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टीवीा कार्यक्रमों और विज्ञापनों पर सरकार की नकेल

टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम या विज्ञापन में कई बार ऐसे आपत्तिजनक या भ्रामक जानकारियाँ दिखाई जाती है, जिनसे हमें शिकायत रहती है और जो हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं।

इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन (IBF) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) जैसी कुछ नियामक संस्थाएं हैं, जिन्होंने आपत्तिजनक कंटेंट पर कार्रवाई करने के लिए व्यवस्था बना रखी है। ऐसे में आप ब्रॉडकास्ट कंटेंट कंप्लेन काउंसिल (BCCC) को शिकायत कर सकते हैं। हालांकि इसकी जानकारी कम ही लोगों को है।

ऐसे में सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने गुरुवार को केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 में संशोधन करते हुए एक अधिसूचना जारी की है। इसमें टेलीविजन चैनलों द्वारा प्रसारित कंटेंट से संबंधित नागरिकों की शिकायतों और शिकायतों के निवारण के लिए एक कानूनी तंत्र उपलब्ध कराया गया है।

सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट किया, ‘सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 में संशोधन करके टीवी चैनलों पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों के संबंध में लोगों की शिकायतों का निस्तारण करने के लिए एक वैधानिक तंत्र विकसित किया है।’

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पारदर्शी वैधानिक तंत्र मुहैया कराने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है और इससे लोगों को लाभ होगा।

जावड़ेकर ने कहा, ‘मंत्रालय ने सीटीएन नियमों के तहत टीवी चैनलों की वैधानिक निकायों को भी मान्यता देने का निर्णय लिया है।’

बता दें कि संशोधित नियम शिकायतों के निपटारे का त्रिस्तरीय तंत्र बनाते हैं। प्रसारकों द्वारा स्व-नियमन, प्रसारकों के स्व-नियमन निकायों द्वारा स्व-नियमन और केन्द्र सरकार के तंत्र के माध्यम से निगरानी।

चैनलों पर प्रसारित किसी भी कार्यक्रम से परेशानी होने पर दर्शक उस संबंध में प्रसारक से लिखित शिकायत कर सकता है। नियमों के अनुसार, ‘शिकायत किए जाने के 24 घंटों के भीतर प्रसारक को शिकायतकर्ता को सूचित करना होगा कि उसकी शिकायत प्राप्त हो गई है। ऐसी शिकायत प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर प्रसारक को उसका निपटारा करना होगा और शिकायतकर्ता को अपना निर्णय बताना होगा।’

नियमों के अनुसार शिकायतकर्ता ‘स्व-नियामक निकाय, जिसका ब्रॉडकास्टर सदस्य है, को 15 दिनों के भीतर अपील कर सकता है।’

इसके अनुसार स्व-नियामक निकाय अपील प्राप्ति के 60 दिनों के भीतर अपील का निपटारा करेगा, प्रसारक को मार्गदर्शन या सलाह के रूप में अपना निर्णय बताएगा और शिकायतकर्ता को इस तरह के निर्णय के बारे में सूचित करेगा।

नियमों के अनुसार, ‘जहां शिकायतकर्ता स्व-नियामक निकाय के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, वह इस तरह के निर्णय के 15 दिनों के भीतर, निगरानी तंत्र के तहत विचार करने के लिए केंद्र सरकार से अपील कर सकता है।’

द एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) विज्ञापन संहिता के उल्लंघन के संबंध में शिकायतों की सुनवाई करेगा, शिकायत प्राप्त होने के 60 दिनों के भीतर निर्णय लेगा और प्रसारक और शिकायतकर्ता को इसकी सूचना देगा।

गौरतलब है कि वर्तमान में नियमों के तहत कार्यक्रम और विज्ञापनों के लिए संहिताओं के उल्लंघन से संबंधित नागरिकों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक अंतर मंत्रालयी समिति के माध्यम से एक संस्थागत तंत्र है। इसी तरह विभिन्न प्रसारकों ने भी शिकायतों के समाधान के लिए अपने आंतरिक स्व नियामक तंत्र को विकसित किया है। इसके बावजूद शिकायत निवारण ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए एक कानूनी तंत्र बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जहां कंटेंट को लेकर शिकायत की जा सके और उसका निवारण किया जा सके। इसमें कुछ प्रसारकों ने अपने संघों, निकायों को कानूनी मान्यता देने का भी अनुरोध किया था।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में दाखिल एक वाद में केंद्र सरकार द्वारा स्थापित शिकायत निवारण के मौजूदा तंत्र पर संतोष व्यक्त करते हुए अपने आदेश में, शिकायत निवारण तंत्र को औपचारिक रूप देने के लिए उचित नियम बनाने की सलाह दी थी।

देश में सूचना और प्रसारण मंत्रालय से अनुमति प्राप्त 900 से अधिक टेलीविजन चैनल हैं, जिनमें से सभी को केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों के तहत निर्धारित कार्यक्रम और विज्ञापन कोड का पालन करना आवश्यक है।