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जिन्दगी के गुम हो गये अर्थों की तलाश

आज महानगरीय जनजीवन एवं फ्लैट संस्कृृति की चारदीवारी में कैद आदमी जिंदगी का स्वाद ही भूल गया है। वह भूल गया है घर और मकानों के बीच का फर्क। जिन्दगी के मायने तलाशन होंगे, रंगों और ब्रश की छुअन से उकेरने होंगे ऐसे चेहरे, जो याद दिलाते रहें शांति, सौहार्द और पारिवारिक एकता की तस्वीर को। दरवाजे को देनी होगी वो थाप जो आत्मसात कर ले हर इक टकटकी को सुबह के मिलने पर। उगाने होंगे वे पौधे, जिनकी टहनियों से छनती सूरज की रोशनी बदल दे दोपहरी के ताप। याद आ रहा है कि निदा फाजली का वो शेर, जो जीवन के प्रति सच्ची आस्था की बात करता है-‘अपना गम ले के कहीं और न जाया जाए, घर में बिखरी हुई चीजों को सजाया जाए।’

आज जिन्दगी का अर्थ कहीं गुम हो गया है। हमें उसे खोजना होगा। जिन्दगी के गुम हो गये अर्थों को तलाशना होगा, जो मनुष्य को मनुष्य होने की प्रेरणा देता है, जो संवेदनाओं को विस्तार देता है, जिससे जीत ली जाती है बड़ी से बड़ी जंग। हमें चुराने होंगे वे लम्हे, संजोने होंगे वे एहसास, जो कदम-कदम पर जिंदगी के साथ होने की आहट को उमंगों की तरह पिरो दें। रोजमर्रा की सख्त सड़क पर हमें ढूंढ लेना होगा वो मुकाम, जो रचा लेता है, चाय की प्यालियों के साथ कोई खूबसूरत-सी कविता की पंक्ति। दीवारों में बनानी होंगी वे अलमारियां, जो फैज़्ा और गालिब की मौजूदगी से कोने-कोने को जीवंत कर दे। अपने सपनों और अपनी महत्वाकांक्षाओं पर अपनी पकड़ ढ़ीली मत पड़ने दीजिए, उनके हाथ से निकल जाने पर आप जीवित तो रहेंगे किन्तु जीवन नहीं रह जाएगा। थामस एक्किनास ने कहा कि बंदरगाह में खड़ा जलयान सुरक्षित होता है… जलयान वहां खड़े रहने के लिए नहीं बने होते हैं।’

खुद को इसी जिंदगी के बीच देखना तो होगा ही, जिंदगी के सच्चे अर्थों के लिए। जिन्दगी कहीं-न-कहीं गुम हो रही है। आदमी लापरवाही, अस्त-व्यस्तता, तनाव, प्रतिस्पर्धा जैसे बाहरी हंटर या चाबुक को सहता है। दूसरी ओर अनुशासित आदमी तनाव, चिंता, खीज, भय, डिप्रेशन, अपेक्षा जैसे भीतरी दबावों को सहता है। दोनों को ही बाद में सब ठीक करने के लिए समय, शक्ति, प्रयास और आत्मबल चाहिए।

किसी ने सही कहा है कि दुनिया को जीतने से पहले हमें स्वयं को जीतना चाहिए। आज के आधुनिक जीवन में सबसे बड़ी समस्या तो मन की उथल-पुथल से पार पाने की है। हम जितना आराम और सुख चाहते हैं आज के प्रचलित तरीकों से उतना ही मन अशांत हो रहा है। मुझे महसूस होता है कि मैं लंबे अर्से से सुकून नहीं पा सका हूं। पर फिर यही सोचता हूं कि सुकून हमें खोजना पड़ता है ना कि हमें हथेली में सजा मिलेगा कि आओं और सुकून का उपभोग करो और चलते बनों। आज की जीवनशैली की सबसे बड़ी समस्या समय का ना होना भी है। कारण रात को देर तक जागना और सुबह देर से उठना और उस पर भी अस्त-व्यस्त जीवनशैली।

