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सहारा देकर जिम्मेदारी का बीज बोती सरकार

एक मजदूर के बेटे ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली.. एक चाय बेचने वाले ने अपने बेटे को आइएसएस बना दिया.. एक गरीब परिवार के बेटे ने संघर्ष कर कामयाबी हासिल की… ये खबरें बताती हैं कि हमारे समाज में प्रतिभाओं की कमी नहीं है.. वे अपने दम पर कामयाबी पा रहे हैं.. यह खबरें देश के कोने कोने से आती हैं.. दूसरे राज्यों की तरह मध्यप्रदेश भी यह खबरें सुन रहा था.. अब यहां आकर मध्यप्रदेश और दूसरे राज्यों में फकत इस बात का अंतर रह गया कि दूसरे युवाओं की कामयाबी की खबरें सुनते रह गए और मध्यप्रदेश सरकार ने आगे बढक़र ऐसे हीरों को गले से लगा लिया. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ने इन प्रतिभावान युवाओं के कंधे पर हाथ रखा और कहा-बढ़ो और आगे बढ़ते रहो. मैं तुम्हारे साथ हूं. यकिन करना आसान नहीं है लेकिन मध्यप्रदेश में आप हैं तो इस पर यकिन ना करने का भी कोई कारण नहीं बचता है.

एक बच्चा यूपीएससी की परीक्षा में पास हो जाता है. दिल्ली से उसका बुलावा साक्षात्कार के लिए आया है. परिवार की मदद से वह दिल्ली जाने का इंतजाम करने लगता है कि तभी सरकार की तरफ से उसे संदेशा मिलता है मध्यप्रदेश भवन में आपके रूकने के लिए इंतजाम सरकार की ओर से किया गया है. पहले तो उसे यकीन ही नहीं होता है कि क्या सच है? वह दो बार फोन करने वाले अफसर से सच जानना चाहता है. उसे भरोसा दिलाया जाता है कि वह स्वयं इस बात की तस्दीक कर ले. वह दिल्ली स्थित मध्यप्रदेश भवन पहुंचता है तो कोई गफलत की गुंजाईश ही नहीं रह जाती है. उसके एक सामने एक संकट का निदान हो गया तो एक और बात उसके मन में डूबती-उतरती रहती है. संकोच करते हुए वह सरकार के अधिकारी से पूछ लेता है कि मेरे पिताजी को अपने साथ ठहरा सकता हूं? मुस्कराते हुए अधिकारी कहते हैं- बिना शक, आप अपने पेरेंट को अपने साथ ही रख सकते हैं. सरकार का यह आदेश है.

यह कपोल-कल्पित घटना नहीं है. यह एक सच्ची घटना है जो मेरे एक नजदीक के परिचित के साथ घटित हुई थी. चूंकि परिचित के सम्पर्क गहरे हैं तो वह कुछ प्रयास कर रहे थे कि दिल्ली में रूकने का ठिकाना मिल जाए लेकिन उन्हें भी यही सूचना मिली तो पहले पहल यकिन नहीं हुआ लेकिन बेटे ने जब कन्फर्म किया तो उनके लिए राहत की बात थी.सबसे बड़ी बात यह थी कि जिसे हम लोकतंत्र कहते हैं और जिस जवाबदारी की अपेक्षा हम अपनी चुनी हुई भरोसे की सरकार से करते हैं, वह मध्यप्रदेश में पूरा होता दिख रहा है. यह तय है कि हम इसमें भी नुक्स निकाल सकते हैं और कह सकते हैं कि ये महज सरकार की वाहवाही करने की स्कीम है लेकिन कभी उन बच्चों से पूछिये जिन्होंने अपनी मेहनत से कामयाबी तो पा ली और अब उनके साथ सरकार खड़ी है तो उनका भरोसा कितना बढ़ा होगा.

भोपाल के मिंटो हॉल में यूपीएससी परीक्षा पास करने वालों से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ने संवाद किया तो यह एक महज औपचारिक कार्यक्रम लग रहा था. लेकिन जब मुख्यमंत्री ने इन युवाओं का साथ देने के लिए ऐलान किया तो यह भी पहली सूरत में औपचारिक ही लगा क्योंकि आजादी के सात दशक बाद ऐसा करिश्माई ऐलान की उम्मीद नहीं की जा सकती थी. लेकिन जो हुआ, वह सच था और जो हो रहा है वह लोकतांत्रिक सरकार की नयी परिभाषा गढ़ रहा है. हालांकि इस योजना का श्रेय उच्च शिक्षामंत्री डॉ. मोहन यादव के हिस्से में जाता है जो इस योजना के शिल्पकार रहे हैं. उन्होंने अपने लीडर शिवराजसिंह को इस बात के लिए सहमत किया और आज युवाओं की कामयाबी की खबरें पढऩे वाले राज्य, मध्यप्रदेश की इस अनोखी पहल से स्तब्ध हैं. हो सकता है कि पूर्व में जिस तरह से मध्यप्रदेश की योजनाओं को अन्य राज्यों ने अपनाया है, वैसा ही इस योजना के बारे में सक्रियता दिखायें. ऐसा होता है तो निश्चित रूप से युवाओं को ना केवल सहारा मिलेगा बल्कि जिम्मेदारी की भावना बलवती होगी.

इस बात को भी याद रखा जाना चाहिए कि यूपीएससी की परीक्षा पहले दफा नहीं हो रही है और ना ही पहली दफा युवा कामयाब हो रहे हैं. लेकिन इस बार एक खास बात यह भी हुई कि युवाओं का हौसलाअफजाई करने राज्य शासन ने कामयाब युवाओं पर केन्द्रित एक पुस्तक भी तैयार की. यह सुखद अनुभव भी उनके लिए पहली होगा. संभव है कि इसके पहले भी कुछ युवा परीक्षा तो पास कर चुके होंगे लेकिन तब कोई शिवराजसिंह नहीं था जो उनके हौसले बुलंद करता. जो लोग इसके पहले परीक्षा पास कर चुके होंगे और साक्षात्कार में रूक गए होंगे, वह अपनी योग्यता और प्रतिभा की कमी के कारण नहीं बल्कि आर्थिक तनाव और संसाधनों की कमी के कारण विफल हो गए होंगे.

इस बार वे तनाव मुक्त हैं और मन में उल्लास है. शिवराजसिंह सरकार के इस प्रयास को इस नजर से भी देखा जाना चाहिए कि ये वही युवा हैं जो भविष्य में प्रदेश के प्रशासन की कमान सम्हालेंगे. कोई प्रशासनिक अधिकारी होगा तो कोई पुलिस का अफसर बनेगा तो किसी के जिम्मे जंगल महकमा आएगा. तब इन लोगों के भीतर अपनेपन का अहसास होगा. जिम्मेदारी होगी और नेक-नीयति के साथ अपने दायित्वों को पूर्ण कर सकेंगे. दरअसल, इन युवाओं को सहारा देने का अर्थ उस बीज का छिडक़ाव है जो आने वाले दिनों में फलदार पौधे के रूप में पूरे प्रदेश को हरा-भरा करेगा. अपने इन्हीं फैसलों की वजह से मध्यप्रदेश, देश के दिल में धडक़ता है क्योंकि देश की धडक़न का नाम है मध्यप्रदेश…

(लेखक सामाजिक विषयों व ताजा घटनाक्रमों पर लिखते हैं)