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सरकार ने 350 उत्पादों के आयात पर बंदिश लगाई!

सरकार 350 से अधिक उत्पादों के आयात पर कुछ बंदिशें लगा सकती है। इसमें देसी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सामान, खिलौनों, फर्नीचर और कपड़ों समेत कुछ उत्पादों पर गैर-शुल्क प्रतिबंध लगाए जाएंगे। इनमें आयात निगरानी व्यवस्था शुरू करना और कुछ उत्पादों के आयात के लिए लाइसेंस अनिवार्य करना हो सकता है।

सरकार की यह योजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अनुरूप है, जिसमें आयात पर निर्भरता घटाने और स्थानीय सामान के उत्पादन तथा मांग को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाता है। वित्त, वाणिज्य, एमएसएमई जैसे मंत्रालय और नीति आयोग जैसे विभाग गैर जरूरी आयात कम करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) भी उत्पादों के लिए कड़े मानक तैयार कर रहा है।

सरकार 371 उत्पादों के आयात पर सख्त गैर-शुल्क प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है। इन उत्पादों का करीब 127 अरब डॉलर का आयात होता है। इनमें खिलौने और प्लास्टिक के सामान से लेकर खेल का सामान और फर्नीचर तक शामिल हैं। इनका आयात मुख्य रूप से चीन से होता है। सरकार चीन से आयात कम करना भी चाहती है। पिछले वित्त वर्ष में भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापा करीब 88 अरब डॉलर था, जिसमें 53.5 अरब डॉलर का माल चीन ने भारत को भेजा था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इनमें से ज्यादातर उत्पाद चीन से आते हैं और हम इन उत्पादों के आयात का विकल्प तलाशने की कोशिश करेंगे।’ इसके लिए कड़े उत्पाद मानक स्थापित किए जाएंगे, जिसके लिए बीआईएस को सख्त समयसीमा दी गई है।

मुख्य रूप से एमएसएमई द्वारा बनाए जा रहे प्रसंस्कृत खाद्य, कपड़े, चमड़े, खिलौने, फर्नीचर आदि के आयात पर प्रतिबंध का विचार चल रहा है। सूची में दवा, टेलीविजन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, एयर कंडीशनर और फ्रिज भी शामिल हैं। जिन उत्पादों का ज्यादा आयात होता है, उनके लिए आयात निगरानी व्यवस्था आ सकती है। इसमें आयातकों को मात्रा, मूल्य और उत्पादक देश का ब्योरा देना होगा। 2019 में इस्पात के लिए ऐसी ही व्यवस्था लागू हो चुकी है।

सरकार आयात की प्रतिबंधित सूची का दायरा बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। इसमें निर्धारित वस्तुओं के आयात से पहले विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) से स्वीकृति या लाइसेंस जरूरी होगा ताकि आयात कम किया जा सके। पिछले महीने डीजीएफटी ने अधिसूचना जारी कर बताया था कि यात्री वाहनों, बसों/ट्रकों और दोपहिया वाहनों के कुछ खास टायरों के आयात को मुक्त सूची से प्रतिबंधित सूची में शामिल किया गया है। इनके आयात के लिए अब डीजीएफटी से लाइसेंस या मंजूरी लेना आवश्यक होगा।

मगर वाणिज्य विभाग आयात शुल्क बढ़ाने से हिचक रहा है। उसे डर है कि ऊंची कीमतों से कच्चे माल पर निर्भर विनिर्माताओं और निर्यातकों को चोट पहुंचेगी। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘शुल्क बढ़ाना अच्छा विकल्प नहीं होगा। ऊंची कीमतों से विदेशी कच्चे माल पर निर्भर और नकदी की किल्लत झेल रहे विनिर्माता प्रभावित होंगे। कुछ उत्पादों पर शुल्क पहले ही डब्ल्यूटीओ द्वारा तय दायरे से ऊपर है आयात घटाने के लिए मानक और लाइसेंस की अनिवार्यता जैसे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।’

साभार – https://hindi.business-standard.com/ से