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छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों ने पेश की मानवता की मिसाल

रायपुर। कोरबा से 70 किलोमीटर दूर लेमरू और वहां से तीन किमी दूर पहाड़ी क्षेत्र में बसी है राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों की जनजाति पहाड़ी कोरवा। शनिवार सुबह 108 संजीवनी एक्सप्रेस के कंट्रोल रूम में फोन आया कि इस जनजाति की गर्भवती महिला की हालत बिगड़ती जा रही है। उसने बच्चे को जन्म दिया है, जिसकी मौत हो चुकी है। उसके बाद काफी रक्त स्राव हुआ है। महिला उठ भी नहीं पा रही है। अब कंट्रोल रूम ने फोन कोरबा और वहां से लेमरू 108 एंबुलेंस के पायलट अभिषेक भारती को ट्रांसफर किया। भारती ने बगैर देर किए सीधे गाड़ी दौड़ा दी. लेकिन उनके सामने बाधा बना रास्ता, क्योंकि जहां यह घटना हुई, वह सड़क मार्ग से तीन किमी है दूर है और जाने का रास्ता नहीं था।

ऐसी स्थिति में पायलट अभिषेक और ईएमटी प्रदीप प्रधान ने पैदल सफर तय किया। वे मौके पर पहुंचे जहां गर्भवती महिला गुरुधारी बाई गंभीर स्थिति में थी। तत्काल इन्होंने ग्रामीणों से कांवर लिया, दोनों ने तय किया कि उन्हें कांवर से ही एंबुलेंस तक ले जाएंगे।

यह प्लान सफल हुआ और करीब घंटेभर की कड़ी मशक्कत के बाद वे गुरुधारी को एंबुलेंस तक ले आए। वहां ड्रिप चढ़ाई और दर्द की दवा देकर लेमरू अस्पताल पहुंचा दिया। यह रेस्क्यू सफल रहा, गुरुधारी की स्थिति ठीक है। अब उन्हें कोई खतरा नहीं है। जानकारी देते हुए कोरबा के डिस्ट्रिक्ट मैनेजर मिथलेश चौहान का कहना है कि विषम परिस्थिति के लिए हम सब तैयार हैं।

दोनों कर्मचारियों ने बेहतर काम किया है, उन्हें संस्थान की तरफ से पुरस्कृत किया जाएगा। ऐसे प्रकरण सभी का हौसला बढ़ाते हैं। हमारी प्राथमिकता में मरीज है, चाहे वे किसी भी विषम क्षेत्र में ही क्यों न हों उन्हें अस्पताल पहुंचाना जवाबदारी है। – शिबू कुमार, पीआरओ 108 संजीवनी एक्सप्रेस