जैन साहित्य का यह सूक्त आधुनिक जीवनशैली एवं आदमी के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। जिसमें कहा गया है कि युद्ध में हजारों हजार सैनिकों को जीतने वाले योद्धा की अपेक्षा बड़ा और महान विजेता वह है जो अपने आपको जीत लेता है। हर व्यक्ति दिग्भ्रमित है, किसी के पास यह सोचने और बताने का समय नहीं है कि आखिर उसे कहां जाना है? हर कोई यही अनुभव कर रहा है कि दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है, वह दौड़ रही है, इसलिए बस हमें भी दौड़ना है। आखिर यह दौड़ हमें कहां ले जायेगी? प्रतिस्पर्धा की इस रफ्तार ने आदमी की जीवनशैली को जटिल बना दिया है। उतावलापन, व्यग्रता और अधीरता ने जीवनशैली में अपना स्थान बना लिया है। जिंदगी जो उल्लासपूर्ण होनी चाहिए, वह तनाव से भर गई है। आनंद, उल्लास और सुकून कहीं हवा हो गए हैं। अमरीकी कहावत-हमारी पहचान हमेशा हमारे द्वारा छोड़ी गई उपलब्धियों से होती है।’

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जिन परिस्थितियों में व्यक्ति जी रहा है, उनसे निकल पाना किसी के लिए भी आज बड़ा कठिन-सा है। अपने व्यापार, अपने कैरियर, अपनी इच्छाओं को एक झटके में त्याग कर एकांतवास में कोई रह सके, यह आज संभव नहीं है और व्यावहारिक भी नहीं है। तथापि अपनी मानसिक शांति और स्वास्थ्य के प्रति आदमी पहले से अधिक जागरुक हो रहा है क्योंकि भौतिकवादी जीवनशैली के दुष्परिणाम वह देख और भुगत चुका है, इसलिए वह अपने व्यस्त जीवन से कुछ समय निकालकर प्रकृति की गोद में या ऐसे किसी स्थान पर बिताना चाहता है, जहां उसे शांति मिल सके। आपको जिंदगी में सुकून चाहिए तो ध्यान और साधना को अपने दैनिक जीवन के साथ जोड़ें। यह आपको सुकून तो देगी ही, जीने का अंदाज ही बदल देगी।

एलेअनोर रूजवेल्ट ने कहा कि भविष्य उनका है जो अपने सपनों की सुंदरता में यकीन करते हैं।’ प्रत्येक व्यक्ति के मन में सफलता की आकांक्षा होती है। यह गलत भी नहीं है। वह सफल और सार्थक जीवन जीना चाहता है। कोई भी निरर्थक और विफल जीवन जीना पसंद नहीं करता। किन्तु सफल जीवन जीने के लिए कितना प्रयत्न और पुरुषार्थ करना पड़ता है। उसकी यदि तैयारी हो तो सफलता निश्चित मिल सकती है। विश्व के उन लोगों का इतिहास पढ़ो जिन्होंने अपने प्रयत्न से मानव के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की है। हर युग में ऐसे व्यक्ति हुए हैं। चाहे वह महावीर हो या बुद्ध, विवेकानन्द हो या गांधी, आचार्य तुलसी हो या डाॅ. कलाम। कोई भी समय ऐसे लोगों से वंचित नहीं रहा। उनकी राह आसान नहीं थी। सफलता उन्हें तुरंत नहीं मिली। बहुत परिश्रम किया, तब जाकर मेहनत सफल हुई, एक बदलाव आया। कार्ल बार्ड ने कहा भी है कि हालांकि कोई भी व्यक्ति अतीत में जाकर नई शुरुआत नहीं कर सकता है, लेकिन कोई भी व्यक्ति अभी शुरुआत कर सकता है और एक नया अंत प्राप्त कर सकता है।’

सफलता और सार्थक जीवन जीने के लिए मन का नियंत्रण बहुत जरूरी है। जो व्यक्ति मन पर नियंत्रण करना नहीं जानता, वह सफलता का जीवन जी नहीं सकता। जब नियंत्रण की स्थिति आती है तब जीवन की सफलता और सार्थकता की अनुभूति होने लगती है। व्यक्ति सोचता है-जीवन सफल हो गया, मैं धन्य हो गया। इसीलिये प्लेटो ने कहा कि स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेना सबसे श्रेष्ठ और महानतम विजय होती है।

(ललित गर्ग)
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