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हर दीवाल को लाँघ गए केजरीवाल

 जनलोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के साथ संघर्ष के समय ही अरविंद केजरीवाल को राजनीतिक जगत से चुनौती मिलती रही है। पहले इनके सिविल सोसायटी आंदोलन को सवालों के घेरे में खड़ा किया गया। कपिल सिब्बल जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों ने इनको राजनीति में आने की चुनौती तक दी। उसके बाद जब केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी (आप) के गठन का फैसला किया तो कांग्रेस और भाजपा ने उनको कमतर आंकते हुए मखौल उड़ाया। इन सबके बीच महज डेढ़ साल के सियासी सफर में ही केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता तक पहुंचकर विरोधियों की बोलती बंद कर उनके मंसूबों को ध्वस्त कर दिया।

केजरीवाल के खिलाफ बयानबाजी:

मैं आपको आगाह करती हूं कि ये पार्टियां मानसूनी कीड़ों की तरह होती हैं। वे आती हैं, पैसे बनाती हैं और गायब हो जाती हैं। वे इसलिए नहीं टिक पाती हैं, क्योंकि उनके पास दृष्टि नहीं होती है।

-शीला दीक्षित

(22 सितंबर 2012)

जनता आप को वोट देकर अपना वोट खराब नहीं करना चाहती है।

-सुषमा स्वराज

(2 सितंबर 2013)

संविधान ने व्यवस्था दी है, जिसके तहत लोग चुनकर आते हैं..अगर कुछ व्यक्ति जिनको अपनी क्षमता पर भरोसा नहीं है और वे देश का कर्णधार बनने की कोशिश करते हैं, तो इससे बड़ी त्रासदी कोई और नहीं हो सकती है।

-मनीष तिवारी

(13 जून 2011)

आप कांग्रेस की बी टीम है..इसने हालिया स्टिंग ऑपरेशन के बाद अपनी विश्वसनीयता खो दी है।

-नितिन गडकरी

(9 सितंबर 2013)

केजरीवाल पहले एमपी, एमएलए या कम से कम म्यूनिसिपल कॉर्पोरेटर बनकर दिखाएं।

-दिग्विजय सिंह

(25 नवंबर 2012)

आप के प्रदर्शन के बाद

बेवकूफ हैं न (जब पूछा गया कि कांग्रेस दिल्ली में जनता का मूड नहीं भांप पाई) हम हार स्वीकार करते हैं और इसका विश्लेषण करेंगे कि क्या गलत हुआ।

-शीला दीक्षित

(8 दिसंबर 2013)

मैं आपको उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए बंधाई देता हूं। -हर्षवर्धन

आप ने जिस तरह से चुनाव में प्रदर्शन किया उसकी उम्मीद नहीं थी। – नितिन गडकरी

आप ने .. शासन का हिस्सा बनने और व्यवस्था में बदलाव के लिए आम आदमी के लिए मंच तैयार किया।

-प्रिया दत्त

आप ने जिस तरह से लोगों को जोड़ा वैसा परंपरागत पार्टियां नहीं कर पाई।

-राहुल गांधी

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