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दिल्ली सरकार के लोकपाल पर आप नेताओं के शब्द बाण

आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने ट्वीट कर कहा है कि उन्हें वही जनलोकपाल बिल चाहिए जो रामलीला मैदान में तैयार किया गया था। यदि इसमें किसी भी तरह का संशोधन किया जाता है तो इससे पहले इस पर बहस होनी जरूरी है। उन्होंने यहां तक कहा है कि यदि पहले बनाए गए जनलोकपाल बिल से कोमा या फुलस्टॉप भी हटाया जाता है तो भी बहस होनी चाहिए। उधर कुमार विश्वास के ट्वीट के तुरंत बाद आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने भी ट्वीट कर दिल्ली जनलोकपाल बिल और अरविंद केजरीवाल की आलोचना करने वालों को जवाब देते हुए सख्त लहजे में लिखा। ‘केजरीवाल को कोसने के लिये इतना उतावलापन क्यों भाई ? ये सब किसको फ़ायदा पंहुचाने के लिये ? कभी मोदी भाजपा की भी आलोचना कर ले ?’

इसके बाद अगले ट्वीट में आशुतोष ने लिखा

‘अरूण जेटली के इशारे पर पहले चुनाव हरवाना चाहा, अब लोकपाल हड़पना चाहते है ? क्यों ? देश देख रहा है और इतिहास भी !’

आशुतोष यहीं नहीं रुके उन्होंने एक और ट्वीट करते हुए प्रशांत भूषण और उनकी टीम को सलाह दी।
‘इतनी जलन अच्छी नहीं । दुश्मनी में भी कुछ मर्यादा होती है । ताकि कभी मिले तो नज़र न छुपाना पड़ें ।’

गौरतलब है कि इससे पहले पार्टी के पूर्व सदस्य और स्वराज अभियान के नेता प्रशांत भूषण ने आप सरकार के जनलोकपाल बिल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल का यह जनलोकपाल उस ड्राफ्ट से बिलकुल अलग है जो अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान तैयार किया गया था क्योंकि स्वतंत्र लोकपाल की नियुक्ति और हटाने का अधिकार अब राज्य सरकार के पास रहेगा।

उन्होंने कहा कि यह बिल स्वतंत्र लोकपाल के सारे सिद्धांतो को ध्वस्त करता है और यह एक जोकपाल से भी बदतर हे। बिल को लेकर प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया है जिसमें लिखा है, ‘दिल्ली लोकपाल विधेयक उन सभी सिद्धांतों को ध्वस्त करता है जिसका मसौदा हमने तैयार किया था जैसे नियुक्ति एवं पद से हटाना सरकार के अधीन न हो, लोकपाल के अधीन स्वतंत्र जांच एजेंसी। दिल्ली लोकपाल विधेयक को देखकर हैरानी हुई। नियुक्ति एवं पद से हटाना दिल्ली सरकार द्वारा, उसके अधीन कोई जांच एजेंसी नहीं, भारत सरकार की जांच करने का भी अधिकार, इसे असफल होने के लिए तैयार किया गया है।’

इसके अलावा प्रशांत भूषण ने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति के लिए कमेटी में मुख्यमंत्री, विधानसभा स्पीकर, विपक्ष के नेता और दिल्ली के चीफ जस्टिस होंगे। इसका मतलब चार में से तीन राजनेतिक दल से हैं और दो सरकार का हिस्सा हैं। वहीं लोकपाल को हटाने का हक सरकार को रहेगा जो की दो-तिहाई बहुमत के आधार पर तय होगा। जबकि हमने जो ड्राफ्ट बनाया था उसमें किसी भी तरह के राजनेतिक हस्तक्षेप की बात नहीं थी।

इसके अलावा केंद्र सरकार को भी इस बिल के अंतर्गत लाना इसके असफल होने को दर्शाता है क्योंकि केंद्र सरकार इसे किसी भी तरह से मंजूरी नहीं देगी। केजरीवाल ने इसे बनाने में किसी की राय नहीं ली है। भूषण के अनुसार केजरीवाल इसे सोमवार को पास करेंगे और केंद्र सरकार को भेज देंगे जहां इसे नामंजूर कर दिया जाएगा जिसके बाद यह केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए रोएंगे।

साभार- दैनिक जागरण से