़े और नदियों पर आश्रित लोगों के जीवन में गुणात्मक उन्नयन करना है, जिसके कारण यह लोग अपने जीवन को सुखमय ,सुख की साधना और भौतिक सुविधाओं को प्राप्त करके सफल बनाना है। इसके द्वारा आर्थिक सहयोग प्रदान करके इन आश्रित लोगों के जीवन को गुणात्मक स्तर पर उन्नयन करना है और इस राष्ट्रीय अभ्यास वर्ग से यह भी संकेत दिया गया कि जो नदियां लुप्तप्राय है, मिर्तप्राय है उनके पुनर्जीवन के लिए संगठन के स्तर और कार्यकर्ता स्तर पर प्रयास किया जाए।

किसी भी व्यक्ति के गुणवत्ता पूर्वक और कार्य उत्पादक बनाने के लिए अर्थ /धन महत्वपूर्ण कारक है। समग्र गंगा के द्वारा कार्यकर्ताओं को निर्मल गंगा, अविरल गंगा, ज्ञान गंगा और अर्ध गंगा के लिए सक्रिय करना है। राष्ट्रीय अभ्यास वर्ग का मौलिक उद्देश्य नदी पुनर्जीवन के माध्यम से और आर्थिक माध्यम से व्यक्तियों और गंगा माता को समन्वित करना है। गंगा जी से जोड़कर ज्ञान एवं जन भावनाओं के उपादेयता को उन्नयन और ध्यान संक्रेदित करके सतत विकास मॉडल को विकसित करना है। समग्र गंगा का उद्देश्य गंगा संरक्षण के लिए लोगों की भागीदारी का उन्नयन करके गंगा के अविरल प्रवाह को बढ़ाना है। सहायक नदी की मूल भावना गंगा के घाटों पर आर्थिक गतिविधियां बढ़ाकर लोगों को सक्रियता से जोड़ना है।

राष्ट्रीय अभ्यास वर्ग में दिल्ली प्रांत से 03, हरियाणा से 02,गुजरात से 01, उत्तराखंड से 11, मेरठ से 08, ब्रज प्रांत से 08, कानपुर से 35, अवध क्षेत्र से 11, गोरक्षप्रांत से 07, काशी प्रांत से02, उत्तर बिहार से 12 ,दक्षिण बिहार से 05 और झारखंड से 02 कार्यकर्ता सम्मिलित हुए थे। कार्यकर्ताओं की अभीष्ट संख्या 107 थी, इसमें शिक्षण संस्था से 53 , सहायक नदी आयाम से 40 और 14 अन्य थे। राष्ट्रीय संगठन मंत्री आदरणीय रामाशीष जी भाई साहब का पाथेय ईश्वरीय अनुभूति जैसी रही, उनके करिश्माई और कार्य प्रेरित व्यक्तित्व से कार्यकर्ता स्वयं को ऊर्जावान एवं कार्य सक्षम महसूस कर है। संगठन की गतिशीलता के लिए नेतृत्व, व्यक्तित्व और विचारधारा का संगठन, दायित्वरण कार्यकर्ता और कार्यकर्ता के लिए प्रेरक पुंज होती है जो आदरणीय राष्ट्रीय संगठन मंत्री जी के व्यक्तित्व, नेतृत्व और विचारधारा में सम्मिलित है।